महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने खुलासा किया है कि आखिर 2014 में क्यों अविभाजित शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी अलग हो गए थे। मुंबई में सिक्किम के गवर्नर ओम प्रकाश माथुर के सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहुंचे। इस दौरान उन्होंने एक सभा को संबोधित किया और 2014 के विधानसभा चुनाव को याद करते हुए गठबंधन की एक कहानी सुनाई।
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क्यों नहीं बन पाई थी बात?
फडणवीस ने खुलासा किया कि सीट बंटवारे पर असहमति उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन वार्ता की विफलता के कारण हुई थी। मुंबई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा, 'जब गठबंधन की बातचीत शुरू हुई, तो उस समय शिवसेना ने अपने मन में तय कर लिया था कि उसे केवल 151 सीटों पर चुनाव लड़ना है। जबकि हमारा प्रस्ताव था कि हम 127 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और शिवसेना 147 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, हम बाकी सीटें अपने छोटे गठबंधन सहयोगियों को देंगे।'
केवल शिवसेना का ही बनेगा सीएम
फडणवीस ने बाद में खुलासा किया कि भाजपा ने सत्ता-साझेदारी व्यवस्था का प्रस्ताव रखा था, जिसमें शिवसेना मुख्यमंत्री पद बरकरार रखेगी। हालांकि, शिवसेना समझौता करने को तैयार नहीं थी, जिससे बातचीत में गतिरोध पैदा हो गया। उन्होंने कहा, 'इस कारण, मामला आगे नहीं बढ़ सका। भले ही हमने उन्हें बहुत समझाया कि हम 127 पर चुनाव लड़ेंगे और आप 147 पर चुनाव लड़ें, आपका मुख्यमंत्री होगा और हमारा उपमुख्यमंत्री होगा... लेकिन फिर भी वे समझौता करने के लिए तैयार नहीं थे...।'
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अमित शाह के साथ क्या हुई थी बातचीत?
फडणवीस ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के साथ हुई बातचीत को भी याद किया। उन्होंने कहा, ‘हमने अमित शाह से बात की और उनसे कहा कि हमारे साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात की। मुझे, शाह और सिक्किम के राज्यपाल ओमप्रकाश माथुर को भरोसा था कि हम 2014 के विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर दे सकते हैं।’ बता दें कि ओमप्रकाश माथुर 2014 में भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रभारी थे।
2014 में भाजपा को कितनी सीट हासिल हुई?
2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। भाजपा ने 122 सीटें हासिल कीं, जिससे देवेंद्र फडणवीस के राज्य के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया।
हालांकि भाजपा और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था लेकिन बाद में चुनाव के बाद वे एक साथ आ गए और शिवसेना सरकार में एक प्रमुख सहयोगी बन गई। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के समर्थन से, एकनाथ शिंदे ने 2022 में शिवसेना के भीतर विभाजन की योजना बनाई और एनडीए सरकार स्थापित करने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया।