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भगवान शिव के गले का आभूषण है सांप, इसके पीछे छिपा है ये कारण

हिंदू धर्म में भगवान शिव को सृष्टि के संहारक के रूप में पूजा जाता है और उनके वासुकि नाग भी उपासना की जाती है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा।

Bhagwan Shiv Image

भगवान शिव और उनके गले में वासुकि नाग। (Pic Credit: Freepik)

हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति भगवान शिव की उपासना करता है, उन्हें सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। बता दें कि भगवान शिव की उपासना के साथ-साथ उनके गले में विराजमान वासुकी नाग की भी उपासना का विशेष महत्व है। भगवान शिव को ‘नागभूषण’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वे नागों को अपने आभूषण के रूप में धारण करते हैं। शिव के गले में नाग रहने के पीछे कई पौराणिक कथाएं और प्रतीकात्मकता छिपी है।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला, तो दोनों उस विष की तीव्रता से भयभीत हो गए। उस विष को कोई भी सहन करने में सक्षम नहीं था। तब भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए वह विष अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया, जिससे वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। विष की तीव्रता को नियंत्रित करने और इसे संतुलित रखने के लिए वासुकी नाग ने उनके गले में स्थान लिया। वासुकी के द्वारा विष का प्रभाव शांत रहा और तभी से वासुकि नाग महादेव के कंठ का आभूषण बन गए।

प्रतीकात्मक महत्व

सांप जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक है, वहीं भगवान शिव, जो संहारक और पुनर्जन्म के देवता हैं, इस चक्र को अपने नियंत्रण में रखते हैं। इसके साथ सांप अहंकार को प्रतीक माना जाता है। शिव के गले में सांप यह दर्शाता है कि उन्होंने अहंकार को वश में कर लिया है। नाग भगवान शिव की वैराग्य भावना को भी दर्शाते हैं, जो यह बताता है कि महादेव सांसारिक सुखों और विलासिता से परे हैं। शिव और नाग का संबंध प्रकृति के शक्तिशाली और खतरनाक रूपों को संतुलित करने का प्रतीक है।

क्या है पूजा का महत्व?

शिव पुराण, स्कन्द पुराण इत्यादि में यह बताया गया है कि भगवान शिव की पूजा करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति, पापों का नाश और सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाने से मानसिक शांति और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ उनके प्रिय गण वासुकि नाग की भी उपासना करने से फल प्राप्त है। ज्योतिष शास्त्र में यहां तक कहा गया है कि जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें नाग देवता की उपासना जरूर करनी चाहिए।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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