नवरात्रि के शुभ अवसर पर देश भर में देवी दुर्गा की पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं। हैदराबाद में कलकत्ता के कलाकार कैलाश कुमार मंडल पिछले 22 साल से मिट्टी की मूर्तियां बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में गणेश चतुर्थी की तैयारियां पूरी होते ही दुर्गा मूर्तियों पर काम शुरू कर दिया गया। हर मूर्ति को बनाने में लगभग 10 से 12 दिन का समय लगता है और बारिश जैसी परेशानियों के बावजूद वह दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। मंडल के पास 22 तरह की मूर्तियों की डिलीवरी तय है, जिनकी कीमत 5,000 रुपये से लेकर 1,50,000 रुपये तक है। उन्होंने बताया कि हैदराबाद में इस साल की खास आकर्षण शाक्तिपीठ कामरूप कामख्या माता की मूर्ति होगी, जिस मूर्ति को वह खुद बना रहे हैं।
देश के अन्य हिस्सों में भी कलाकार इसी तरह मेहनत कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के कलाकार मिट्टी, कपड़ा, लकड़ी और अन्य सामानों का इस्तेमाल कर देवी की भव्य और पारंपरिक मूर्तियां तैयार कर रहे हैं। हर क्षेत्र की मूर्तियों में स्थानीय सांस्कृतिक छाप और पारंपरिक शिल्प कौशल दिखाई देता है। जैसे-जैसे नवरात्रि नजदीक आ रही है, ये मूर्तियां श्रद्धालुओं के घरों, मंदिरों और पंडालों में सजाई जाएंगी, जिससे त्योहार की भव्यता और भक्तिमय वातावरण दोनों को और बढ़ावा मिलेगा। इस प्रकार, देश के कोने-कोने में कलाकारों की मेहनत और समर्पण नवरात्रि को और खास बना देता है।
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कोलकाता की मिट्टी से बनाते हैं मूर्ति
नव कुमार हर साल कोलकाता से खास चिकनी मिट्टी लेकर चित्रकूट के मानिकपुर पहुंचते हैं। उनका कहना है कि कोलकाता की मिट्टी अन्य जगहों की तुलना में बेहद अलग होती है, यह इतनी चिकनी और मजबूत होती है कि इससे बनी मूर्तियों में दरारें नहीं आतीं और उन पर खुरदरापन नहीं दिखता। यही वजह है कि इस मिट्टी से बनी मूर्तियों पर खास शाइनिंग आती है, जो उन्हें और भी आकर्षक बना देती है।
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कोलकाता से आकर हैदराबाद में बनाते हैं मूर्ति
मूर्ति कलाकार कैलाश कुमार मंडल ने बताया, 'हम 22 साल से मिट्टी की मूर्तियां बना रहे हैं। हाल ही में गणेश चतुर्थी की तैयारी पूरी होने के बाद हमने दुर्गा मूर्तियों पर काम शुरू कर दिया है। बारिश की वजह से कुछ परेशानियां भी हो रही हैं। हमारी कई डिलीवरी 22 सितंबर तक तय हैं और हम दिन-रात काम कर रहे हैं, जिससे सभी मूर्तियां समय पर तैयार हो जाएं। हर मूर्ति को बनाने में लगभग 10 से 12 दिन लगते हैं। हम लगभग 22 तरह की दुर्गा मूर्तियां बनाते हैं, जिनकी कीमत 5,000 रुपये से 1,50,000 रुपये तक है। इस साल की खास आकर्षण शाक्तिपीठ कामरूप कामख्या माता की मूर्ति होगी।'
कोलकाता में दुर्गा पूजा की तैयारियां

दुर्गा पूजा बस कुछ ही दिन दूर है। ऐसे में पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में दुर्गा पूजा उत्सव के आयोजक अपने पंडालों को सबसे बेहतरीन बनाने की तैयारी में जुटे हैं। चलताबागान सर्बोजनिन दुर्गा पूजा समिति अपने पंडाल को 'आमी बांग्ला बोलची' यानी 'मैं बंगाली बोलता हूं' थीम पर डिजाइन कर रही है। इसका मकसद पंडाल में आने वाले लोगों में अपनी भाषा को लेकर जोश और गर्व की भावना भरना है। इस खास पंडाल में बांग्ला भाषा के विकास के अहम पड़ावों की झलक देखने को मिलेगी। इसके जरिए पंडाल देखने आने वाले लोगों को ये जानने का मौका मिलेगा कि बांग्ला भाषा की शुरुआत कब,कहां और कैसे हुई और इस भाषा का संगीत और सांस्कृतिक विरासत पर क्या असर है? आयोजकों का कहना है कि वे सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं और वे अपने इस खास पंडाल के जरिए ये संदेश देना चाहते हैं कि लोग अपनी मातृभाषा के महत्व को समझें।