आज यानी 18 अप्रैल के दिन दुनियाभर में गुड फ्राइडे मनाई जा रही है, जो ईसाई धर्म का एक पवित्र दिन है। यह दिन यीशु मसीह के बलिदान की याद में मनाया जाता है। यह दिन ईस्टर संडे से पहले शुक्रवार को आता है और इसे पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। इस दिन से जुड़ी कुछ परंपराएं बहुत खास और अनोखी हैं, जो दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अपनाई जाती हैं। आइए जानते हैं गुड फ्राइडे की 5 परंपराओं के विषय में।
क्रूस यात्रा की रस्म
गुड फ्राइडे पर कई चर्चों में 'क्रूस यात्रा' नाम की एक विशेष प्रार्थना की जाती है। इसमें यीशु मसीह के जीवन की उन 14 घटनाओं को याद किया जाता है जब उन्हें क्रूस पर चढ़ाने के लिए ले जाया गया था। श्रद्धालु एक-एक पड़ाव पर रुककर यीशु के बलिदान को याद करते हैं और मौन प्रार्थना करते हैं।
स्वयं को पीड़ा देना
खासकर फिलीपींस में कुछ ईसाई श्रद्धालु गुड फ्राइडे के दिन खुद को कोड़े मारते हैं या यहां तक कि खुद को क्रूस पर लटका लेते हैं। वह ऐसा यीशु की पीड़ा को महसूस करने और अपने पापों के प्रायश्चित के लिए करते हैं। हालांकि चर्च इसे समर्थन नहीं देता, फिर भी यह परंपरा कुछ क्षेत्रों में आज भी की जाती है।
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तीन घंटे का मौन
कहा जाता है कि दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक यीशु मसीह को क्रूस पर लटकाया गया था। इसी वजह से कई चर्चों में इन तीन घंटों के दौरान मौन रखा जाता है। इस समय श्रद्धालु ध्यान करते हैं और प्रभु यीशु को ध्यान करते हुए प्रार्थना करते हैं। यह समय पूरी तरह से शांति और ध्यान का होता है।
शोक की परंपरा
गुड फ्राइडे के दिन लोग काले या सफेद कपड़े पहनते हैं, जो शोक और पवित्रता का प्रतीक होते हैं। चर्च को भी साधारण रूप में सजाया जाता है। कोई उत्सव या संगीत नहीं होता, सिर्फ प्रार्थना होती है। यह दिन मन की शांति और विनम्रता को दर्शाता है।
मांसाहार से परहेज
इस दिन कई ईसाई मांस से परहेज करते हैं और कुछ लोग उपवास भी रखते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि वे प्रभु यीशु के बलिदान को याद रख सकें और आत्म-संयम रख सकें। शराब, धूम्रपान या दूसरे तरह की विलासिता भरी चीजों से भी दूरी बनाई जाती है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।