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'सितंबर में कुछ बड़ा होगा'; जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर विपक्ष के सवाल

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है। हालांकि, विपक्षी नेताओं ने इस पर सवाल खड़े किए हैं।

jagdeep dhankar

जगदीप धनखड़। (Photo Credit: PTI)

संसद के मॉनसून सत्र के पहले ही दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया। न्होंने इस्तीफे की पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। न्होंने तत्काल प्रभाव से पद छोड़ते हुए अनुच्छेद 67(A) के तहत राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा। उन्होंने कहा, 'अपनी सेहत को प्राथमिकता देने और डॉक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं अनुच्छेद 67(A) के अनुसार तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूं'

 

74 साल के धनखड़ 2022 में उपराष्ट्रपति बने थे। उनका कार्यकाल 2027 तक था। राज्यसभा के सभापति के रूप में धनखड़ का विपक्ष के साथ अक्सर टकराव होता रहता था। उन्हें पद से हटाने के लिए विपक्ष ने महाभियोग का प्रस्ताव भी पेश किया था, जो खारिज हो गया था।

 

दिलचस्प बात यह है कि इसी महीने एक कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा था कि ईश्वर ने चाहा तो वे सही समय पर रिटायर हो जाएंगे। उन्होंने कहा था, 'ईश्वर ने चाहा तो, मैं सही समय पर अगस्त 2027 में रिटायर हो जाऊंगा।

 

धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर अब सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इसे 'चौंकाने वाला' बताया है।

धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस क्या कहा?

जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने धनखड़ के इस्तीफे को 'अप्रत्याशित' बताया है।

 

उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'पूरी तरह से अप्रत्याशित है और इसमें जो दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा है।' उन्होंने कहा, 'उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा देना जितना चौंकाने वाला है, उतना ही समझ से परे भी'

 

जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ ने मंगलवार दोपहर 1 बजे कार्य मंत्रणा समिति की बैठक तय की थी। उन्हें न्यायपालिका से जुड़ी बड़ घोषणाएं करनी थीं।

 

वहीं, कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों के चलते इस्तीफा दिया है और इस पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'हमें इसे स्वीकार करना होगा और आगे बढ़ना होगा। निजी तौर पर मुझे अच्छा नहीं लगा। उनके साथ मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं। कोई बुरी भावना नहीं है। वे अपनी बात कह देते थे, दिल में बात नहीं रखते थे। हालांकि, हमारी विचारधाराएं मिलती नहीं थीं, पर वे कभी दिल में बात नहीं रखते थे। जब मैं राज्यसभा में बोलने के लिए ज्यादा समय चाहता था, तो वह मुझे अधिक समय देते थे'

 

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सोमवार को कुछ तो हुआ हैः जयराम रमेश

जयराम रमेश ने दावा किया है कि धनखड़ के इस्तीफे के पीछे कोई और कारण है। जयराम रमेश ने दावा किया, 'कल जगदीप धनखड़ ने दोपहर साढ़े 12 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की थी। इसमें सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सहित ज्यादातर सदस्य मौजूद थे। कुछ चर्चा के बाद, कार्य मंत्रणा समिति ने शाम साढ़े चार बजे फिर बैठक करने का निर्णय लिया'

 

उन्होंने कहा, 'शाम साढ़े चार बजे कार्य मंत्रणा समिति जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में फिर बैठक हुई। इस बैठक में नड्डा और रिजिजू के आने का इंतजार हो रहा था। वे नहीं आए'

 

 

उन्होंने दावा किया कि धनखड़ को इस बारे में नहीं बताया गया था कि बैठक में दोनों नेता नहीं आ रहे हैं। इसलिए उन्होंने समिति की बैठक मंगलवार के लिए टाल दी थी।

 

जयराम रमेश ने कहा, 'सोमवार दोपहर 1 बजे से शाम साढ़े 4 बजे के बीच कुछ बहुत गंभीर घटना हुई जिसके कारण नड्डा और रिजिजू दूसरी बैठक में जानबूझकर गैरमौजूद रहे।' उन्होंने कहा, 'बेहद चौंकाने वाला कदम उठाते हुए जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसकी वजह अपनी सेहत को बताया है। हमें इसका मान रखना चाहिए लेकिन सच्चाई यह भी है कि इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं'

गौरव गोगोई ने 'चौंकाने वाला' बताया

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में उपनेता गौरव गोगोई ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को 'चौंकाने वाला' कदम बताया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को साफ करना चाहिए कि क्या उन्हें उनके इस्तीफे की जानकारी थी।

 

 

गौरव गोगोई ने कहा, 'उपराष्ट्रपति का इस्तीफा चौंकाने वाला है। मैं धनखड़ जी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं लेकिन केंद्र सरकार यह साफ करे कि क्या उसे पहले से इसकी सूचना थी और क्या उसने नया उपराष्ट्रपति चुनने के लिए योजना बनाई थी। कल उपराष्ट्रपति की अध्यक्षता में हुई बैठक में वरिष्ठ मंत्रियों की अनुपस्थिति अब और भी महत्वपूर्ण हो गई है'

 

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समाजवादी पार्टी ने क्या कहा?

