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51 शक्तिपीठ: भारत से श्रीलंका तक, ये हैं देवी सती के पवित्र धाम

हिंदू धर्म में 51 शक्तिपीठों का अपना एक विशेष महत्व है। आइए जानते हैं, 51 शक्तिपीठ के नाम और ये किस-किस स्थान पर स्थापित हैं।

Image of Kamakhya Shaktipeeth

कामाख्या शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल(Photo Credit: Wikimedia Commons)

सनातन धर्म में देवी सती के 51 शक्तिपीठों का अपना एक विशेष महत्व है। यह 51 शक्तिपीठ भारत सहित पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, तिबत और श्रीलंका में स्थित हैं। इन शक्तिपीठों में देवी के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्त उमड़ते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन शक्तिपीठों के दर्शन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

कैसे स्थापित हुए 51 शक्ति पीठ?

51 शक्तिपीठों से जुड़ी एक पौराणिक कथा बहुत प्रसिद्ध है। कथा के अनुसार, जब राजा दक्ष ने अपने महल में यज्ञ का आयोजन किया, तब उन्होंने सभी देवताओं को आमंत्रित किया लेकिन भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया गया। जब इसका पता भगवान की पत्नी और राजा दक्ष की पुत्री देवी सती को हुआ, तब वह क्रोधित होकर अपने पिता के पहुंची।

 

राजा दक्ष ने पुत्री के सामने भगवान शिव का अपमान किया, जिससे क्रोधित होकर उन्होंने यज्ञ की अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया। इससे भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए और अपनी पत्नी के जाने के विलाप में उन्होंने देवी सती के शरीर को उठार तांडव नृत्य शुरू कर दिया। इससे सृष्टि का संचालन बिगड़ने लगा। देवताओं ने भगवान विष्णु से इस विनाश को रोकने की विनती की और तब उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र देवी सती के 51 टुकड़े कर दिए। कहा जाता है, जिस-जिस स्थान पर देवी सती के शरीर के अंग गिरे वहां पर शक्तिपीठ स्थापित हुआ।

 

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ये हैं 51 शक्तिपीठ

  • कामाख्या मंदिर (गुवाहाटी, असम): यहां देवी सती की योनि भाग गिर था। यह मंदिर गुवाहाटी में स्थित है और इसे कामाख्या देवी के नाम से जाना जाता है।
  • महाकाली देवी (उज्जैन, मध्य प्रदेश): देवी सती के ऊपरी होंठ उज्जैन के भैरव पर्वत पर गिरे थे। यह शिप्रा नदी के किनारे स्थित है।
  • अलोपी माता (प्रयागराज, उत्तर प्रदेश): देवी सती की उंगली प्रयागराज के संगम तट पर गिरी थी। इसे ललिता और प्रयाग शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है।
  • विशालाक्षी / मणिकर्णिका शक्तिपीठ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश): देवी सती के कर्णफूल (कान के आभूषण) वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर गिरे थे। इसे विशालाक्षी गौरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
  • भवानीपुर शक्तिपीठ (बांग्लादेश): यहां देवी सती की बाएं पांव का पायल गिरा था। यह बांग्लादेश में स्थित है।
  • बहुला देवी मंदिर (बर्धमान, पश्चिम बंगाल): देवी सती का बायां हाथ बर्धमान जिले में गिरा था। यह अजय नदी के किनारे स्थित है।
  • चंद्रनाथ मंदिर (चटगांव, बांग्लादेश): देवी सती का दायां हाथ यहां गिरा था। यह सीताकुंड रेलवे स्टेशन के पास स्थित है।
  • त्रिस्रोता मां भ्रामरी शक्तिपीठ (पंचगढ़, बांग्लादेश): देवी सती का बायां पैर यहां गिरा था। यह सालबाड़ी गांव में स्थित है।
  • जनस्थान शक्तिपीठ (नासिक, महाराष्ट्र): देवी सती की ठोड़ी नासिक में गिरी थी। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा नासिक में है।
  • चंद्रभागा शक्तिपीठ (जूनागढ़, गुजरात): देवी सती का पेट सोमनाथ मंदिर के पास गिरा था। यह जूनागढ़ जिले में स्थित है।
  • मां चिंतपूर्णी मंदिर (उना, हिमाचल प्रदेश): देवी सती के पैर यहां गिरे थे। यह हिमाचल प्रदेश के उना जिले में स्थित है।
  • दाक्षायनी शक्तिपीठ (तिब्बत): देवी सती का दायां हाथ मानसरोवर झील के पास गिरा था। यह तिब्बत में स्थित है।
  • गंडकी चंडी शक्तिपीठ (नेपाल): देवी सती का माथा या मंदिर नेपाल के पोखरा में गंडकी नदी के किनारे गिरा था।
  • मणिबंध शक्तिपीठ (अजमेर, राजस्थान): देवी सती की कलाई यहां गिरी थी। यह अजमेर से 11 किमी दूर पुष्कर के पास स्थित है।
  • इंद्राक्षी शक्तिपीठ (त्रिंकोमाली, श्रीलंका): देवी सती का टखने का आभूषण त्रिंकोमाली में गिरा था।
  • यशोरेश्वरी काली मंदिर (खुलना, बांग्लादेश): देवी सती की हथेली यशोर में गिरी थी। यह खुलना जिले में स्थित है।
  • वैद्यनाथ धाम शक्तिपीठ (झारखंड): देवी सती का हृदय यहां गिरा था। यह झारखंड में स्थित है।
  • ब्रजेश्वरी देवी मंदिर (कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश): देवी सती के दोनों कान यहां गिरे थे। यह कांगड़ा में स्थित है।
  • जयंती शक्तिपीठ- नार्तियांग दुर्गा मंदिर (मेघालय): देवी सती की बायीं जांघ यहां गिरी थी। यह मेघालय के जयंतिया पहाड़ियों पर स्थित है।
  • युगांड्या मंदिर (बर्धमान, पश्चिम बंगाल): देवी सती के दाएं पैर का अंगूठा यहां गिरा था। यह बर्धमान जिले में स्थित है।
  • कालमाधव शक्तिपीठ (अमरकंटक, मध्य प्रदेश): देवी सती का बायां नितंब शोन नदी के किनारे गिरा था। यह अमरकंटक में स्थित है।
  • कालीघाट काली मंदिर (कोलकाता, पश्चिम बंगाल): देवी सती का दायां पैर का अंगूठा कोलकाता के कालीघाट में गिरा था।
  • कंकालीतला मंदिर (बीरभूम, पश्चिम बंगाल): देवी सती की श्रोणि यहां गिरी थी। यह बीरभूम जिले में स्थित है।
  • विभाष शक्तिपीठ (पूर्व मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल): देवी सती का बायां टखना यहां गिरा था। यह कोलकाता से 90 किमी दूर स्थित है।
  • हिंगलाज माता मंदिर (बलूचिस्तान, पाकिस्तान): देवी सती का सिर यहां गिरा था। यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है।
  • रत्नावली शक्तिपीठ (हुगली, पश्चिम बंगाल): देवी सती का दायां कंधा यहां गिरा था। यह हुगली जिले में स्थित है।
  • श्रीशैल शक्तिपीठ (सिलहट, बांग्लादेश): देवी सती की गर्दन यहां गिरी थी। यह सिलहट जिले में स्थित है।
  • महामाया शक्तिपीठ (कश्मीर): देवी सती की गर्दन यहां गिरी थी। यह कश्मीर के पहलगाम जिले में स्थित है।
  • महाशिरा शक्तिपीठ (नेपाल): देवी सती के दोनों घुटने यहां गिरे थे। यह नेपाल के पशुपतिनाथ में स्थित है।
  • बक्रेश्वर मंदिर (बीरभूम, पश्चिम बंगाल): देवी सती की भौंह के बीच का हिस्सा यहां गिरा था। यह बीरभूम जिले में स्थित है।
  • शिवहरकराय शक्तिपीठ (कराची, पाकिस्तान): देवी सती की आंखें यहां गिरी थीं। यह पाकिस्तान के कराची में स्थित है।
  • उजानी शक्तिपीठ (बर्धमान, पश्चिम बंगाल): देवी सती का दायां कलाई यहां गिरा था। यह बर्धमान जिले में स्थित है।
  • नंदिकेश्वरी मंदिर (सैंथिया, पश्चिम बंगाल): देवी सती का हार यहां गिरा था। यह बीरभूम जिले में स्थित है।
  • सुचिंद्रम मंदिर (तमिलनाडु): देवी सती के ऊपरी दांत यहां गिरे थे। यह कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर स्थित है।
  • अट्टहास शक्तिपीठ (पश्चिम बंगाल): देवी सती के निचले होंठ यहां गिरे थे। यह पश्चिम बंगाल में स्थित है।
  • राकिनी शक्तिपीठ (आंध्र प्रदेश): देवी सती का बायां गाल यहां गिरा था। यह आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में स्थित है।
  • कन्याश्रम - सर्वाणी शक्तिपीठ (कन्याकुमारी, तमिलनाडु): देवी सती की पीठ यहां गिरी थी। यह कन्याकुमारी में स्थित है।

