logo

ट्रेंडिंग:

हरियाली तीज: जब 108वें जन्म की तपस्या के बाद हुआ शिव-पार्वती का मिलन

हरियाली तीज को भगवान शिव और देवी पार्वती की उपासना के लिए समर्पित है। आइए जानते हैं क्या है इस दिन से जुड़ी बातें और पूजा महत्व।

Image of Bhagwan Shiv and Devi Parvati

भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है हरियाली तीज व्रत।(Photo Credit: AI)

हरियाली तीज का पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से महिलाओं का त्यौहार होता है, जो शिव-पार्वती की पूजा और अपने सौभाग्य की लंबी आयु के लिए मनाया जाता है। यह त्यौहार खासकर उत्तर भारत के राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है।

 

हरियाली तीज से जुड़ी पौराणिक कथा देवी पार्वती और भगवान शिव के विवाह से जुड़ी है। कहा जाता है कि देवी पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए कई जन्मों तक कठोर तप किया। माता पार्वती का 108 बार जन्म हुआ और हर जन्म में उन्होंने शिव जी को पाने के लिए तपस्या की।

हरियाली तीज 2025 तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 26 जुलाई रात्रि 10:45 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 27 जुलाई रात्रि 10:35 मिनट पर हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार, हरियाली तीज 27 जुलाई 2025, रविवार के दिन रखा जाएगा।

 

यह भी पढ़ें: महादेव के अनसुने रहस्य, जानें क्यों उन्हें कहा जाता है देवों के देव?

हरियाली तीज की पौराणिक कथा

पौराणिक 108वें जन्म में उन्होंने हिमालय पर्वत पर कठोर तप किया। उन्होंने कई वर्षों तक अन्न-जल त्याग कर सिर्फ बेलपत्र खाकर और फिर उन्हें भी त्याग दिया। उनकी यह कठिन साधना देखकर अंत में भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उन्हें अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया। इस दिन को ही हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन शिव जी और पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था।

 

इसलिए यह दिन शादीशुदा महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। वे इस दिन व्रत रखती हैं, पूजा करती हैं और शिव-पार्वती से अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम, सुख और सौभाग्य की कामना करती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।

हरियाली तीज की पूजा विधि

हरियाली तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। इसके बाद व्रत करने वाली महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं यानी दिनभर जल तक नहीं पीतीं। यह व्रत पूरे दिन रखा जाता है और रात को कथा सुनने के बाद ही व्रत खोला जाता है।

 

पूजा की विधि में सबसे पहले भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी या धातु की मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। फिर हल्दी, चंदन, कुमकुम, फूल, फल और मिठाइयों से पूजन किया जाता है। सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी आदि भी देवी को अर्पित की जाती है।

 

पूजन के समय हरियाली तीज की व्रत कथा सुनी जाती है, जिसमें देवी पार्वती के कठिन तप और शिव जी के साथ उनके विवाह की कथा सुनाई जाती है। कथा सुनने के बाद आरती की जाती है और अंत में सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है।

 

यह भी पढ़ें: भस्म आरती से पौराणिक कथा तक, जानें महाकाल मंदिर से जुड़ी सभी बातें

 

इस दिन महिलाएं विशेष रूप से हरे रंग के कपड़े पहनती हैं क्योंकि हरा रंग हरियाली, सौभाग्य और जीवन की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। वे अपने हाथों में मेंहदी लगाती हैं और झूला झूलती हैं। कई जगहों पर मंदिरों में या घरों में झूले सजाए जाते हैं, जिन पर महिलाएं पारंपरिक गीत गाते हुए झूलती हैं। यह सावन के मौसम की सुंदरता और उमंग को दर्शाता है।

हरियाली तीज का आध्यात्मिक महत्व

हरियाली तीज सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि स्त्रियों के लिए आत्मशुद्धि, संकल्प और प्रेम का प्रतीक है। यह व्रत न केवल वैवाहिक जीवन को मजबूत करता है, बल्कि शिव और शक्ति के आदर्श प्रेम को भी दर्शाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap