logo

ट्रेंडिंग:

संतों को नहीं रास आ रहे बदले 'मोहन भागवत', वजह क्या है?

संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयानों पर हिंदू समाज के कई संतों ने नाराजगी जाहिर की है। तुलसी पीठ के प्रमुख रामभद्राचार्य ने कहा है कि वह मोहन भागवत के बयानों से असहमत हैं।

Mohan Bhagwat

संघ प्रमुख मोहन भागवत (तस्वीर-PTI)

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय संत समिति (AKSS) ने सोमवार को मोहन भागवत के हाल ही में दिए गए बयानों की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर मंदिर-मस्जिद विवाद को हवा देने वाले हिंदू नेताओं की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि इससे नए हिंदू नेता तैयार नहीं होंगे।

अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी चितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि ऐसे धार्मिक मामलों का फैसला संघ के बजाय 'धर्माचार्यों' को करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'जब धर्म का विषय उठता है तो धार्मिक गुरुओं को निर्णय लेना होता है। वे जो भी निर्णय लेंगे, उसे संघ और विहिप स्वीकार करेंगे।'

मोहन भागवत पहले भी ऐसे बयान दे चुके हैं। चितेंद्रानंद सरस्वती का दावा है कि अब 56 नए स्थलों की पहचान हुई है जो मस्जिद की शक्ल में हैं लेकिन मंदिर के निशान वहां मिल रहे हैं। हिंदू पक्ष का तर्क है कि न्याय होना चाहिए, धार्मिक स्थलों का सर्वे होना चाहिए। अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव चितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि धार्मिक संगठन अक्सर राजनीतिक एजेंडे की तरह नहीं काम करते हैं। धार्मिक संगठन जनभावनाओं पर काम करते हैं।

क्यों 'अपनों' के निशाने पर हैं मोहन भागवत
मोहन भागवत अपने ताजा बयानों की वजह से संत समाज के निशाने पर हैं। उन्हें जिन धर्माचार्यों से सम्मान मिलता था, वे ही उनके कामकाज पर सवाल उठा रहे हैं। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरा नंद से लेकर रामभद्राचार्य तक उनके बयानों को गलत बता चुके हैं। तुलसी पीठ के रामभद्राचार्य जैसे धार्मिक गुरुओं का मानना ​​है कि संघ को धर्म से जुड़े फैसलों में आध्यात्मिक हस्तियों का सम्मान करना चाहिए। संतों के रुख से यह साफ लग रहा है कि मोहन भागवत अपने पुराने अंदाज से हट रहे हैं, जिसे लेकर धार्मिक नेताओं में आक्रोश है।  

मोहन भागवत ने कहा क्या था?
संभल से वाराणसी तक हिंदू पक्षकारों ने मस्जिदों के सर्वे के लिए कानूनी याचिका अलग-अलग अदालतों में दायर की है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये धार्मिक स्थल हिंदुओं के हैं, जिन्हें गिराकर मस्जिद बनाए गए हैं। यूपी के संभल की शाही जामा मस्जिद पर भी इसी तरह का विवाद है।  मंदिर-मस्जिद विवाद पर ही मोहन भागवत ने चेतावनी देने के लहजे में कहा था कि मंदिर-मस्जिद विवाद को उठाकर और सांप्रदायिक विभाजन फैलाकर कोई भी हिंदुओं का नेता नहीं बन सकता।' 

राम भद्राचार्य ने क्या कहा था?
तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने कहा था, 'मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मोहन भागवत हमारे अनुशासनकर्ता नहीं हैं, लेकिन हम हैं। सकारात्मक पक्ष यह है कि चीजें हिंदुओं के पक्ष में सामने आ रही हैं। हम इसे अदालतों, वोटों और जनता के समर्थन से यह तय करेंगे कि जीत हमारी हो।

शंकराचार्य ने क्या कहा था?
उत्तराखंड में ज्योतिर्मठ पीठ के शंकरचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा था, 'जब उन्हें सत्ता चाहिए थी तब वे मंदिरों के बारे में बोलते रहे. अब जब उनके पास सत्ता है तो वे मंदिरों की तलाश ना करने की सलाह दे रहे हैं. अतीत में आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए मंदिरों की सूची बनाकर उनका एएसआई से सर्वेक्षण कराया जाना चाहिए.' 

एक जमाने में मोहन भागवत के समर्थन में बोलने वाले संत समाज ने ही उनके हालिया बयानों की वजह से उनसे अलग रुख अख्तियार कर लिया है। 

Related Topic:#Mohan Bhagwat

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap