हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि साल में दो नवरात्रि पर्व मनाए जाते हैं। एक चैत्र मास में और दूसरा शरद महीने में। इस दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर दिन माता के एक रूप की उपासना का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
कब से शुरू हो रहा है चैत्र नवरात्रि 2025
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 30 मार्च 2025 से होगा और इसका समापन 7 अप्रैल 2025 को राम नवमी के साथ होगा।
प्रतिपदा (30 मार्च 2025) – शैलपुत्री पूजा
इस दिन माता शैलपुत्री की आराधना की जाती है। वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और भक्तों को मनोबल और स्थिरता प्रदान करती हैं।
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द्वितीया (31 मार्च 2025) – ब्रह्मचारिणी पूजा
ब्रह्मचारिणी देवी तपस्या का प्रतीक हैं। इनकी उपासना से संयम और साधना की शक्ति प्राप्त होती है।
तृतीया (1 अप्रैल 2025) – चंद्रघंटा पूजा
माता चंद्रघंटा सौम्यता और शक्ति का मेल हैं। इनकी कृपा से भय और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
चतुर्थी (2 अप्रैल 2025) – कूष्माण्डा पूजा
माता कूष्माण्डा ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली शक्ति हैं। इन्हें पूजने से बुद्धि और ऊर्जा प्राप्त होती है।
पंचमी (3 अप्रैल 2025) – स्कंदमाता पूजा
माता स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की जननी हैं और भक्तों को सुख, समृद्धि और सुरक्षा प्रदान करती हैं।
षष्ठी (4 अप्रैल 2025) – कात्यायनी पूजा
देवी कात्यायनी राक्षसों के नाश करने वाली हैं। इनकी पूजा से दुष्ट शक्तियों से बचाव होता है।
सप्तमी (5 अप्रैल 2025) – कालरात्रि पूजा
माता कालरात्रि भय को नष्ट करने वाली और रात्रि की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी आराधना से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं।
अष्टमी (6 अप्रैल 2025) – महागौरी पूजा
महागौरी स्वरूप सौंदर्य और शांति का प्रतीक है। अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।
नवमी (7 अप्रैल 2025) – सिद्धिदात्री पूजा
यह नवरात्रि का अंतिम दिन होता है और इस दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा कर भक्त सिद्धियों की प्राप्ति करते हैं। इसी दिन राम नवमी भी मनाई जाती है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि हिन्दू नव वर्ष का सबसे पहला पर्व होता है। इसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि यह ऋतु परिवर्तन का समय होता है। इस दौरान प्रकृति में नई ऊर्जा का संचार होता है। चैत्र नवरात्रि के नवमी व्रत के दिन भगवान श्रीराम का जन्म भी हुआ था, इसलिए यह नवरात्रि और अधिक पवित्र मानी जाती है। इस समय साधना, व्रत और उपासना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
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इस पर्व को आत्मशुद्धि, मन की एकाग्रता और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान व्रत रखने से शरीर शुद्ध होता है और भक्ति से मानसिक बल प्राप्त होता है।
चैत्र नवरात्रि में क्या-क्या करना चाहिए?
- नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घर के पूजन स्थल पर मिट्टी या तांबे के कलश की स्थापना करें।
- कलश में गंगाजल, सुपारी, सिक्का और आम के पत्ते डालें।
- कलश के ऊपर नारियल रखें और उस पर मौली बांधें।
- घी या तेल का दीपक जलाएं और नौ दिनों तक अखंड ज्योति जलाए रखें।
- हर दिन माता के एक रूप की पूजा करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- लाल फूल, चंदन, अक्षत, कुमकुम और धूप-दीप से माता को अर्पित करें।
- यदि संभव हो तो पूरे नौ दिनों तक व्रत रखें या केवल फलाहार करें।
- मां को प्रत्येक दिन विशेष भोग लगाएं, जैसे दूध, फल, हलवा या पंचामृत।
- अष्टमी या नवमी के दिन 9 कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
- हवन कर नवरात्रि पूजन का विधिवत समापन करें। नवमी के दिन पूजा समाप्त कर कलश का जल पीपल के पेड़ में चढ़ा दें।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।