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महाभारत से जुड़ा है अक्षय तृतीया पर्व का संबंध, जानें तिथि और मान्यताएं

अक्षय तृतीया पर्व का अपना एक खास महत्व है। जानें इस अक्षय तृतीया की तिथि और पूजा मान्यताएं।

Image of Bhagwan Vishnu

भगवान विष्णु(Photo Credit: Creative Image)

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की उपासना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन सोने-चांदी की खरीदारी करने से भी विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं, कब रखा जाएगा अक्षय तृतीया पर्व।

अक्षय तृतीया 2025 तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल शाम 05 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 30 अप्रैल दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में अक्षय तृतीया पर्व 30 अप्रैल 2025, बुधवार के दिन रखा जाएगा। बता दें कि इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।

 

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अक्षय तृतीया से जुड़ी मान्यताएं

इस दिन को इतना शुभ माना गया है कि किसी भी नए कार्य की शुरुआत बिना मुहूर्त के की जा सकती है। 'अक्षय' शब्द का अर्थ होता है – जो कभी खत्म न हो, यानी इस दिन किया गया कोई भी पुण्य कार्य, दान या पूजा कभी व्यर्थ नहीं जाता।

अक्षय तृतीया से जुड़ी मान्यताएं

  • पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म हुआ था, इसलिए यह दिन परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
  • मान्यता यह भी है कि त्रेता युग की शुरुआत भी अक्षय तृतीया के दिन ही हुई थी और इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया था, जिससे कभी भोजन खत्म नहीं होता था।
  • महाभारत के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बचपन के मित्र सुदामा की दरिद्रता को दूर किया था। इसलिए इस दिन सच्चे मन से भगवान का स्मरण करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
  • जैन धर्म में भी यह दिन महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि भगवान ऋषभदेव ने लंबे तप के बाद इसी दिन गन्ने का रस पीकर उपवास तोड़ा था।

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पूजा का महत्व और विधि

अक्षय तृतीया के दिन लोग जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं। गाय, भूमि, जल और तिल का दान, इस दिन विशेष पुण्यदायी माना जाता है। घरों में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पीली वस्तुएं, जैसे चने की दाल, पीला वस्त्र, आम, घी, गुड़ आदि का दान विशेष लाभकारी होता है।

 

कई लोग इस दिन सोना या जमीन खरीदना भी शुभ मानते हैं क्योंकि ऐसा विश्वास है कि इससे घर में कभी भी समृद्धि की कमी नहीं होती।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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