नवरात्रि में 9 दिन तक वर्त रखने वाले भक्त आखिरी दिन यानी 9वें दिन कन्या पूजन करते हैं। परंपरा के अनुसार, नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या भोज कराया जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि में आज यानी 30 सितंबर और कल 1 अक्टूबर को कन्या पूजन करवाया जाएगा। शास्त्रों में कहा गया है , 'कन्ये त्वं दुर्गा भवानी भव' जिसका अर्थ है कि कन्याओं में देवी दुर्गा का निवास होता है। इसलिए नवरात्रि में मां दुर्गा को कन्याओं के रूप में भोग लगाया जाता है। मां दुर्गा के रूप में 2 से 10 साल की कन्याओं को भोज कराया जाता है।
परंपरा के अनुसार, कन्या पूजन में 9 ही कन्याएं बुलाई जाती हैं क्योंकि मां दुर्गा के भी 9 ही रूप हैं। देवी भागवत पुराण और मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, नवरात्रि के व्रत, हवन और पूजा तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक कन्या पूजन न किया जाए। कन्या पूजन को नवरात्रि साधना का समापन माना गया है। नवरात्रि के अंत में कन्या पूजन करके, ब्रह्मांड की मूल शक्ति आदिशक्ति को सम्मान दिया जाता है।
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कैसे करें कन्या पूजा?
- 2 से 10 साल की 9 कन्याएं चुनें।
- कन्याओं के साथ एक इसी उम्र का लड़का भी साथ बैठाएं, जो बटुक भैरव होता है।
- नहाकर साफ कपड़े पहनें, पूजा की जगह को गंगाजल से शुद्ध करें, कन्याएं भी साफ कपड़े पहनें और शृंगार करें।
- साफ जगह पर मां की पूजा करें, मां दुर्गा की मूर्ति या कोई चित्र रखें फिर फूल, दीप, धूप, चंदन, रोली, प्रसाद (हलवा, पूरी, चना) तैयार करें।
- कन्याओं को सम्मान से बिठाएं, उनके पैर धोएं, तिलक लगाएं, मंत्र पढ़ें, माला पहनाएं, प्रसाद दें।
- कन्याओं को सात्विक भोजन कराएं, दक्षिणा के रूप में पैसे, उपहार या कपड़े दे सकते हैं और फिर प्यार से कन्याओं को विदा करें।
कन्या पूजन के लिए आपको छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना होगा। कन्याओं के साथ सम्मान से पेश आएं और भोज के लिए जिस सामान का इस्तेमाल कर रहे हैं वह शुद्ध होना चाहिए। कन्याएं मां दुर्गा के रूप में आपके घर में आएंगी तो उनके साथ वैसा ही व्यवहार करें।

कन्या पूजन में लड़के को बैठाना क्यों है जरूरी?
कन्या पूजन के दौरान कन्याओं के साथ एक लड़का भी बिठाया जाता है, जिसे लंगूर या लांगुरिया कहा जाता है। लांगूर को बटुक भैरव का रूप माना जाता है। मान्यता है कि वैष्णों देवी के दर्शन के बाद भैरो के दर्शन करना जरूरी होता है। इसलिए, कन्या पूजन के दौरान लंगूर को कन्याओं के साथ बैठाने पर यह पूजा सफल मानी जाती है।
परंपरा के अनुसार जब कन्याएं घर में आती हैं तो विदाई से पहले उन्हें कुछ दक्षिणा या उपहार दिए जाते हैं। अष्टमी या नवमी पर कन्या पूजन में कन्याओं को एक वस्त्र में चावल, सिक्का, दूर्वा, हल्दी की गांठ और एक फूल बांधकर जरूर देना चाहिए। इसके साथ ही अगर आप दक्षिणा के रूप में पैसा या फिर कोई अन्य उपहार देना चाहते हैं तो वह भी दे सकते हैं। ऐसा करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा परिवार के सभी सदस्यों पर बनी रहती है।
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ऐसे करें विदाई
कन्या पूजन खत्म होने के बाद कन्याओं को विदा करें। इसके लिए जब आप दक्षिणा दे दें तो पहले अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ कन्याओं के चरण छूकर आशीर्वाद लें। इसके बाद पूरे परिवार के साथ कन्याओं को अपने घर के दरवाजे तक छोड़कर आना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार का माहौल सकारात्मक बना रहता है।