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मार्च नहीं फरवरी में ही खत्म हो रहा है महाकुंभ, इस दिन है अंतिम स्नान

हिंदू धर्म में महाकुंभ मेले का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं, महाकुंभ का अंतिम दिन और इस दिन क्या है स्नान का महत्व?

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कुंभ मेले में श्रद्धालुओं का स्नान।(Photo Credit: PTI)

हिंदू धर्म में महाकुंभ का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ के दौरान पवित्र गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। बता दें कि प्रयागराज में कुंभ स्नान के लिए देशभर से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है।

इस बीच, बीते दिनों से सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैलाई जा रही है कि महाकुंभ को मार्च तक बढ़ा दिया गया है, जबकि इस जानकारी का खंडन स्वयं प्रयागराज के डीएम कर चुके हैं।

महाकुंभ 2025 में कब होगा अंतिम स्नान?

महाकुंभ का समापन महाशिवरात्रि के दिन होगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा और इसी दिन महाकुंभ 2025 का अंतिम स्नान भी किया जाएगा। हालांकि, इसके बाद भी संगम में स्नान जारी रहेगा, क्योंकि यह हिंदू धर्म में आस्था का केंद्र है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए आते हैं।

 

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मार्च तक कुंभ की तिथि नहीं बढ़ाई गई है - डीएम

प्रयागराज के डीएम रविंद्र मांदड़ ने मीडिया को बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार सभी श्रद्धालुओं की सुविधा और बाकी व्यवस्थाओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महाकुंभ की समाप्ति की तिथि पूर्व निर्धारित होती है और मुहूर्त पर निर्भर करती है। ऐसे में 26 फरवरी को ही महाकुंभ अपने निर्धारित समय पर समाप्त हो जाएगा।

शिवरात्रि के दिन कुंभ स्नान से जुड़ी मान्यताएं

शास्त्रों में महाशिवरात्रि पर्व का विस्तार से उल्लेख मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह भी कहा गया है कि महाशिवरात्रि के दिन महादेव की उपासना के साथ पवित्र स्नान करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है। कुंभ और शिवरात्रि का संयोग इस दिन के माहात्म्य को और अधिक बढ़ा देता है। इस दिन न केवल प्रयागराज, बल्कि देश की सभी पवित्र नदियों में भी बड़ी संख्या में लोग स्नान करते हैं।

 

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महाशिवरात्रि के दिन इस प्रकार करें पवित्र स्नान

महाकुंभ के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर भगवान शिव का स्मरण करें और इसके बाद पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाएं। पवित्र स्नान का एक नियम यह है कि कम से कम तीन बार डुबकी लगानी चाहिए। इस दौरान निम्न मंत्र का जाप करें:

 

'गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।।'

 

यदि कोई व्यक्ति पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ हो, तो वह घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकता है। इस दौरान भी उपरोक्त मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से भी पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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