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कौन हैं देवी बगलामुखी, जिन्हें कहा जाता है देवी पार्वती का उग्र रूप

हिंदू धर्म में देवी बगलामुखी की उपासना का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं देवी पार्वती के उग्र रूप की कथा।

Image of Devi Baglamukhi Mandir

देवी बगलामुखी, बनखंडी(Photo Credit: maabaglamukhiofficial/ Instagram)

देवी बगलामुखी, हिन्दू धर्म की दस महाविद्याओं में से एक प्रमुख और शक्तिशाली देवी मानी जाती हैं। इन्हें मां पार्वती का उग्र और तंत्र शक्ति से युक्त स्वरूप माना गया है। देवी बगलामुखी को 'स्तम्भन शक्ति' की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है, यानी वह शत्रु की वाणी, बुद्धि और कार्य को रोक सकती हैं। उन्हें पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है क्योंकि वे पीले वस्त्र धारण करती हैं और पीले रंग को इनकी पूजा में विशेष महत्व प्राप्त है।

देवी बगलामुखी की पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब सृष्टि में भारी तूफान आया और सब कुछ नष्ट होने लगा, तब भगवान विष्णु ने मां पार्वती से इसका समाधान पूछा। तब मां ने बगलामुखी का रूप धारण किया और अपनी शक्ति से उस विनाशकारी तूफान को रोक दिया। उन्होंने सृष्टि को स्थिरता दी। यह घटना रात के समय हुई और तभी से माना जाता है कि देवी बगलामुखी की उपासना रात को अधिक प्रभावी होती है।

 

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एक और कथा के अनुसार, एक बार एक असुर ‘मदन’ ने अपनी कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त कर लिया कि उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सके। इसके बाद उसने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया। तब मां पार्वती ने बगलामुखी रूप में अवतार लिया और उसका वध किया।

धार्मिक मान्यताएं

देवी बगलामुखी की पूजा विशेषकर शत्रु बाधा, कोर्ट-कचहरी के मामलों, वाद-विवाद में विजय, और बुरी नजर से बचाव के लिए की जाती है। माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से इनकी पूजा करता है, उसके शत्रु खुद नष्ट हो जाते हैं या हानि नहीं पहुंचा पाते। इनकी पूजा विशेष रूप से तांत्रिक पद्धति से की जाती है लेकिन सामान्य भक्त भी साधारण विधि से पूजा कर सकते हैं।

प्रमुख 5 बगलामुखी मंदिर

बगलामुखी मंदिर, दतिया (मध्य प्रदेश)

यह सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली बगलामुखी मंदिरों में से एक है। यह मंदिर दतिया किले के पास स्थित है और यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु शत्रु बाधा से मुक्ति और न्याय के लिए पूजा करने आते हैं। इसे महाराजा बीर सिंह देव ने 17वीं सदी में बनवाया था।

बगलामुखी मंदिर, नालागढ़ (हिमाचल प्रदेश)

यह मंदिर हिमाचल की सुंदर वादियों में स्थित है। यहां शक्ति साधना के लिए विशेष रूप से श्रद्धालु तांत्रिक अनुष्ठान करने आते हैं। नवरात्रि में यहां विशेष आयोजन होते हैं।

बगलामुखी मंदिर, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)

यह भी एक प्राचीन शक्तिपीठ माना जाता है। यहां की मूर्ति स्वयंभू बताई जाती है और यहां भारी संख्या में श्रद्धालु तंत्र साधना और विशेष यज्ञ कराने आते हैं।

 

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पीताम्बरा पीठ, अमरावती (महाराष्ट्र)

यह मंदिर महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर देवी के पीले स्वरूप की विशेष पूजा के लिए जाना जाता है। यहां वकील और नेता विशेष रूप से दर्शन करने आते हैं।

बगलामुखी मंदिर, हरिद्वार (उत्तराखंड)

यह मंदिर गंगा नदी के पास स्थित है और देवी बगलामुखी की एक अत्यंत शांत और प्रभावी मूर्ति यहां स्थापित है। यह मंदिर भक्तों के बीच न्याय और शांति की प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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