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नागा साधुओं का शृंगार: तपस्या और धर्म का प्रतीक

नागा साधुओं का जीवन बहुत कठिन होता है और ये कई नियमों का पालन करते हैं। साथ ही नागाओं के शृंगार का भी अपना एक विशेष स्थान है।

Image of Naga Sadhu

कुंभ में नागा साधु।(Photo Credit: PTI)

महाकुंभ के दौरान नागा साधु, आकषर्ण का मुख्य केंद्र होते हैं और ये साधु, विभिन्न अखाड़ों में रहकर साधना और तप करते हैं। वे साधु-संन्यासियों के उस वर्ग से आते हैं जो संसारिक बंधनों से मुक्त होकर अध्यात्म और साधना के मार्ग पर चलते हैं। नागा साधु विशेष रूप से अपने शृंगार और आचरण के लिए पहचाने जाते हैं। उनका शृंगार न केवल उनके आध्यात्मिक जीवन का हिस्सा है, बल्कि इसमें गहरे अर्थ भी छिपे होते हैं।

नागा साधु पहनते हैं ये शृंगार

नागा साधु सामान्य रूप वस्त्र धारण नहीं करते। वे अपने शरीर को भस्म से ढकते हैं, जिसे उनका मुख्य शृंगार माना जाता है। यह भस्म हिंदू धर्म में पवित्रता और शरीर के नश्वर होने का प्रतीक है। भस्म लगाने का अर्थ यह दिखाना है कि जीवन और मृत्यु, दोनों ही ईश्वर की के हाथ में है और यह शरीर केवल अस्थायी है।

 

वे अपने मस्तक पर विभिन्न प्रकार की तिलक या चिह्न लगाते हैं, जो उनके गुरु, संप्रदाय या इष्ट देवता का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह तिलक उनके आत्मज्ञान और ध्यान की गहराई का प्रतीक है। इसके अलावा, नागा साधु रुद्राक्ष की माला पहनते हैं, जिसे भगवान शिव का अंश माना जाता है और इसे उनकी ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि रुद्राक्ष न केवल साधना में सहायक होती है, बल्कि यह उनके तप और शिवभक्ति का भी प्रतीक है।

 

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नागा साधुओं की एक पहचान उनकी लंबी जटाएं भी हैं। ये जटाएं उनके साधना के वर्षों का संकेत देती हैं और यह इस बात का प्रतीक है कि वे सांसारिक मोह-माया और व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी इच्छाओं से मुक्त हैं। इन जटाओं को भगवान शिव का भी प्रतीक माना जाता है, क्योंकि महादेव स्वयं भी ‘जटाधारी’ हैं।

 

नागा साधु कभी-कभी अपने शरीर पर पवित्र भस्म से शिवलिंग या अन्य धार्मिक चिह्न भी उकेरते हैं। यह उन्हें भगवान शिव के सबसे निकट होने का आभास कराता है और उनकी साधना का यह प्रतीक माना जाता है। साथ ही वह अपने कानों में कुंडल या कर्णफूल पहनते हैं, जो उनके सांसारिक मोह से मुक्त होने और आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश का संकेतक है। नागा साधुओं का हर शृंगार उनके कठिन जीवन और उनके आध्यात्मिक सफर का प्रतीक है। उनके ये प्रतीक उन्हें साधारण मनुष्य से अलग बनाते हैं और उनके तपस्वी जीवन को दर्शाते हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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