महाकुंभ में 'किसान भगवान' का मंदिर, मान्यता क्या है?
धर्म-कर्म
• PRAYAGRAJ (ALLAHABAD) 04 Feb 2025, (अपडेटेड 04 Feb 2025, 3:58 PM IST)
महाकुंभ में पहली बार ऐसा हुआ है जब देश के अन्नदाता किसानों का मंदिर बना है। मंदिर में किसान देवी और देवताओं की प्रतिमा है। जानिए इस मंदिर की हर खूबी, विस्तार से।

महाकुंभ में किसान देवता का मंदिर। (Photo Credit: Khabargaon)
महाकुंभ नगर क्षेत्र में देश-दुनिया के अलग-अलग कोने संत पहुंचे हैं। सबकी सांप्रदायिक मान्यताएं अलग-अलग हैं। 4 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले महाकुंभ नगर में कई ऐसी झाकियां सजाई गई हैं, जिनमें भारत की सांस्कृतिक विविधता झलक रही है। महाकुंभ नगर के सेक्टर नंबर 15 में मुक्ति मार्ग पर किसान्न देवता, किसान देवी मंदिर शिविर भी है। यह विश्व का पहला मंदिर शिविर है जिसमें आराध्य देव के रूप में किसान देवता और आराध्य देवी के रूप में किसान देवी स्थापित हैं।
महाकुंभ नगर में आने वाले श्रद्धालु, किसान देवी और किसान देवता के मंदिर को देखते हैं तो चौंकते भी हैं। फिर जानने की उत्सुकता में पास पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि शिविरनुमा बने इस मंदिर में कोई देवी देवता नहीं बल्कि एक किसान की मूर्ति स्थापित है। देवी मां की जगह पर एक महिला किसान की मूर्ति स्थापित है। किसी देवी देवता की भांति उनके हाथ में अस्त्र-शस्त्र नहीं हैं, बल्कि खेती करने वाले औजार ही उनके अस्त्र शस्त्र हैं। जहां किसान देवता अपने हाथ में हल लिए हुए हैं, वहीं किसान देवी के हाथों में हंसिया है। किसान देवी और किसान देवता का एक-एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में भी उठा हुआ है।
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क्या है इस मंदिर की मान्यता?
मंदिर के पास ही किसानाचार्य स्वामी शैलेंद्र योगीराज का आसान लगता है। जैसे सभी अखाड़े, शिविरों और धर्म स्थलों पर पूजा आरती पाठ होता है, वैसे ही किसान मंदिर शिविर में भी पूजा आरती होती है लेकिन आरती किसान की होती है और किसान चालीसा का पाठ होता है। इसे बुकलेट के रूप में श्रद्धालु किसानों को वितरित भी होती है। पीठाधीश्वर किसानाचार्य शैलेंद्र योगीराज बताते हैं कि प्रतापगढ़ जनपद की पट्टी तहसील अंतर्गत सराय महेश गांव में किसान देवी और किसान देवता का मूल मंदिर स्थापित है। यह विश्व का पहला किसान मंदिर है। महाकुंभ नगर क्षेत्र में भी विश्व के पहले किसान देवता मंदिर शिविर के रूप में स्थापित है।
कौन है इस आश्रम का पीठाधीश्वर?
किसानाचार्य स्वामी शैलेन्द्र योगिराज सरकार यहां किसान पीठाधीश्वर हैं। भारत कृषि प्रधान देश है। किसान अन्नदाता हैं, इसलिए उनकी पूजा होना चाहिए। इस पीठ के पीठाधीश्वर का यही कहना है। महाकुम्भ में स्थापित किसान देवता मंदिर से ही किसान बोर्ड की मांग भी उठाई जा रही है। उनका कहना है कि सनातन बोर्ड व बप्फ बोर्ड से लोगों का पेट नहीं भरेगा और यह भी कहा किसान ही है जो संतों के भोजन के लिए फल और फलाहार की वस्तु पैदा करता है।
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शैलैंद्र योगाचार्य ने कहा, 'सभी लोगों के लिए भोजन की सामग्री का उत्पादन किसान ही करता है। यहां तक कि भगवान के पूजन की भी सामग्री किसान ही पैदा करता है। इसलिए सभी संतों महात्माओं को सबसे पहले अन्नदाता किसान के लिए किसान बोर्ड के गठन की मांग करना चाहिए। हमारे लिए किसान किसी भगवान व देवता से कम नहीं है। भारतवर्ष में किसान बोर्ड का गठन किया जाए। जिससे सब का पेट भरने वाले अन्नदाता किसान्न देवता को फसल का उचित दाम मिल सके। जिससे किसान की आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सके।'
किसान बोर्ड की क्यों मांग उठा रहे मंदिर के पीठाधीश्वर?
शैलेंद्र योगीराज ने कहा, 'न्यूज पेपर व सूचना तंत्र के माध्यम से अक्सर पढ़ने,सुनने को मिलता है कि अन्नदाता किसान की खेत खलिहान में खेती किसानी के दौरान आपदा दुर्घटना, विपरीत मौसम की मार से असमय मौत हो जाती है। ऐसे में उन्हें पर्याप्त मदद नहीं मिल पाती। किसानों को उनकी ऊपज की उचित कीमत, खेती के लिए खाद, पानी, बिजली जानकारी मार्केट की बड़ी दिक्कत है। फिर भी किसान हिम्मत नहीं हारते, हमारे आपके लिए अन्न फल फूल पैदा कर रहे हैं। लेकिन फिर भी उनकी उपेक्षा हो रही है। जब किसान बोर्ड बन जाएगा तो किसानों के लिए प्रोटोकॉल बन जाएगा। तभी किसान का भला होगा और किसान मजबूत होगा। सभी को एक सूत्र में बांधा जा सकेगा। सिर्फ किसान ही एक ऐसा है जिसके माध्यम से सब एक हो सकतें हैं।'
'अन्नदाता ही हैं देश के भाग्य विधाता'
किसानाचार्य शैलेंद्र योगीराज ने कहा, 'देश की 70 फीसदी आबादी गांव में बसती है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। भारत गांव में बसता है। भारत की आत्मा प्राण प्रतिष्ठा यूं कहे तो भारत की जान किसानों में बसती है। देश की आर्थिक समृद्धि और विकास का रास्ता हमारे गांव से होकर गुजरता है। बड़े-बड़े ऋषि मुनि मनीषी विद्वान डॉक्टर इंजीनियर जज और आप जैसे बड़े-बड़े पत्रकार भी किसानों के ही वंशज हैं। अन्नदाता किसान्न देवता देश का भाग्य विधाता है। यह अन्नदाता किसान्न देवता जीव जंतु पशु पक्षी पेड़ पौधों मनुष्यों संत महात्माओं आदि का पेट भरता है। इतना ही नहीं बल्कि देवी देवताओं को चढ़ाने वाले प्रसाद भोजन सामग्री पीर पैगंबर गॉड आदि को प्रस्तुत करने वाली सामग्री भी किसान ही पैदा करता है। इसलिए किसान बोर्ड का गठन होना चाहिए। '
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उन्होंने कहा, 'अन्न से ही जीवन का अस्तित्व बना रह सकता है। उसके बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं है। अतः प्राण शक्ति संपन्न अन्न से ही जीवन का उद्गम और रक्षण होता है। अतः अन्न को ब्रह्म के रूप में कहा गया है। जिस प्रकार से पसवो न गाव:। गाय पशु नहीं है। गाय पशु होते हुए भी पशु नहीं है वह माता है। जिस प्रकार से गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर गुरु साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः। जैसे की गुरु मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है। उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है। इसी प्रकार से किसान मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है। वह अन्नदाता है किसान्न देवता है। देश का भाग्य विधाता अन्नदाता है।'
भगदड़ की वजह से त्यागा अमृत स्नान का लोभ
महाकुम्भ में हादसे की वजह से हुई किसानों की असमय मौत की वजह से किसान पीठाधीश्वर किसानाचार्य शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने अमृत स्नान नहीं किया था। उन्होंने कहा, 'इस समय कुम्भ मेला क्षेत्र में जो भी रह रहे हैं, वह सब अभी एक परिवार हैं। इतनी बड़ी घटना हो गई है। बहुत दुखद लगा इसलिए अमृत स्नान का त्याग किया। अपने गुरु के साथ मां गंगा में क्षमा प्रार्थना के साथ स्नान किया। हादसे की वजह से दिवंगत लोगों की आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की है।'
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