महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक एक नारे की धूम मची है, 'बटेंगे तो कटेंगे।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नारे का अगला वर्जन लॉन्च कर दिया है। 'एक रहेंगे, सेफ रहेंगे।' भारतीय जनता पार्टी (BJP) के इन दोनों नारों का निष्कर्ष बस इतना ही है कि कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के अन्य सहयोगी दलों की जातिगत राजनीति में न उलझकर हिंदुओं को साथ रहना चाहिए, नहीं तो अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की मार उन्हें झेलनी होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इशारा कर चुके हैं कि कांग्रेस की जाति आधारित गणना की मांग, ओबीसी वर्ग को कमजोर करने की साजिश है, इसलिए बंटने की राजनीति न करें, अगर साथ रहेंगे, तभी सुरक्षित रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर योगी आदित्यनाथ तक के बयान यह भी इशारा करते हैं कि घुसपैठ से लेकर तुष्टीकरण तक के समीकरणों पर बीजेपी प्रहार कर रही है। झारखंड में एक तरफ जहां असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा बार-बार ये नारे दोहरा रहे हैं, बांग्लादेशी मुसलमानों के अवैध घुसपैठ का जिक्र कर रहे हैं, यह नारा, बीजेपी के लिए और प्रासंगिक हो गया है।
योगी का नारा, बना बीजेपी का नारा
सीएम हिमंता बार-बार योगी आदित्यनाथ की लाइन दोहरा रहे हैं, 'बटेंगे तो कटेंगे।' सीएम योगी के पोस्टर, झारखंड से लेकर महाराष्ट्र तक लहरा रहे हैं। उनकी रैलियों में जमकर भीड़ भी उमड़ रही है। योगी, बीजेपी के सबसे सफल प्रचारकों में से एख हैं। सीएम योगी ने हरियाणा में 14 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार किया था, जिसमें 9 सीटों पर जीत मिली थी।
सीएम योगी की रैलियों में खूब भीड़ हुई थी। नरवाना, राई, असंध, फरीदाबाद, रादौर, अटेली और बवानी जैसी सीटों पर बीजेपी अच्छे अंतर से जीती थी। कई सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा। ऐसे में अब महाराष्ट्र में भी सीएम योगी के कंधो पर अहम जिम्मेदारी है। राजनीतिक विश्लेषक जयंती पांडेय बताते हैं कि प्रधानमंत्री, योगी आदित्यनाथ के ही नारे को आगे बढ़ा रहे हैं।
जातीय जनगणना की बीजेपी ने ढूंढ ली है काट
सीएम योगी का नारा, महायुति गठबंधन का नारा हो गया है। महाराष्ट्र में 20 नंवबर को होने वाले चुनावों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी पत्ते खोल दिए हैं। वे कांग्रेस पर जमकर हमला बोल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बहाने के राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा, 'नेहरू के समय से ही कांग्रेस और उनका परिवार आरक्षण का विरोध करता रहा है, अब उनकी चौथी पीढ़ी युवराज भी जातीय विभाजन की राजनीति कर रहे हैं।'
क्या मोदी के बाद योगी ही पर ही होगा बीजेपी का फोकस?
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि यह बीजेपी का आंतरिक मामला है, इस पर वे ही बोल सकते हैं, हम इस पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं है। जब यही सवाल बीजेपी के कुछ कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से किया गया तो उन्होंने भी चुप्पी साधी। एक मीडिया प्रभारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि किसी का आगे बढ़ना या न बढ़ना, संगठन तय करता है, व्यक्ति नहीं। बीजेपी एक संगठनात्मक पार्टी है, यहां हर कार्यकर्ता पार्टी की दशा और दिशा तय करता है। यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य खुद कह चुके हैं कि संगठन सरकार से बड़ा है।
भारतीय जनता पार्टी को कवर करने वाले सीनियर पत्रकार कुमार मधुसूदन बताते हैं कि मोदी के बाद योगी, धीरे-धीरे स्थापित हो रहे हैं। इस पर कोई शक ही नहीं है कि वे पार्टी में अपने सहयोगियों की तुलना में राष्ट्रीय मंच पर आने के लिए बहुत आगे बढ़ गए हैं। नरेंद्र मोदी के बाद अगर किसी के पास इतना बड़ा और व्यापक जन समर्थन है तो वे योगी आदित्यनाथ ही हैं। शायद यही वजह है कि उनके नारे बटेंगे तो कटेंगे को पहले पार्टी ने प्रमोट किया और अब मोदी के एक रहेंगे सेफ रहेंगे नारे को कर रहे हैं। मोदी भी, इस मामले में योगी मॉडल को फॉलो करने लगे हैं।