उत्तराखंड में स्थित भगवान शिव के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर के बारे में सभी ने सुना होगा। हालांकि, कश्मीर में भी एक ऐसा ही केदारनाथ मंदिर है जो गुप्त गंगा के पास स्थित है। इस मंदिर का अपना एक पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है। इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और लोक कथाओं में भी मिलता है, जो इसे और भी रहस्यमयी बनाता है।
मंदिर का पौराणिक महत्व
केदारनाथ मंदिर, जो उत्तराखंड में स्थित प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग केदारनाथ से अलग है लेकिन इसका नाम और धार्मिक महत्व किसी से कम नहीं। कहा जाता है कि यह मंदिर पांडवों के काल से जुड़ा हुआ है। महाभारत के युद्ध के बाद जब पांडव अपने पापों से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की खोज में निकले थे, तो शिव उनसे रुष्ट होकर अलग-अलग स्थानों पर छिप गए थे। मान्यता है कि भगवान शिव कश्मीर की गुप्त गंगा के पास भी प्रकट हुए थे और वहां उन्होंने ध्यान लगाया था।
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गुप्त गंगा अपने आप में एक रहस्यमयी स्थान है। लोक कथाओं के अनुसार, इस गंगा का जल भूमिगत रूप से बहता है और अचानक कुछ स्थानों पर बाहर प्रकट होता है। इसी के पास यह प्राचीन केदारनाथ मंदिर स्थित है, जो शिव भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है।
मंदिर का इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार, यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है और इसका निर्माण कश्मीर के तत्कालीन शासकों ने करवाया था। यह मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से बनी है और मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की एक विशाल शिवलिंग स्थापित है, जिसे स्वयंभू माना जाता है। इस शिवलिंग की विशेषता यह है कि यह हमेशा जल से तर रहता है, जो गुप्त गंगा के प्रवाह से जुड़ा हुआ माना जाता है।
इस मंदिर को कई राजाओं ने समय-समय पर पुनर्निर्मित करवाया लेकिन मुगल शासन के दौरान इसे काफी नुकसान पहुंचा। हालांकि, शिव भक्तों की आस्था और मंदिर की आध्यात्मिक शक्ति के कारण यह आज भी कश्मीर में हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
गुप्त गंगा का रहस्य और आस्था
गुप्त गंगा केवल इस मंदिर के कारण ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि इसके जल की चमत्कारी शक्तियों के कारण भी लोग यहां आते हैं। कहा जाता है कि इसका जल कई रोगों को दूर करने में सक्षम है और इसमें स्नान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह गंगा स्वर्ग से आती है और जो भी सच्चे मन से इसके जल को ग्रहण करता है, उसे आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है। यह भी कहा जाता है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग पर जल अर्पित करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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आज भी यह मंदिर शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। लोग यहां विशेष रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाने और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने आते हैं।
गुप्त गंगा के पास स्थित यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी अद्वितीय स्थान रखता है। कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित यह मंदिर हर श्रद्धालु को आध्यात्मिक शांति और भगवान शिव की अलौकिक उपस्थिति का अनुभव कराता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।