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गया में पिण्डदान और घर पर श्राद्ध, क्या ऐसा हो सकता है? शास्त्र समझिए

हिन्दू धर्म में बहुत से लोग पितरों की तृप्ति के लिए पिण्डदान करने गया जाते हैं। आइए जानते हैं, पिण्डदान के लिए गया यात्रा से जुड़े सारे सवालों के जवाब।

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: Social Media

हिन्दू धर्म में पितरों की तृप्ति के लिए पिण्डदान और श्राद्ध का विशेष महत्व माना जाता है। बिहार के गया में पितृ पक्ष के दौरान लाखों श्रद्धालु पितरों की तृप्ति के लिए पिण्डदान करने जाते हैं। अब सवाल यह उठता है कि गया में पिण्डदान करने के बाद घर लौटकर पार्वण श्राद्ध किया जा सकता है या नहीं? धर्मशास्त्र और आचार्य प्रेम नारायण मिश्रा के अनुसार, गया में पिण्डदान करने का मुख्य उद्देश्य पितरों को शांति प्रदान करना होता है। जानकारी के मुताबिक, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गया जाकर अपने पितरों का पिण्डदान कर सकते हैं। 

 

गया यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को विशेष नियमों और परंपराओं का पालन करना होता है। पिण्डदान के लिए विशिष्ट स्थान, पवित्र जल का इस्तेमाल और उचित विधि से दान करना अनिवार्य माना जाता है। यात्रा की योजना बनाने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह जानना जरूरी है कि गया में पिंडदान के बाद, घर पर पार्वण श्राद्ध किया जा सकता है या नहीं? वहीं बहुत से लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि परिवार से अगर एक व्यक्ति किसी देव स्थान या फिर नदी के किनारे पितरों का पार्वण श्राद्ध, पिण्डदान या त्रिपिंडी श्राद्ध कर चुका है, तो गया जाकर पिंड दान करना जरूरी होता है या नहीं? आइए आचार्य प्रेम नारायण मिश्रा के माध्यम से इन सारे सवालों का जवाब समझते हैं।

 

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गया में पिण्डादान से जुड़े सवाल

सवाल: क्या किसी देव स्थान जैसे वाराणसी या प्रयागराज में पिण्डदान करने के बाद गया में पिण्डदान करना जरूरी है ?

 

जवाब: आचार्य प्रेम नारायण मिश्रा के अनुसार, ' किसी भी देवस्थान या नदी के किनारे चाहे जितनी बार पिण्डदान किया गया हो लेकिन गया में पिण्डदान करना आवश्यक होता है।'

 

सवाल: गया जाकर परिवार का कौन सा व्यक्ति पिण्डदान कर सकता है?

 

जवाब: प्रेम नरायाण मिश्रा ने बातचीत के दौरान इस सावल का जवाब दिया है। उन्होंने कहा, 'पितरों की आत्मा की शांति के लिए गया में पिण्डदान करने के लिए वही व्यक्ति जाता है, जिसके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी हो। उन्होंने बताया कि इस काम के लिए परिवार के बड़े भाई या बेटे को जाना चाहिए, अगर वह किसी वजह से नहीं जा पा रहा है, तो परिवार से उसका छोटा भाई या छोटा बेटा जा सकता है।'

 

सवाल: गया में कितनी बार पिण्डदान किया जा सकता है?

 

जवाब: आचार्य के मुताबिक, ' अगर परिवार का कोई भी व्यक्ति एक बार गया जाकर पितरों का पिण्डदान कर देता है, तो दोबार परिवार के दूसरे व्यक्ति को गया जाकर पिण्डदान करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।'

 

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सवाल: क्या गया में पिण्डादान के बाद हर वर्ष घर पर पार्वण श्राद्ध कराना या करना जरूरी होता है?

 

जवाब: आचार्य जी के मुताबिक, 'धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि पितृपक्ष में पूर्वज, पितृलोक से पृथ्वी पर आते हैं और अपने वंशज या परिवार से तर्पण की अपेक्षा करते हैं, इसलिए गया में पिण्डदान के बाद भी हर वर्ष पितृपक्ष में पार्वण श्राद्ध करना आवश्यक होता है।'

 

सवाल: पिण्डदान के लिए गया यात्रा करने से पहले क्या-क्या करना अवश्यक है?

 

जवाब: आचार्य प्रेम नारायण मिश्रा के मुताबिक, 'अगर कोई भी गया जाकर पिण्डदान करना चाहता है, तो उसे गया यात्रा पर जाने से पहले भागवत पाठ सुनना चाहिए। उन्होंने कहा, ज्यादातर लोग गया यात्रा से लौटने के बाद भागवत पाठ सुनते हैं लेकिन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गया यात्रा पर जाने से पूर्व भागवत पाठ सुनना आवश्यक माना गया है।

 

सवाल: गया यात्रा से लौटने के बाद क्या करना चाहिए?

 

जवाब: आचार्य जी ने अनुसार, गया यात्रा से लौटने के बाद गंगासागर जाकर स्नान करना आवश्यक होता है, उन्होंने कहा, अगर कोई भी व्यक्ति गया में पिण्डदान करने के बाद गंगासागर स्नान करने के लिए नही जाता है, तो गया यात्रा पूर्ण नहीं होती है। उन्होंने बताया गंगासागर जाकर स्नान करने के बाद घर पर ब्राह्मण भोजन कराने के बाद ही गया में किया गया पिण्डदान पूर्ण होता है। 

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