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महाकुंभ में बाबा विश्वनाथ की आरती में होगा बदलाव, जानें नई समय सूची

महाकुंभ के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर भी आस्था का केंद्र रहेगा। साथ ही दौरान बाबा विश्वनाथ की आरती के समय में कुछ बदलाव भी किए गए हैं।

Image of Kashi Vishwanath Mandir

काशी विश्वनाथ मंदिर का प्रवेश द्वार।(Photo Credit: Wikimedia Commons)

13 जनवरी 2025 से प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ होने जा रहा है। अध्यात्म के इस महा आयोजन में लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। गंगा, यमुना और विलुप्त हो चुकी सरस्वती के संगम तट पर साधु-संत भी उपस्थित होते हैं और इस मेले का हिस्सा बनते हैं। हालांकि, प्रयागराज के साथ-साथ अन्य तीर्थस्थलों पर भी लोग दर्शन के लिए जाते हैं, जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर भी एक है।

 

इस साल होने जा रहे कुंभ मेले की भव्यता को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि मेले के दौरान 10 करोड़ श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए आ सकते हैं। इस संख्या को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने सीमित समय के लिए आरती के समय में कुछ बदलाव करने का निर्णय लिया है।

इस समय होगी बाबा विश्वनाथ की आरती

प्रत्येक दिन काशी विश्वनाथ मंदिर में 5 आरती- मंगला आरती, भोग आरती, सप्त ऋषि आरती, श्रृंगार भोग आरती और शयन आरती की जाती है। 13 जनवरी से 26 फरवरी के सामान्य दिनों में मंगला आरती का समय प्रातः 2:45 पर, भोग आरती का समय दोपहर 11:35, सप्त ऋषि आरती शाम 7:00 बजे, श्रृंगार भोग आरती रात्रि 8:45 बजे और शयन आरती का समय रात्रि 10:30 बजे की जाएगी।

 

हालांकि, 20 और 27 जनवरी व 3, 10, 17 और 24 फरवरी को शृंगार आरती का समय बदलकर रात्रि 9:00 बजे और शयन आरती रात्रि 10:45 बजे की जाएगी। वहीं महाकुंभ के अंतिम दिन जो महाशिवरात्रि के दिन है, मंगला आरती और भोग आरती अपने समय पर होगी, जबकि अन्य आरतियां नहीं कि जाएंगी। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि में मंदिर के कपाट बंद नहीं होंगे।

काशी में स्वयं वास करते हैं महादेव

किंवदंतियों के अनुसार, जब भगवान शिव और माता पार्वती वैवाहिक बंधन में बंधे थे, तब महादेव कैलाश पर निवास करते थे और देवी पावर्ती अपने पिता के घर रहती थीं। यहां माता पार्वती का मन नहीं लग रहा था और उन्होंने भोलेनाथ से साथ ले जाने की प्रार्थना की। इसे स्वीकारते हुए भगवान शिव उन्हें काशी ले आए और मान्यता है कि तभी शिव-पार्वती यहां निवास करते हैं। भगवान विश्वनाथ का यह मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। काशी से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि यह पवित्र नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा हुआ है। काशी को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु काशी में होती है, उन्हें जीवन-मरण से चक्र से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और वह मोक्ष को प्राप्त होते हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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