हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। बता दें कि साल में गुप्त नवरात्रि व्रत दो बार- माघ और आषाढ़ मास में आती है और जो लोग देवी की तांत्रिक साधना करते हैं, उनके लिए यह पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 30 जनवरी से गुप्त नवरात्रि शुरू हो गई है और इस दौरान देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की और खासकर तांत्रिक विधियों से पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ विशेष शक्तिपीठ और मंदिरों में तांत्रिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
5 प्रमुख मंदिर जहां की जाती है देवी की तांत्रिक पूजा
कामाख्या देवी मंदिर, असम
असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी मंदिर तांत्रिक साधना का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। यह मंदिर शक्ति उपासकों के लिए विशेष महत्व रखता है। यहां मां कामाख्या को महाशक्ति का रूप माना जाता है और गुप्त नवरात्रि के दौरान यहां विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। कहा जाता है कि यहां देवी सती का योनिभाग गिरा था, इसलिए इसे अत्यंत शक्तिशाली शक्तिपीठों में गिना जाता है। तांत्रिक इस मंदिर में अपनी साधना करते हैं और सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इस दौरान मंदिर में आम भक्तों का प्रवेश भी सीमित कर दिया जाता है।
यह भी पढ़ें: नागा साधुओं का शृंगार: तपस्या और धर्म का प्रतीक
त्रिपुर सुंदरी मंदिर, त्रिपुरा
त्रिपुरा में स्थित त्रिपुर सुंदरी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे तांत्रिक साधना का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। यहां मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा विशेष तांत्रिक विधियों से की जाती है। गुप्त नवरात्रि के समय यहां विशेष हवन और साधनाएं संपन्न की जाती हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से साधना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। तांत्रिक यहां विशेष अनुष्ठान करके सिद्धियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
कालिका माता मंदिर, उज्जैन
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित कालिका माता मंदिर तांत्रिकों के लिए महत्वपूर्ण स्थल है। इसे भारत के सबसे शक्तिशाली मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां कालिका देवी को जागृत देवी माना जाता है, जो साधकों को तांत्रिक विद्या में सिद्धि प्रदान करती हैं। गुप्त नवरात्रि के दौरान यहां तांत्रिक पूजा विशेष रूप से संपन्न की जाती है। इस दौरान अघोरी और तांत्रिक साधक इस मंदिर में साधना करने आते हैं और अपनी सिद्धियों की प्राप्ति के लिए अनुष्ठान करते हैं।

मां तारापीठ मंदिर, पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित तारापीठ मंदिर तांत्रिक साधना का प्रमुख स्थान है। मां तारा को तांत्रिकों की देवी माना जाता है और यहां तंत्र साधना करने से विशेष सिद्धियां प्राप्त होती हैं। गुप्त नवरात्रि के दौरान यहां विशेष रूप से तंत्र-मंत्र से पूजा की जाती है। इस स्थान से जुड़ी मान्यता है कि यहां की साधनाएं बहुत ही शक्तिशाली होती हैं और जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा से यहां आता है, उन्हें विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
यह भी पढ़ें: कब और किसने की महामृत्युंजय मंत्र की रचना? यहां मिलेंगे सभी जवाब
महाकाली मंदिर, पावागढ़, गुजरात
गुजरात के पंचमहल जिले में स्थित पावागढ़ का महाकाली मंदिर भी तांत्रिक साधकों के लिए प्रमुख तीर्थस्थलों में एक माना जाता है। यह मंदिर शक्ति उपासना और तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। गुप्त नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा, हवन और अनुष्ठान किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां मां महाकाली की कृपा से साधकों को सिद्धि प्राप्त होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर में तांत्रिक साधना की विशेष परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।
गुप्त नवरात्रि और तांत्रिक पूजा का महत्व
गुप्त नवरात्रि साधकों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण समय होता है। यह नवरात्रि विशेष रूप से तांत्रिक पूजा और साधना के लिए समर्पित होती है। इस दौरान शक्ति उपासना करने से विशेष सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में देवी के गुप्त मंत्रों का जाप करना, हवन करना और अनुष्ठान करना लाभदायक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में गुप्त तरीके से देवी की उपासना बहुत जरूरी है। इस दौरान किए गए अनुष्ठान को सबके सामने नहीं दिखाना चाहिए।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।