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, 'उनके इस्तीफे को लेकर हमें जो जानकारी मिली है, वह यह कि उन्होंने स्वास्थ्य को लेकर यह फैसला लिया है। यह किसी का व्यक्तिगत फैसला है। इसमें हम क्या राजनीतिक मायने निकालें'

 

वहीं, अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद ने उनसे इस्तीफा वापस लेने की मांग भी की। उन्होंने कहा, 'कल मैंने उन्हें राज्यसभा की कार्यवाही बहुत ही सुचारू ढंग से कराते देखा था। कहीं पर ऐसा नहीं लग रहा था कि उनकी तबियत खराह है। रात में अचानक से खबर आई तो मैं चौंक गया। उन्होंने स्वास्थ्य और बीमारी का हवाला दिया है तो इस पर हमें कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए'

 

 

संजय राउत बोले- सितंबर में कुछ होगा

शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने भी उनके इस्तीफे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यहां तक दावा कर दिया कि परदे के पीछे कुछ हो रहा है और सितंबर में कुछ बड़ा होने वाला है।

 

उन्होंने कहा, 'परदे के पीछे कुछ हो रहा है। बड़ी राजनीति हो रही है। पर्दे के पीछे ऐसी बातें हो रही हैं जो जल्दी सामने आ जाएगी। उपराष्ट्रपति जी का इस्तीफा कोई साधारण घटना नहीं है। जो कारण दिया है उनकी हेल्थ का, मैं मानने को तैयार नहीं हूं। खुशमिजाज आदमी हैं, मैदान छोड़ने वाले आदमी नहीं है। मतभेद हो सकते हैं लेकिन मैं देखता हूं कि वे सहजता से मैदान छोड़ने वाले व्यक्ति नहीं हैं'

 

 

संजय राउत ने दावा करते हुए कहा, 'उनकी हेल्थ ठीक है, कल दिनभर मैं उनको देख रहा था, कुछ न कुछ हो रहा है, जल्दी ही पता चलेगा। बहुत कुछ हो सकता है सितंबर में' उन्होंने जाते-जाते दोहराते हुए कहा, 'जरूर सितंबर में कुछ होगा'

 

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पप्पू यादव बोले- खेल तो बहुत ही गहरा है

बिहार की पूर्णिया सीट से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सवाल खड़े हुए हैं। उन्होंने एक पोस्ट में कहा, 'इतनी आसानी से इस्तीफा तो नहीं हुआ है। खेल तो बहुत ही गहरा है, बहुत बड़ा गेम है'

 

उन्होंने X पर इसे लेकर एक और पोस्ट की। इसमें उन्होंने राज्यसभा में जेपी नड्डा के एक बयान शेयर करते हुए उन पर जगदीप धनखड़ का अपमान करने का आरोप लगाया।

 

 

पप्पू यादव ने लिखा, 'क्या उपराष्ट्रपति सह सभापति राज्यसभा का नड्डा जी ने अपमान किया? क्या इससे आहत होकर उन्होंने इस्तीफा दिया? जो भी हो, पर आसन को इस तरह से डिक्टेट करने वाले नड्डा होते कौन हैं? आसन का अपमान करने के लिए उन्हें पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए'

अब आगे क्या होगा?

बीच कार्यकाल में पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ तीसरे उपराष्ट्रपति हैं। उनसे पहले वीवी गिरी और वेंटरमन ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, दोनों ने ही राष्ट्रपति बनने के लिए उपराष्ट्रपति का पद छोड़ा था।

 

नियमों के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद के लिए अगले छह महीनों के भीतर चुनाव कराना जरूरी है। हालांकि, राज्यसभा के उपसभापति नए उपराष्ट्रपति के निर्वाचित होने तक सदन की कार्यवाही संचालित कर सकते हैं।

 

उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है। उनका कार्यकाल 5 साल का होता है। अगर कार्यकाल खत्म होने से पहले किसी कारण से उपराष्ट्रपति पद छोड़ देते हैं या उनका निधन हो जाता है तो 6 महीने के भीतर चुनाव कराना जरूरी है।

 

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