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कहीं देवी सरस्वती की पूजा तो कहीं पतंग उत्सव, ये हैं बसंत पंचमी के रूप

बसंत पंचमी पर्व देवी सरस्वती की उपासना के लिए समर्पित है। इस पर्व को देश के कई हिस्सों में तरह-तरह से मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी मान्यताएं।

AI Image of Devi Saraswati

देवी सरस्वती।(Photo Credit: AI Image)

हिंदू धर्म में बसंत पंचमी पर्व का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। बता दें कि हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है। यह पर्व ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती को समर्पित है और इस दिन देवी सरस्वती की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। हालांकि, यह पर्व केवल सरस्वती पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है।

सरस्वती पूजा

बसंत पंचमी के दिन विशेष रूप से देवी सरस्वती की उपासना की जाती है। बता दें कि इस दिन विद्यार्थी, कलाकार, लेखक और संगीत क्षेत्र से जुड़े लोग मां सरस्वती की आराधना करते हैं। इस दिन छोटे बच्चों के लिए इस दिन ‘अक्षरारंभ’ की परंपरा होती है, इसका अर्थ है कि वे पहली बार पढ़ाई-लिखाई शुरू करते हैं। मंदिर, विद्यालय और घरों में भी देवी सरस्वती की भी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। पीले वस्त्र धारण करना, पीले पुष्प अर्पित करना और पीले रंग का भोजन बनाना इस पूजा का बड़ा हिस्सा है।

 

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ऋतु परिवर्तन और कृषि उत्सव

बसंत पंचमी को ऋतुराज बसंत के आगमन का प्रतीक भी माना जाता है। इस दौरान सर्दी कम होने लगती है और चारों ओर हरियाली और फूलों खिलते हैं। खेतों में पीली सरसों पूरी तरह तैयार खड़ी होती है और किसान फसल पकने की खुशी में इस पर्व को मनाते हैं। कई जगहों पर खेत और वृक्ष की विशेष पूजा भी की जाती है।

पतंग उत्सव

उत्तर भारत और विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बसंत पंचमी के दिन पतंगबाजी का विशेष आयोजन होता है। लोग सुबह से ही छतों पर रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाने लगते हैं। इस दौरान बसंत पंचमी से जुड़े लोक गीत गए जाते हैं।

सुहागिन महिलाएं रखती हैं व्रत

बिहार और उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों में सुहागिन महिलाएं बसंत पंचमी के दिन विशेष पूजा करती हैं। इस वे मां सरस्वती के साथ-साथ देवी पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र व सुखी दांपत्य जीवन की कामना करती हैं। इस दिन पीले वस्त्र पहनना और पूजा में हल्दी का इस्तेमाल करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

 

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भगवान कामदेव और रति की पूजा

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में बसंत पंचमी को प्रेम और सौंदर्य के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन कामदेव और रति के साथ-साथ प्रकृति की भी उपासना की जाती है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन कामदेव ने अपनी मोहिनी शक्ति से भगवान शिव का तप भंग किया था।

कुंभ में अमृत स्नान

प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में इस दिन अमृत स्नान किया जाता है। इस स्नान का हिस्सा बनने के लिए देश के कोने-कोने लाखों की संख्या में लोग गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाते हैं और मां सरस्वती से विद्या और बुद्धि के आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं। साथ ही इस विशेष दिन पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु हिस्सा बनते हैं और सबसे पहले अमृत स्नान करते हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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