राष्ट्रीय स्वयं सेवक (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि धर्म के नाम पर पूरी दुनिया में किया जा रहा अत्याचार धर्म की गलत समझ और व्याख्या की वजह से है। संघ प्रमुख ने कहा है कि समाज को धर्म का सही अर्थ पता होना चाहिए, धर्म के सही अर्थ को समझने की जरूरत है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'भगवान ब्रह्मदेव भी उस व्यक्ति को नहीं समझा सकते जो अज्ञानी है लेकिन आत्म प्रशंसा से भरा हुआ है। उन्होंने कहा है कि अपूर्ण और अनैतिक धार्मिक ज्ञान ही अधर्म है।'
'धर्म का अर्थ समझाना मुश्किल'
मोहन भागवत भानखेड़ के गोविंद गुरुकुल में एक कार्यक्रम के समापन समारोह में यह बातें कहीं हैं। मोहन भागवत ने कहा कि किसी व्यक्ति को धर्म का सही अर्थ समझाना मुश्किल काम है।
'तर्क बिना बेकार हैं संप्रदाय'
मोहन भागवत ने कहा, 'हमें एक संप्रदाय की जरूरत है जो लोगों को सही अर्थों में धर्म समझाएं। बिना तार्किकता के ऐसे संप्रदाय निरर्थक साबित होंगे। तार्किक सोच, अच्छे समाज को आकार देने में मददगार होती है।' मोहन भागवत ने कहा कि संघ भविष्य में भी लोगों की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ावा देगा। अमरावती में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने रविवार को यह बातें कही हैं।
धार्मिक एकता पर RSS की सीख क्या है?
मोन भागवात अब अलग-अलग संप्रदायों के बीच एकता की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि मतभेद की वजह से दुश्मनी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने हिंदू सेवा महोत्सव के दौरान कहा था कि यह दशकों के संघर्ष के बाद बना है। उन्होंने कहा कि अब रोज नए-नए मुद्दे उठाने से समाज का विभाजन होगा।
मोहन भागवत के बयानों पर क्या बोल रहे धार्मिक नेता?
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मोहन भागवत के बयानों की आलोचना की थी। अब रामभद्राचार्य ने भी कहा है कि उनके बयान गलत हैं, वे हमारे नेता हैं। रामभद्राचार्य ने कहा है कि जो धार्मिक स्थल हमारे हैं, हम उन्हें लेकर रहेंगे। चाहे इसके लिए हमें वोट से बदलना पड़े या कोर्ट से। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत के बयानों से वे सहमत नहीं हैं।