logo

ट्रेंडिंग:

केरल में BJP की आहट से डर गया लेफ्ट? कहीं बंगाल की तरह साफ न हो जाएं

केरल में हाल ही में हुए निकाय चुनाव में एलडीएफ को हार मिली, जबकि यूडीएफ को बड़ी बढ़त मिली। इन चुनावों में बीजेपी भी एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरी, जिससे लेफ्ट परेशान है।

Keral Politics

केरल की राजनीति, Photo Credit: SORA

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

दक्षिण भारत के राज्य केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। केरल देश की राजनीति में लेफ्ट की राजनीति का एकमात्र किला बचा है। हाल ही में केरल में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ लेफ्ट लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) को एक बड़ा झटका लगा है। इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे (यूडीएफ) को बढ़त मिली। यूडीएफ को 6 में से 4 नगर निकायों में और 14 जिला पंचायतों में जीत मिली है। इन चुनावों में देश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी अप्रत्याशित जीत दर्ज की है। 

 

केरल में 9 दिसंबर और 11 दिसंबर को दो चरणों में स्थानीय निकाय चुनाव हुए थे। राज्य की छह नगर निगमों और 14 जिला पंचायतों, 87 नगर पालिकाओं, 152 ब्लॉक पंचायतों और 941 पंचायत चुनाव हुए थे। इन चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को चार नगर निगम, 7 जिला पंचायतों और 54 नगर पालिकाओं के साथ 79 ब्लॉक पंचायतों और 505 ग्राम पंचायतों में जीत मिली है। सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ को इन चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है। एलडीएफ को सिर्फ एक नगर निगम, सात जिला पंचायतों 28 नगर पालिकाओं, 63 ब्लॉक पंचायतों और 340 ग्राम पंचायतों में जीत मिली है। विधानसभा चुनाव से करीब एक साल पहले आए इन चुनावी नतीजों ने एलजीएफ की चिंता को बढ़ा दिया है।


यह भी पढ़ेंं: केरल में लेफ्ट को हराने की तैयारी, कांग्रेस ने TMC से मिला लिया हाथ

बीजेपी की अप्रत्याशित जीत 

भारतीय जनता पार्टी केरल में लंबे समय से जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक लेफ्ट के इस गढ़ में सेंधमारी करने में फेल रही है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को एक सीट मिली थी, जिसके बाद से पार्टी के कार्यकर्ताओं का उत्साह काफी ज्यादा बढ़ा हुआ था। इन चुनावों में भी पार्टी को राजधानी तिरुवनंतपुरम में बड़ी जीत मिली।

 

 

तिरुवनंतपुरम नगर निगम में पार्टी को 101 में से 50 सीटों पर जीत मिली है। इन चुनावों में एलजीएफ को 50 सीटें और यूडीएफ को 19 सीटों पर जीत मिली हैं, जबकि दो सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों को मिली हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने एक नगर निगम, दो नगर पालिकाओं और 26 ग्राम पंचायतों में जीत दर्ज की है। पार्टी की इस जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर रक्षा मंत्री अमित शाह औ पार्टी अध्यक्ष ने बधाई दी है। 

 

लेफ्ट की बढ़ी चिंता

केरल भारतीय राजनीति में लेफ्ट का एकमात्र गढ़ माना जा रहा है। बंगाल में करीब तीन दशक तक राज करने के बाद ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी ने लेफ्ट को सत्ता से बाहर कर दिया था, जिसके बाद अब लेफ्ट बंगाल में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है। लेफ्ट लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत और अब तिरुवनंतपुरम नगर निगम में बीजेपी की जीत से परेशान है। लेफ्ट के लिए इसे एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सीपीएम के राज्य सचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने इस हार को पूरे लेफ्ट आंदोलन की हार बताया और कहा कि उनके लिए यह सीखने का मौका है। 

'बंगाल से सबक लेने की जरूरत'

इन चुनावी नतीजों को अप्रत्याशित बताते हुए  बिनॉय विश्वम ने कहा कि बीजेपी की जीत अप्रत्याशित है। उन्होंने कहा, 'कई मौकों पर हमें एहसास हुआ है कि बंगाल से सबक लेने की जरूरत है। वहां जो हुआ, वह हमारी आंखें खोलने वाला था। जब मैं हम की बात करता हूं तो मेरा मतलब पूरे लेफ्ट आंदोलन से है ना कि किसी एक व्यक्ति या फिर पार्टी से।' केरल में बीजेपी के बढ़ते ग्राफ को उन्होंने चिंताजनक बताया।

 

उन्होंने कहा, 'यह एक गंभीर मुद्दा है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। बीजेपी की विचारधारा केरल के लिए एक बड़ा खतरा है और इसका मजबूती से मुकाबला करने की जरूरत है। कम्युनिस्ट आंदोलन की जिम्मेदारी है कि वह इस चुनौती को समझे। हमें अल्पसंख्यकों को साफ संदेश देना होगा कि हम उनके साथ मजबूती से खड़े हैं और उनके अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे।' उन्होंने कहा कि बीजेपी की विचारधारा सेक्युलरिज्म के खिलाफ है और हमारे लिए सेक्युलरिज्य (धर्मनिरपेक्षता) ही एक रास्ता है।

 

यह भी पढ़ें- कांग्रेस से लाकर लगाया दांव, पंजाब में BJP के कितने काम आए 'बाहरी' नेता?

 

क्या बोले एक्सपर्ट?

कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता केली वेणुगोपाल बीजेपी की इस जीत पर हो रही मीडिया कवरेज से परेशान हैं। उन्होंने इसे हंसी का पात्र बताया लेकिन जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के लिए केरल में बीजेपी का बढ़ता ग्राफ चिंताजनक है। जानकारों का मानना है कि इस बार की जीत बीजेपी के लिए एक टर्निंग प्वाइंट की तरह है और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए अहम है।

 

बीबीसी न्यूज ने राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर जे प्रभाष के हवाले से लिखा, ' यह हार एलडीएफ के लिए साख गिरने वाली बात है। एलडीएफ के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी है। तिरुवनंतपुरम में भी एलडीएफ के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी है। राज्य में अब तक कमजोर कड़ी कांग्रेस ने इस बार अपनी सीटों की संख्या बढ़ा दी है।'

 

कुछ जानकारों का मानना है कि बीजेपी के लिए यह जीत बहुत अहम है। हालांकि, कांग्रेस के लिए अगले साल का चुनाव आसान बताया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि अगर कांग्रेस कोई गलती नहीं करती तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार बना सकती है। बीजेपी भी राज्य में धीरे-धीरे बढ़त बना रही है। 


और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap