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'आजम-नाहिद जैसा हाल न हो जाए', जिया उर रहमान पर सपा डरी क्यों है?

समाजवादी पार्टी के युवा सांसद जियाउर रहमान बर्क संभल हिंसा को लेकर चर्चा के केंद्र में हैं। वह शफीक उर रहमान बर्क के पोते हैं। समझिए वे विवादों में घिरे क्यों हैं।

Zia Ur Rehman Barq

समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क संभल हिंसा की वजह से चर्चा में हैं। (तस्वीर- फेसबुक, जियाउर रहमान)

संभल इन दिनों विवादों के केंद्र में है। संभल की जामा मस्जिद के सर्वे के बाद शुरू हुए सियासी बवाल का जिक्र सड़क से लेकर संसद तक हो रहा है। उत्तर प्रदेश की विधानसभा से लेकर देश के संसद तक संभल हिंसा की आवाज उठी। इस विवाद में जिस शख्स का नाम सबसे ज्यादा उछला, वह कोई और नहीं बल्कि यहां के सांसद ही हैं। जियाउर रहमान का नाम सिर्फ संभल हिंसा में ही नहीं आया है बल्कि अब उन पर बिजली चोरी के भी आरोप लगे हैं।

संभल में बिजली विभाग की अगुवाई में जियाउर रहमान बर्क के घर बिजली का मीटर लगवा दिया है। हंगामे के डर से पुलिस को पूरी फौज उतारनी पड़ी थी। बिजली विभाग का कहना है कि जियाउर रहमान के घर बिजली चोरी हो रही थी। बिजली विभाग ने मीटर रीडिंग की थी। एसी, पंखे और अन्य बिजली के उपकरणों की जांच की थी।

कौन हैं जियाउर रहमान बर्क?
जियाउर रहमान 'बर्क' परिवार से आते हैं। वह समाजवादी पार्टी के सबसे चर्चित नेताओं में शुमार शफीकुर रहमान बर्क के पोते हैं। महज 36 साल की उम्र में वह सांसद बन गए। अपने दादा के निधन के बाद उन्हें राजनीतिक विरासत सौंपी गई। उन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। वह लॉ ग्रेजेटुए हैं, लॉयड लॉ कॉलेज से उन्होंने अपने पढ़ाई लिखाई की है। वह छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। साल 2017 में वह उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे। अब संभल हिंसा में वे घिरे हैं, दूसरी तरफ बिजली चोरी में। जियाउर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी हैं। संसद में लोकसभा सीट अरेंजेटमें उनकी सीट, अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के पास में ही है।

जियाउर रहमान बर्क, उनके दादा शफीकुर्रहमान बर्क और अखिलेश यादव। (तस्वीर-PTI)

बिजली विभाग के निशाने पर क्यों आए?
जियाउर रहमान के घर सामान्य मीटर लगा हुआ था, जिसे बदलकर इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाया गया था। 3 मीटरों में 1 मीटर का बिल जीरो आया था। दूसरे में भी कुछ अनियमितता थी। उनके घर 3 अलग-अलग मीटर लगे थे, तीनों को सील कर दिया गया। बिजली विभाग का कहना है कि इस इलाके में लोक तार लगाकर बिजली चोरी करते थे, जांच करो तो लोग हंगामा करते थे। संभल में 3 महीने में बिजली चोरी से जुड़े 1200 से ज्यादा केस सामने आए हैं। 5 करोड़ 20 लाख रुपये का जुर्माना भी लग चुके है। हाल ही में 90 से ज्यादा FIR दर्ज हुआ है, जिनमें मस्जिद भी शामिल हैं। 

दंगे में क्यों निशाने पर हैं?
सांसद जियाउर रहमान बर्क के खिलाफ संभल हिंसा मामले में एक FIR भी हुई है। इसी FIR के खिलाफ वह बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी पर स्टे लगा दिया जाए। 24 नवंबर को भड़की इस हिंसा में उनका भी नाम है। शाही जामा मस्जिद के इलाके में भड़की हिंसा मामले में दर्ज FIR को रद्द करने के लिए वह गुहार लगा रहे हैं। 

जियाउर रहमान बर्क पर आरोप क्या हैं?
जियाउर रहमान बर्क पर आरोप हैं कि उन्होंन हिंसा भड़काई है, ऐसे बयान दिए हैं, जिसकी वजह से दंगे भड़के हैं। कोर्ट ने मुगल कालीन इस इमारत के सर्वे का आदेश दिया था, जिसके विरोध में हिंसा भड़की। पुलिस का कहना है कि जियाउर रहमान बर्क के उकसावे की वजह से ही हिंसा भड़की है। बर्क का कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, जिसकी वजह से लोग उसकावे में आए।

जियाउर रहमान बर्क संभल से सांसद हैं। (तस्वीर- फेसबुक, जियाउर रहमान बर्क)

जियाउर रहमान बर्क का कहना है कि उनके बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। 20 नवंबर को कोर्ट ने एक आदेश दिया कि संभल की जामा मस्जिद का सर्वे किया जाए। एक याचिका में दावा किया गया था कि शाहा जामा मस्जिद की जगह कभी हरिहर मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। सर्वे 24 नवंबर को तय हुआ। जब अधिकारी सर्वे के लिए पहुंचे उन पर पथराव हुआ। इलाके में हिंसा भड़की और 6 लोगों की मौत हो गई। 

क्या नाहिद हसन और आजम खान जैसा होगा हाल?

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता के अब्दुल हाफिज गांधी ने खबरगांव से बातचीत में कहा कि कहा कि आजम खान और नाहिद जैसा अंजाम बीजेपी सरकार जियाउर रहमान का भी करना चाहती है। यह पूरी तरह से बदले की राजनीति है। बीजेपी संवैधानिक मशीनरी की दुरुपयोग कर रही है। हम कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं और इसे जीतेंगे। हम संसद में भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे। 



अब्दुल हाफिज गांधी ने बताया कि समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान पर भी जब शुरुआती आरोप लगे तो कुछ इसी तरह उनका नाम आया था। उन्हें भू माफिया कहा गया और लंबे कानूनी विवाद के बाद वह जेल पहुंच गए। उनका जौहर विश्वविद्यालय भी निशाने पर आया, तालाबंदी हुई। आजम खान से पहले कैराना के सपा विधायक नाहिद हसन भी फंसे थे। वे महीनों जेल में रहे।

नाहिद हसन क्यों मुश्किलों में आए थे?
नाहिद हसन और 40 अन्य लोगों पर 21 फरवरी 2021 को गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ  था। विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें 15 जनवरी 2022 को गिरफ्तार कर लिया गया था। उन पर धोखाधड़ी के आरोप लगे। वह भी अपने विवादित बयानों की वजह से चर्चा में आए थे। उनके खिलाफ 17 से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे। उन्होंने जाटों पर विवादित बयान देते हुए कहा था कि इनसे समान न खरीदो।  कैराना दंगों में भी उनका नाम सामने आया था। जियाउर रहमान बर्क भी संभल के सांसद हैं। उनका भी दंगों में नाम आ गया है। उनका परिवार भी रसूखदार परिवारों में शामिल रहा है। अब उनके समर्थकों का कहना है कि कहीं नाहिद हसन और आजम खान की तरह उन्हें भी नई परेशानियों का सामना न करना पड़े।

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