भगवान शिव से संबंधित कथाओं का वर्णन धर्म-ग्रंथों में विस्तार से किया गया है। साथ ही भारत के विभिन्न हिस्सों में भगवान शिव के प्राचीन मंदिर स्थापित हैं, जिनका अपना एक विशेष महत्व है। साथ ही कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जिनका संबंध रावण की भक्ति से जुड़ा है। कहा जाता है कि महादेव का एक ऐसा भी मंदिर है, जिसे रावण द्वारा स्थापित किया गया था। आइए जानते हैं-
जब रावण ने की थी ये गलती
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। उसने यह तब किया था, जब श्री राम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था। भगवान शिव अपने अनन्य भक्त की भक्ति से प्रसन्न हुए और रावण को आशीर्वाद मांगने को कहा। रावण ने महादेव से लंका चलने की विनती की, ताकि उनके आशीर्वाद से वह युद्ध जीत सके। भगवान शिव इस बात को भलीभांति जानते थे, इसलिए उन्होंने रावण के सामने शर्त रखी कि वह शिवलिंग के रूप में उसके साथ जाएंगे लेकिन मार्ग में वह कहीं भी शिवलिंग को नीचे धरती पर नहीं रखेगा।
रावण ने इस शर्त को स्वीकार किया और भगवान शिव को कंधे पर उठाकर लंका की ओर चल पड़ा। लंका जाने के लिए मार्ग कठिन और लंबा था और इसी बीच रावण को लघुशंका लगी। अब इस समय रावण न तो शिवलिंग को नीचे रख सकता था और न ही निवृत्त हो सकता था। भगवान विष्णु द्वारा बनाई गई योजना पर वहां से एक गरेड़िया गुजर रहा था। रावण ने उस गरेड़िये से शिवलिंग को कुछ देर पकड़ने के लिए कहा। शिवलिंग बहुत भारी था और वह इस वजन को सहन नहीं कर पा रहा था। जब भार और बढ़ गया तब उसने शिवलिंग को नीचे रख दिया और रावण के भय से वहां से भाग गया। जब रावण वापस आया तो उसने देखा कि शिवलिंग धरती पर रखा है और इसी स्थान भगवान शिव बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्द हुए, जिनकी गणना द्वादश ज्योतिर्लिंग में होती है। भगवान का यह ज्योतिर्लिंग वर्तमान समय में झारखंड के देवघर में स्थापित है।
रावण को देवताओं के छल का आभास हो गया, जिस वजह से उसने शिवलिंग को नष्ट करने का प्रयास किया। उस समय यह वस्त्र से ढंका हुआ था, जो रावण के प्रहार से उड़ गया। मान्यता है कि यह वस्त्र उड़कर मुरुदेश्वर क्षेत्र में आ गया, जो वर्तमान समय प्रसिद्ध तीर्थक्षेत्र है। यहां भगवान शिव को समर्पित भव्य मुरुदेश्वर मंदिर है और इस मंदिर में महादेव की बड़ी प्रतिमा भी स्थापित है, जो आकर्षण का केंद्र है।
इस कथा से जुड़े अन्य तीर्थस्थल
भगवान शिव और रावण की यह कथा शिव पुराण और स्कन्द पुराण में वर्णित है। कुछ अन्य मंदिर भी इसी कथा से प्रेरित होकर बताते हैं कि रावण ने इसी स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया था। जिसमें से एक मंदिर कुंडलेश्वर महादेव मंदिर भी है। गोकर्णनाथ मंदिर का भी इसी कथा से संबंध बताया जाता है, जिसका वर्णन वराह पुराण में भी किया गया है।