हिंदू धर्म में होलिका दहन पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन पर्व मनाया जाता है। यह पर्व होली से ठीक 1 दिन पहले रात्रि के समय मनाया जाता है। इस दिन लकड़ी से होलिका तैयार की जाती है और विधि-विधान से होलिका दहन किया जाता है।
हालांकि, होलिका दहन करते समय शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है। बता दें कि भद्रा के दौरान होलिका दहन करने की सख्त मनाही है। आइए जानते हैं, इस वर्ष किस समय किया जाएगा होलिका दहन।
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होलिका दहन 2025 समय
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च तिथि सुबह 10:30 पर शुरू हो रही है और इसका समापन 14 मार्च को होगा। ऐसे में 14 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी और 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। बता दें कि इस दिन भद्रा का निर्माण हो रहा है, जो शाम 6:55 से रात्रि 10:22 तक रहेगा। ऐसे में कई जगहों पर मध्य रात्रि 11:25 से 12:30 के बीच होलिका दहन की जाएगी। वहीं कुछ जगहों पर भद्रा मुख से पहले होलिका दहन किया जाएगा।
होलिका दहन के दिन किन बातों का रखे ध्यान
शास्त्रों में यह बताया गया है कि होलिका दहन के दिन भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। इस दिन भद्रा पूंछ शाम 06:55 से रात्रि 08:14 के बीच रहेगा लेकिन भद्र मुख के दौरान इस पर्व को मनाना वर्जित है।
होलिका दहन से पहले शुद्ध मन और शरीर से इसकी तैयारी करनी चाहिए। घर के बड़े-बुजुर्गों से सही समय और दिशा की जानकारी लेकर ही दहन करना शुभ होता है। इस दिन पूरे मन से भगवान नरसिंह और प्रह्लाद की पूजा करनी चाहिए, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
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होलिका दहन के लिए लकड़ी, उपले और अन्य पवित्र सामग्री का उपयोग किया जाता है। इसमें सूखे पत्ते, गन्ना, नारियल और हवन सामग्री भी डाली जाती है। जब अग्नि प्रज्वलित की जाती है, तो उसमें नई फसल के अन्न, जैसे गेहूं की बालियां और चने के दाने अर्पित करना शुभ माना जाता है। यह प्रतीक होता है कि हमारे जीवन में अन्न-धन की कभी कमी न हो।
होलिका दहन के समय अच्छे विचार और सकारात्मक भाव रखना चाहिए। किसी भी प्रकार की नकारात्मकता या बुरी सोच से बचना चाहिए। इस दिन लोगों को ईर्ष्या, क्रोध और अन्य बुरी आदतों का त्याग करने का संकल्प लेना चाहिए।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।