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इस्लाम धर्म में कितने पंथ हैं और इनके बीच अंतर क्या है? समझिए

इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है, इस धर्म से जुड़े कई पंथ भी हैं। आइए जानते हैं इस्लाम में मुख्य रूप से कितने पंथ है और इनके बीच प्रमुख अंतर क्या हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Photo Credit: AI

इस्लाम धर्म दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म में समय के साथ कई पंथ बने। इनमें सुन्नी और शिया को सबसे बड़े पंथ के रूप में माना जाता है। सुन्नी और शिया के बीच मतभेद पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु के बाद नेतृत्व को लेकर हुआ था। सुन्नी मुसलमानों की संख्या सबसे ज्यादा है (करीब 85-90%)। वे पहले चार खलीफाओं को सही नेता मानते हैं और कुरआन व हदीस को ही अपने धर्म की बुनियाद मानते हैं। वहीं, दूसरी ओर, शिया मुसलमान (करीब 10-15%) मानते हैं कि पैगंबर के बाद नेतृत्व सिर्फ उनके परिवार, खासकर हजरत अली और उनके वंशजों को ही मिलना चाहिए।

 

समय के साथ इन मतभेदों ने अलग-अलग परंपराओं और नियमों को जन्म दिया। सुन्नी पंथ के अंदर चार प्रमुख विचारधाराएं हैं, जिनमें हनफी, शाफई, मालिकी और हंबली का नाम शामिल है। वहीं, शिया मुसलमान जाफरी फिक्ह का पालन करते हैं। इनके बीच नमाज पढ़ने के तरीकों, धार्मिक त्योहारों और धार्मिक नेतृत्व की अवधारणा में अंतर साफ दिखाई देता है। इस विषय का जिक्र इस्लामिक किताबों में भी मिलता है।

 

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शिया और सुन्नी पंथ में विशेष अंतर

सुन्नी

  • सुन्नी इस्लाम का सबसे बड़ा समुदाय है, दुनियाभर में सुन्नी मुसलमानों का लगभग 85-90% हिस्सा रहता हैं। 
  • सुन्नी लोग कुरआन और हदीस (पैगंबर मुहम्मद की कथाएं और क्रियाएं) को मुख्य धार्मिक आधार मानते हैं और प्रथम चार खलीफाओं (अबू बकर, उमर, उस्मान, अली) को धर्म का सही नेता मानते हैं। 
  • सुन्नी इस्लाम में चार प्रमुख न्यायशास्त्र (फिक्ह) स्कूल हैं: हनफी, मालिकी, शाफई, और हंबली। 

शिया

  • शिया इस्लाम के छोटे समुदाय में शामिल हैं, अनुमानों के अनुसार, दुनियाभर में शिया मुसलमानों का लगभग 10-15% हिस्सा रहता है। 
  • शिया इस बात पर विश्वास रखते हैं कि पैगंबर मुहम्मद के बाद धर्म का नेतृत्व (इमामत) केवल अहले-बैत (पैगंबर के परिवार) के लोगों को प्राप्त होना चाहिए, खासकर अली और उनके वंशजों को। 
  • शिया न्यायशास्त्र का मुख्य स्कूल जाफरी है, जिसमें ट्वेल्वर शिया, इस्माइली, जैदी जैसे उप-समुदाय शामिल हैं। 

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अन्य उप-समुदाय और विचारधाराएं

  • सूफी परंपरा: यह अलग ‘पंथ’ नहीं बल्कि आध्यात्मिक और रहस्यवादी अभ्यास है, जो मुसलमानों के बीच सुन्नी और शिया दोनों में मौजूद है। 
  • वहाबी, देवबंदी, बरेलवी आदि समूह सुन्नी इस्लाम के अंदर विशेष मजहबों या सामाजिक-धार्मिक परंपराओं के रूप में विकसित हुए हैं।

यह जानकारी किन इस्लामी किताबों या ग्रंथों में लिखी है?

  • अ-फरक बैन अल-फिराक जैसे मुस्लिम ग्रन्थों में इनके पंथों की संख्या और विभाजन का उल्लेख किया गया है।
  • अ-मिलाल वा-नन्हाल, अल्लामा शाहरास्तानी की किताब है, जिसमें अलग-अलग मुस्लिम सम्प्रदायों की विवेचना की गई है। 
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