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चौसठ योगिनी: खजुराहो के इस मंदिर को कितना जानते हैं आप?

मध्य प्रदेश के खजुराहों में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर अपनी स्थापत्य विशेषता और शिल्पकला के लिए आज भी देशभर में मशहूर है। यह मंदिर अपनी बनावट के लिए पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

 khajuraho mandir

खजुराहो मंदिर: Photo Credit: Wikipedia

खजुराहो के ऐतिहासिक क्षेत्र में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला और शिल्पकला के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर 9वीं शताब्दी के अंत में बना हुआ माना जाता है। भारतीय स्थापत्य कला में अपनी विशिष्टता की वजह से यह मंदिर अन्य मंदिरों से अलग है। गोलाकार संरचना वाले अधिकांश योगिनी मंदिरों के विपरीत, खजुराहो का यह मंदिर आयताकार है। इस मंदिर में मोट ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर में कोई छत नहीं है। जो इसे खुले आसमान के नीचे तांत्रिक पूजा पद्धतियों के लिए उपयुक्त बनाता है।

 

मंदिर की सबसे बड़ी खासियत इसके 64 छोटे कक्ष हैं, जिनमें हर कक्ष में एक योगिनी की मूर्ति स्थित थीं। इन मूर्तियों की नक्काशी और संरचना अपनी बारीक कलात्मकता की वजह से अनूठी मानी जाती है। इसके अतिरिक्त, त्रिकोणीय शिखर और दीवारों पर की गई नक्काशियां मंदिर की सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाती हैं।

 

मंदिर की स्थापत्य विशेषताएं

आयताकार संरचना: अधिकांश योगिनी मंदिरों की गोलाकार संरचना के विपरीत, यह मंदिर आयताकार है, जिसका आकार लगभग 31.4 मीटर × 18.3 मीटर है।

ग्रेनाइट से निर्मित: यह मंदिर पूरी तरह से मोटे ग्रेनाइट पत्थरों से बना है, जबकि खजुराहो में स्थित अन्य मंदिर बलुआ पत्थर से निर्मित हैं। 

खुला आंगन (हाइपैथ्रल डिजाइन): मंदिर में कोई छत नहीं है, यह मंदिर खुले आसमान के नीचे स्थित है। यह डिजाइन तांत्रिक पूजा विधियों के अनुरूप है, जो प्राकृतिक तत्वों के साथ जुड़ी होती हैं। 

 

शिल्पकला और मूर्तिकला

64 योगिनी कक्ष: मंदिर में 64 छोटे कक्ष हैं, जहां हर एक कक्ष में एक योगिनी की मूर्ति स्थापित थीं। इन कक्षों की दीवारों पर त्रिकोणीय शिखर और सुंदर नक्काशी की गई है। 

मूर्ति संरचना: हर कक्ष में एक छोटी मूर्ति रखी गई थी, जो लगभग 1 मीटर ऊंची और गहरी थीं। इन मूर्तियों की विशेषता उनकी बारीक कलात्मकता को दर्शाती हैं।

 

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

 

निर्माण काल: मान्यता के अनुसार, यह मंदिर 9वीं शताब्दी के अंत में निर्मित हुआ था, जो इसे खजुराहो का सबसे पुराना मंदिर बनाता है। 

धार्मिक उद्देश्य: यह मंदिर तांत्रिक पूजा विधियों और योगिनी पूजा के लिए समर्पित है, जो देवी शक्ति की उपासना से संबंधित है।

मौजूदा स्थिति: मंदिर का अधिकांश हिस्सा खंडहर में बदल चुका है, फिर भी इसकी संरचना और शिल्पकला आज भी पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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