कभी 'हिंदुत्व' के लिए बीजेपी से भी ज्यादा तीव्र कट्टर विचारधारा रखने वाली शिवसेना पिछले पांच साल से 'सेक्युलर' विचारधारा के रास्ते पर चल रही है। लेकिन जो लोग शिवसेना को उनकी अग्रेसिव राजनीति के लिए जानते थे उन्होंने उद्धव ठाकरे की शिवसेना से मुंह मोड़ लिया है। ज्यादातर शिवसैनिक एकनाथ शिंदे की शिवसेना की तरफ मुड़ गए हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उद्धव ठाकरे की सियासी जमीन हिल गई है। पार्टी की मूल विचारधारा को त्यागने के बाद उद्धव ठाकरे कट्टरपंथी हिंदुत्व की जमीन पर फिर से लौटने की कवायद में जुट गए हैं। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को बीजेपी से सवाल करते हुए किया कि देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न वीर सावरकर को अभी तक क्यों नहीं दिया गया?
महाविकास अघाड़ी को झटका!
उद्धव मंगलवार को विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में भाग लेने के लिए नागपुर पहुंचे थे। इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने 'इंडिया गठबंधन/महाविकास अघाड़ी' को झटका देते हुए बीजेपी को शुभ संकेत दिए।
वीर सावरकर को भारत रत्न, कयास कई
उद्धव ठाकरे द्वारा वीर सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की मांगने के पीछे कई कयास लगाए जा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा कयास यही है कि क्या उद्धव ने वीर सावरकर के बहाने बीजेपी/एनडीए में आने के संकेत दे दिए हैं। अगर लोकसभा चुनाव 2024 से पहले की बात करें तो बीजेपी की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय लोकदल (RLD) की मांग पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिया था, जिसके फौरन बार जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए थे।
मांग को दोहराया
ठाकरे ने कहा, 'महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से सीएम थे तो उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर सावरकर को भारत रत्न सम्मान देने का अनुरोध किया था। आज भी वह मुख्यमंत्री हैं और उनकी मांग पर विचार नहीं किया गया है। ऐसे में फिर बीजेपी को सावरकर पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। मैं अपनी मांग दोहराता हूं कि देश का सर्वोच्च सम्मान सावरकर को दिया जाना चाहिए।'
महत्वपूर्ण विकास के मुद्दों पर ध्यान लगाएं
इसके साथ ही ठाकरे ने बीजेपी और कांग्रेस से जवाहरलाल नेहरू और विनायक सावरकर से जुड़ी ऐतिहासिक बहसों से आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने दोनों पार्टियों से देश के अहम और महत्वपूर्ण विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, 'नेहरू और सावरकर दोनों ही ऐतिहासिक शख्सियत हैं जिन्होंने देश के लिए अपना योगदान दिया। आज हमें विकास, किसानों के मुद्दों को उठाने, बुनियादी ढांचे में सुधार और बेरोजगारी को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।'
फडणवीस से बंद कमरे में मुलाकात
बता दें कि उद्धव ठाकरे ने नागपुर में विधानमंडल परिसर में सीएम देवेंद्र फडणवीस के कार्यालय में जाकर उनसे मुलाकात करके उन्हें बधाई दी। इस दौरान उनके साथ पार्टी नेता आदित्य ठाकरे, अनिल परब, वरुण सरदेसाई और अंबादास दानवे भी मौजूद रहे। बाद में उद्धव और फडणवीस ने एक बंद कमरे में 10-15 मिनट तक बैठक की। इसके अलावा उद्धव ने विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर से भी मुलाकात की।
हालांकि, उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे महाराष्ट्र में सुसंस्कृत राजनीतिक माहौल की उम्मीद है। हम चुनाव नहीं जीत पाए, उन्होंने चुनाव जीता और सरकार बनाई। हम इस सरकार से उम्मीद करते हैं कि सरकार राज्य के हित में काम करेगी और महाराष्ट्र के फायदे के लिए फैसले लेगी।
कांग्रेस की ओर से चुप्पी देखने को मिली
मंगलवार को उद्धव ठाकरे की सावरकर को भारत रत्न देने की मांग पर कांग्रेस की ओर से चुप्पी देखने को मिली। देर शाम तक, कांग्रेस ने सहयोगी दलों के बीच राजनीतिक रूप से संवेदनशील दरार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। ठाकरे की यह मांग लोकसभा में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा संविधान पर उनके विचारों और अंग्रेजों से माफ़ी मांगने के लिए सावरकर की आलोचना करने के कुछ ही दिनों बाद आई है।
इस घटनाक्रम के बीच में देखने वाली बात ये है कि उद्धव ठाकरे की सावरकर को भारत रत्न देने की मांग पर कांग्रेस चुप्पी साधे हुए है। वहीं, दूसरी देखने वाली बात ये हे कि में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा संविधान पर सावरकर के विचारों और अंग्रेजों से माफी मांगने के लिए सावरकर की आलोचना करने के कुछ ही दिनों बाद आई है।