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'हमारे दिल में कोई भ्रम नहीं', राज के साथ गठबंधन पर क्या बोले उद्धव?

महाराष्ट्र में मनसे और शिवसेना (यूबीटी) के बीच सियासी खिचड़ी पकने लगी है। दोनों दल नगर निगम चुनाव में एक साथ आ सकते हैं। दोनों की तरफ से स्पष्ट संकेत भी मिलने लगे हैं।

Uddhav Thackeray.

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे। (Photo Credit: X/@uddhavthackeray)

महाराष्ट्र की सियासत में नई हलचल शुरू होने लगी है। माना जा रहा है कि उद्धव और राज ठाकरे तमाम मतभेदों को भुलाकर एक साथ आ सकते हैं। मुंबई नगर निगम चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (UBT) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) नए समीकरण बनाने में जुट गई है। शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उद्धव ठाकरे ने बड़ा बयान दिया। जब उनसे राज ठाकरे के बारे में पूछा गया तो उद्धव ने कहा, 'महाराष्ट्र की जनता के दिल में जो होगा, वही होगा। हमारे और हमारे शिवसैनिकों के दिल में कोई भ्रम नहीं है, उनमें (मनसे) भी कोई भ्रम नहीं है।'

 

दूसरी तरफ बुधवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता प्रकाश महाजन ने कहा, 'अगर शिवसेना (UBT) दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर वाकई गंभीर है तो आदित्य ठाकरे को आगे आकर राज ठाकरे से मिलना चाहिए। यदि किसी जूनियर नेता को बातचीत के लिए भेजा गया तो राज ठाकरे भी किसी जूनियर पदाधिकारी को भेजेंगे।'

 

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एक साथ आने में कोई बुराई नहीं: महाजन

प्रकाश महाजन का कहना है, 'अगर उद्धव और राज ठाकरे एक साथ आते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। हमने (मनसे) 2014 और 2017 में भी यह प्रयोग किया था। अगर वे गंभीर हैं तो इसमें कोई समस्या नहीं है। प्रकाश महाजन ने सुझाव दिया कि अगर वाकई गठबंधन करना है तो आदित्य ठाकरे को आगे आकर राज साहब की बात को समझना चाहिए। आदित्य ठाकरे के आने पर दोनों पक्ष गंभीरता को समझेंगे। मराठी लोगों में एक साथ आने की भावना है।'  

 

 

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उद्धव और राज ठाकरे ने क्या कहा?

प्रकाश महाजन के बयान से एक दिन पहले आदित्य ठाकरे ने भी कहा था कि अगर कोई महाराष्ट्र के हितों की रक्षा के उद्देश्य से साथ आना चाहता है तो हम उन्हें भी साथ लेकर चलेंगे। बता दें कि उद्धव और राज ठाकरे चचेरे भाई हैं। दोनों लगभग दो दशकों से अलग हैं। हाल ही में एक साथ आने के संकेत दिए हैं। दोनों नेताओं का कहना है कि महाराष्ट्र के हित में मामूली मुद्दों को नजरअंदाज कर सकते हैं। एक बयान में राज ठाकरे कह चुके हैं कि मराठी मानुस के हित में एकजुट होना मुश्किल नहीं है। जवाब में उद्धव ने भी कहा कि वे मामूली झगड़े को अलग रखने को तैयार हैं। शर्त यह है कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को शामिल न किया जाए।

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