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  • सावित्री शक्तिपीठ (कुरुक्षेत्र, हरियाणा): देवी सती का टखना यहां गिरा था। यह हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में स्थित है।
  • रामगिरि शक्तिपीठ (उत्तर प्रदेश): देवी सती का दायां स्तन यहां गिरा था। यह चित्रकूट के पास स्थित है।
  • श्रीपर्वत - श्रीसुंदरी शक्तिपीठ (लद्दाख, कश्मीर): देवी सती का दायां पैर यहां गिरा था। यह लद्दाख में स्थित है।
  • ज्वालाजी शक्तिपीठ (कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश): देवी सती की जीभ यहां गिरी थी। यह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है।
  • सुगंधा शक्तिपीठ (बांग्लादेश): देवी सती की नाक यहां गिरी थी। यह बांग्लादेश के शिकारपुर गांव में स्थित है।
  • त्रिपुरा सुंदरी मंदिर (त्रिपुरा): देवी सती का दायां पैर यहां गिरा था। यह त्रिपुरा के उदयपुर में स्थित है।
  • त्रिपुरमालिनी / श्री देवी तालाब मंदिर (जालंधर, पंजाब): देवी सती का बायां स्तन यहां गिरा था। यह जालंधर में स्थित है।
  • कात्यायनी शक्तिपीठ (मथुरा, उत्तर प्रदेश): देवी सती के बालों के गुच्छे यहां गिरे थे। यह मथुरा जिले में स्थित है।
  • मिथिला शक्तिपीठ (बिहार-नेपाल सीमा): देवी सती का बायां कंधा यहां गिरा था। यह बिहार-नेपाल सीमा पर स्थित है।
  • पंचसागर - वाराही शक्तिपीठ (हरिद्वार, उत्तराखंड): देवी सती के निचले दांत यहां गिरे थे। यह हरिद्वार के पास स्थित है।
  • विमला / किरीटेश्वरी मंदिर (मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल): देवी सती का मुकुट यहां गिरा था। यह मुर्शिदाबाद जिले में स्थित है।
  • बिराजा मंदिर (ओडिशा): देवी सती की नाभि यहां गिरी थी। यह ओडिशा के जाजपुर में स्थित है।
  • श्री अंबिका शक्तिपीठ (भरतपुर, राजस्थान): देवी सती की छोटी उंगली यहां गिरी थी। यह राजस्थान के भरतपुर में स्थित है।
  • मां नर्मदा मंदिर (अमरकंटक, मध्य प्रदेश): देवी सती का दायां नितंब यहां गिरा था। यह अमरकंटक में स्थित है।

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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