भैया दूज को भाई टीका, भाऊबीज या भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू महीने कार्तिक में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के बीच आता है। भैया दूज आज यानी 3 नवंबर को मनाया जा रहा है।
भैया दूज कैसे मनाते हैं
इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक या सिंदूर लगाती हैं और फिर मिठाई, रोली और नारियल से भरी रंग-बिरंगी थाली लेकर उनकी आरती उतारती हैं। इसके बाद वे मिठाई से उनका मुंह मीठा करती हैं और बदले में बहनों को उनके भाई तोहफे देते हैं।
भाई दूज का क्या है शुभ मुहूर्त?
इस साल भाई दूज 3 नवंबर, रविवार को है। भाई के तिलक करने का समय सुबह 6 बजकर 45 मिनट से लेकर 11 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भाई को तिलक करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इसके बाद भी आप 2 बजकर 52 मिनट से लेकर 4 बजकर 5 मिनट तक भाई को तिलक और पूजन कर सकते हैं।
भाई दूज का महत्व
भैया दूज पर, बहनें टीका करके अपने भाइयों के लंबे और सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं और भाई अपनी बहनों को तोहफे देते हैं। भैया दूज को भाऊ बीज, भातृ द्वितीया, भाई द्वितीया और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
क्या है भाई दूज की कथा?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण नरकासुर को हराने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। सुभद्रा ने उनका स्वागत मिठाई और फूलों से किया और उनके माथे पर तिलक लगाया। तब से, इस दिन भाई दूज मनाया जाने लगा। एक अन्य कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यम अपनी बहन यमुना से मिलने गए, जिन्होंने उनका तिलक लगाकर स्वागत किया। तब यम ने आशीवार्द दिया कि इस दिन, जो कोई भी अपनी बहन से तिलक लगाएगा, उसे दीर्घायु का आशीर्वाद मिलेगा।