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हिमाचल प्रदेश के समोसा मार्च की कहानी क्या है?

हिमाचल प्रदेश में समोसे पर CID जांच बैठ गई। कभी सोचा है कि हिमाचल में समोसे पर सियासी रार की कहानी क्या है?

Himachal Pradesh Chief Minister Sukhvinder Singh Sukhu

समोसे पर घिर गए हैं सुखविंदर सिंह सुक्खू। (क्रिएटिव इमेज)

हिमाचल प्रदेश के सियासी गलियारों में 'समोसे'पर सियासी रार मची है। भारतीय जनता युवा मोर्चा के सदस्यों ने राजधानी शिमला में 'समोसा मार्च' निकाला है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद सिंह सुक्खू के लिए भेजे गए समोसे की CID जांच अब राज्य में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए सियासी मुद्दा है। 

सीएम सुखविंद सिंह सुक्खू के लिए मंगाए गए समोसे को गलती से उनके कर्मचारियों को परोस दिया गया था। सरकारी कार्यक्रम के दौरान मंगाए गए इस समोसे पर बीजेपी का दावा है कि सीआईडी जांच कांग्रेस सरकार ने बिठा दी है। बीजेपी के लिए कांग्रेस सरकार की आलोचना के लिए यह नया सियासी मौका है। 

कांग्रेस सरकार का कहना है कि CID दफ्तर में दुर्व्यवहार के किसी केस की जांच हुई थी लेकिन विपक्ष और मीडिया ने इसे समोसे पर सीआईडी जांच के मामले की तरह प्रसारित किया है। बीजेपी के नेता, समोसे पर भड़के सियासी रार पर जमकर चुटकी ले रहे हैं। आलम ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने समोसा पार्टी तक कर ली।

CID को देनी पड़ी सफाई
CID तक इस जांच की आंच आई। डिप्टी जनरल संजीव रंजन ओझा ने कहा, 'यह CID का आंतरिक मामला है। इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री समोसा नहीं खाते हैं। हमने किसी को नोटिस नहीं दिया है, सिर्फ यह पता लगाने की कोशिश की है कि क्या हुआ है। सरकार का इससे लेना-देना नहीं है। हम ये पता लगाएंगे कि जानकारी कैसे लीक हुई है?'

हिमाचल प्रदेश CID यह पता कर रही है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए भेजे गए समोसे और केक, गलती से कैसे उनके स्टाफ को परोसे गए। यह घटना 21 अक्तूबर की है। समोसा गायब होने की जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी ने की। कौन से अधिकारी और कर्मचारी इस चूक में शामिल थे, यह जांच हुई है।

हिमाचल में कैसे हुआ समोसा कांड?

मुख्यमंत्री सुक्खू साइबर विंग  के नए सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (CFCFRMS) स्टेशन का उद्घाटन करने सीआईडी के दफ्तर गए थे। मुख्यमंत्री की जगह, उनके स्टाफ को समोसे परोस दिए गए। इसकी आंतरिक सीआईडी जांच हुई। डीजीपी अतुल वर्मा ने कहा कि केस की जांच सीआईडी कर रही है, न की पुलिस मुख्यालय इसकी जांच कर रहा है।

जांच रिपोर्ट बताती है कि एक इंस्पेक्टर जनरल (IG) अधिकारी ने एक सब इंस्पेक्टर से शिमला के लक्कड़ बाजार के एक पांच सितारा होटल से खआना मंगवाने को कहा। उसने एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) और एक हेड कांस्टेबल को समोसा और केक के डिब्बे दिए। उन्होंने एक इंस्पेक्टर रैंक की महिला अधिकारी को यह सौंप दिया। अधिकारी को इस बारे में पता नहीं था कि इसे किसके पास भेजना है, उन्होंने इसे सीनियर अधिकारी के कार्यालय में भेज दिया, जहां से वे अलग-अलग जगहों में बंट गए। 


जब इस पूरे प्रकरण में शामिल अधिकारियों से सवाल किया गया तो नई बात पता चली। टूरिज्म डिपार्टमेंट से पता करने पर यह जानकारी मिली कि यह सीएम के मेन्यू में था ही नहीं। जांच में यह निकलकर सामने आया कि एक मोटर ट्रांसपोर्ट अधिकारी और हेड असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के पास मुख्यमंत्री को जल-पान कराने की जिम्मेदारी थी। महिला इंस्पेक्टर को यह बताया ही नहीं गया था कि डिब्बों के अंदर रखी चीजें मुख्यमंत्री के लिए मंगाई गई हैं।



इंस्पेक्टर ने डिब्बों को बिना खोले मोटर एंड ट्रांसपोर्ट सेक्शन में भेज दिया। आईजी के अर्दली और एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने गवाही दी कि डिब्बों को एक सब इंस्पेक्टर और हेड कांस्टेबल ने खोला था। ये डीएसपी और आईजी कार्यालय के कर्मचारियों के लिए थे। इन निर्देशों का पालन करते हुए कमरे में मौजूद 10 से 12 लोगों को चाय के साथ समोसे परोसे गए। 

CID रिपोर्ट बताती है कि केवल एक सब इंस्पेक्टर को ही पता था कि बक्सों में मुख्यमंत्री के लिए समोसे मंगाए गए हैं। महिला इंस्पेक्टर ने इन्हें एमटी डिपार्टमेंट में भेज दिया। अनजाने में इसे मुख्यमंत्री के कर्मचारियों को सौंप दिया गया।  

बीजेपी को बैठे-बिठाए मिला मौका
कांग्रेस सरकार पर हमले का एक मौका और बीजेपी को मिल गया है। पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा, 'सीएम सुक्खू ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिनकी वजह से जग हंसाई हो रही है।' उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि समोसे खाने को सरकार विरोधी काम तक बता दिया गया। गंभीर आरोपों पर सरकार जांच के आदेश ही नहीं देती है और समोसे पर सीआईडी जांच बिठा देती है।

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