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राहुल गांधी संभल जाने से रोके गए तो हाथरस का रुख क्यों कर लिया?

राहुल गांधी को प्रशासन ने संभल जाने से रोका तो उन्होंने हाथरस का रुख कर लिया है। इसके पीछे क्या है रणनीति?

Rahul Gandhi : PTI

राहुल गांधी । पीटीआई

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राहुल गांधी इस वक्त लगातार उत्तर प्रदेश में योगी सरकार को घेरने में लगे हुए हैं। उन्हें संभल जाने से प्रशासन ने रोका तो उसके कुछ ही दिन बाद वह अब हाथरस में साल 2020 की बलात्कार पीड़िता दलित युवती के परिवार से मिलने के लिए बूलागढ़ी गांव पहुंच गए हैं।

 

इसके पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने दिल्ली के 10 जनपथ स्थित सोनिया गांधी के आवास पर संभल में मारे गए पांच युवकों के परिवारवालों से भी मुलाकात की थी।

 

उनके हाथरस पहुंचने से एक बार फिर से तूफान खड़ा हो गया है। बीजेपी नेताओं ने इस पर पलटवार करना शुरू कर दिया है।

 

यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि, 'राहुल गांधी हताश हैं, उन्हें यह भी नहीं पता कि हाथरस मामले की CBI जांच हो चुकी है और मामला कोर्ट में चल रहा है। कभी उन्हें संभल जाना है, कभी अलीगढ़ जाना है।'

 

आगे उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर, कानून-व्यवस्था के मामले में सबसे बेहतर राज्य बनने की ओर अग्रसर है। वे यहां पर लोगों को भड़काकर अराजकता फैलाना चाहते हैं। वे 'कन्फ्यूज़्ड' हैं और 'मामले की उन्हें जानकारी नहीं' है।

 

 

वहीं बीजेपी नेता बलदेव औलख ने कहा कि जब मामला सीबीआई द्वारा जांच के बाद बंद कर दिया गया है तो आखिर राहुल गांधी माहौल खराब क्यों कर रहे हैं।

 

आगे उन्होंने कहा कि जब तक यूपी में योगी आदित्यनाथ हैं तब तक कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है वह यूपी में चाहे जितनी यात्रा कर लें। उन्होंने सिखों के परिवारवालों के साथ किए गए अत्याचार के लिए कभी भी माफी नहीं मांगी।

 

जबकि कांग्रेस नेता चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने कहा, 'राहुल जी और प्रियंका जी उन नेताओं में से हैं जो कि पूरे देश में पीड़ितों के संपर्क में रहते हैं। राहुल जी उनके परिवार के भी संपर्क में रहे हैं।'

हाथरस क्यों जा रहे राहुल गांधी

यूपी में अभी संभल का मामला गरमाया हुआ है. पुलिस ने राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं को संभल में जाने नहीं दिया. ऐसे में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाथरस के पीड़िता परिवार ने पत्र लिखकर राहुल गांधी को सूचित किया कि उन्हें सरकारी वादे के मुताबिक न तो अभी तक घर मिला है और न ही सरकार नौकरी. पीड़ित परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस वक्त सीआरपीएफ के पास है. हालांकि, इंडिया के मुताबिक एक इंटरव्यू में परिवार ने कहा था कि वह इसकी वजह से 'जेल-जैसी' परिस्थिति में रह रहे हैं, क्योंकि उनके किसी से मिलने-जुलने पर कई तरह के प्रतिबंध हैं.

 

क्या था मामला

14 सितंबर 2020 को हाथरस के बूलागढ़ी गांव में 19 साल की एक युवती घायल अवस्था में मिलती है। फिर उसकी मां और भाई उसे स्थानीय चंदपा थाने लेकर जाते हैं। थाने में पीड़िता के भाई ने आरोप लगाया कि उसकी बहन के साथ संदीप ने गलत काम किया है। 

 

इसके अगले दिन 15 सितंबर को एफआईआर दर्ज करवाई गई जिसमें लिखा गया था कि पीड़िता अपने मां के साथ चारा काटने गई थी, तभी गांव के युवक संदीप ने आकर उसे घसीटा और गला दबाकर मारने की कोशिश की। बाद में 19 सिंतबर को पीड़िता ने बयान दिया कि संदीप के साथ दो अन्य लड़के भी थे जिन्होंने उसके साथ छेड़छाड़ की और उसकी जबान काट दी।

 

पीड़िता के बयान के आधार पर गिरफ्तारी की गई। पुलिस ने सभी चारों आरोपियों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। लेकिन तब यह मामला और सुर्खियों में आ गया जब पीड़िता की इलाज के दौरान मौत के बाद उसका शव गांव पहुंचा और अगले दिन तड़के 3 बजे ही पुलिस की मौजूदगी में अंधेरे में उसका अंतिम संस्कार करवा दिया गया।

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