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राहुल गांधी ने ऐसा क्या लिखा कि भड़के रजवाड़े?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक अखबार में लेख क्या लिखा, सोशल मीडिया पर हंगामा बरप गया। हंगामे की वजह भी बेहद दिलचस्प है।

Rahul Gandhi Article on Royal Families

ज्योतिरादित्य सिंधिया, राहुल गांधी और दिया कुमारी। (फाइल फोटो)

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक ऐसी चिट्ठी लिखी है, जिस पर राज परिवारों से आने वाले नेता भड़क गए हैं। राहुल गांधी ने अपनी चिट्ठी में उद्योगपतियों से लेकर राजा-महाराजाओं तक को बुरी तरह लताड़ा है। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी का जिक्र करते हुए कहा है कि अंग्रेजों ने भारत को खामोश कर दिया था, उन्होंने राजा, महाराजा और नवाबों को पैसे देकर अपने पक्ष में कर लिया था और सत्ता का एकाधिकार एक कंपनी को सौंप दिया था। लालची राजाओं, महाराजाओं और नवाबों ने इसे स्वीकार कर लिया था। 

राहुल गांधी ने ईस्ट इंडिया कंपनी पर का जिक्र करते हुए लिखा कि कंपनी व्यापार और प्रतिस्पर्धा तक कंट्रोल करने लगी थी। कंपनी यह तय करने लगी थी कि कौन क्या बेचेगा। मुझे बिजनेस की समझ नहीं है लेकिन मुझे ये पता कि किसी एक क्षेत्र में अफीम का उत्पादन, किसी दूसरी जगह पर नशेड़ियों को तैयार करता है।  उन्होंने भारत को लूटा, ब्रिटेन के नागरिकों के साथ आदर्श कॉर्पोरेट की तरह व्यवहार किया। इसे दुनिया ने पसंद किया। 

राहुल गांधी की किस बात पर गुस्साए रजवाड़े?
राहुल गांधी ने रजवाड़ों को लेकर ऐसी बात कही है, जिस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिया कुमारी जैसे दिग्गज नेता भड़क गए हैं। उन्होंने लिखा, 'भारत को ईस्ट इंडिया कंपनी ने खामोश कर दिया था। उन्होंने व्यापारिक ताकत से नहीं, अपनी मजबूत पकड़ से ऐसा किया था। कंपनी ने हमारे कमजोर महाराजाओं और नवाबों के साथ साझेदारी करके, उन्हें रिश्वत देकर और धमकाकर भारत का गला घोंट दिया। कंपनी ने बैंकिंग, अफसरशाही और सूचना तंत्र को नियंत्रित किया। हमने अपनी आज़ादी किसी दूसरे देश के हाथों नहीं खोई; हमने इसे एक एकाधिकारवादी निगम के हाथों खो दिया, जिसका तंत्र दमनकारी था।'

राहुल गांधी को घायल नजर आ रहीं भारत माता
राहुल गांधी ने लिखा, 'असली ईस्ट इंडिया कंपनी तो 150 साल पहले खत्म हो गई थी लेकिन अब एक नया डर पैदा हो गया है। एकाधिकारवादियों की एक नई खेप पैदा हो गई है। उन्होंने अकूत संपत्ति अर्जित कर ली है। अब भारत अन्य लोगों के लिए और ज्यादा असमान और अन्यायपूर्ण हो गया है। हमारी संस्थाएं, हमारे लोगों की नहीं रह गई हैं। लाखों उद्योग भारत में तबाह हो गए हैं, लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है। भारत माता अपने सभी बच्चों की मां है, एकाधिकार की वजह से उसके संसाधनों और शक्तियों से कुछ लोगों के लिए, बड़े लोगों को वंचित कर दिया गया है, जो उसे घायल कर रहा है।'

किसका डर दिखा रहे हैं राहुल गांधी?
राहुल गांधी ने लिखा, 'भारत के प्रगतिशील बिजनेल लीडर्स को एकाधिकारवाद से डर लगता है। क्या आपको फोन पर बात करने से डर लगता है, क्या क्या एकाधिकारवादी आपके राज्य में घुसकर आपको कुचल देंगे? क्या आपसे, तब सब छीन लिया जाएगा, जब आपको उसकी सबसे ज्यादा जरूरत रहेगी? आप जब इन एकाधिकारवादियों से लड़ रहे होते हैं तो आप कंपनी के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं, राज्य की मशीनरी से लड़ रहे होते हैं। उनके पास संस्थानों और रेग्युलेटर्स को नियतंत्रित करने की क्षमता है। आपके दिलों में डर है। लेकिन उम्मीद भी है।'

क्यों राहुल गांधी पर भड़के हैं रजवाड़े?
राहुल गांधी की चिट्ठी पर उनके पुराने साथी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भड़क गए हैं। सिंधिया राजघराने के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लिखा, 'नफरत बेचने वालों को भारतीय गौरव और इतिहास पर व्याख्यान देने का कोई अधिकार नहीं है। भारत की समृद्ध विरासत के बारे में राहुल गांधी की अज्ञानता और उनकी उपनिवेशवादी मानसिकता ने सभी हदें पार कर दी हैं। अगर आप राष्ट्र के उत्थान की बात करते हैं तो भारत माता का अपमान करना बंद करें और महादजी सिंधिया, युवराज बीर टिकेंद्रजीत, कित्तूर चेनम्मा और रानी वेलु नचियार जैसे सच्चे भारतीय नायकों के बारे में जानें, जिन्होंने हमारी आजादी के लिए जंग लड़ी।'

भारतीय जनता पार्टी की नेता और राजस्थान की डिप्टी चीफ मिनिस्टर दिव्या कुमारी ने कहा, 'राजघरानों को की छवि धूमिल करने वाली राहुल गांधी की मानसिकता की मैं निंदा करती हूं। उन्होंने राजघरानों की छवि धूमिल करने के लिए संपादकीय लिखा है। एक भारत का सपना केवल इसलिए सच हो सका क्योंकि देश के राजपरिवारों ने अपनी रियासतें संपर्मित कर दीं। आधारहीन आरोप लगाए गए हैं।'

राहुल गांधी के बयान की लोकसभा सांसद यदुवीर वाडियार ने भी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी का आलेख,आज के भारत के लिए तत्कालीन रियासतों द्वारा किए गए योगदान, भारतीय विरासत के संरक्षण के बारे में उनकी अज्ञानता को दर्शाता है। उन्होंने देश के एकीकरण के लिए कई बलिदान दिया है।

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