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100 साल बाद महाकुंभ में हो रहा शास्त्रार्थ, समझिए क्या और कैसे होगा

सैकड़ों साल बाद महाकुंभ में इस बार शास्त्रार्थ का भी आयोजन किया जा रहा है। जानिए इसका आयोजन कौन कर रहा है और इसके नियम क्या हैं।

Sadhak Sant Jamwant

साधक संत जामवंत (संयोजक सदस्य), Photo Credit: Khabargaon

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 जहां विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम के रूप में स्थापित होने की ओर अग्रसर है। वहीं महाकुंभ 2025 में लगभग 100 साल बाद शास्त्रार्थ की परम्परा फिर से प्रारंभ हो गई है। सरल शब्दों में किसी विषय के सम्बन्ध में सत्य और असत्य के निर्णय हेतु परोपकार के लिए जो वाद-विवाद होता है उसे शास्त्रार्थ कहते हैं। लाखों वर्ष पूर्व प्राचीन ऋषियों-मुनियों से शास्त्रार्थ की परंपरा शुरू हुई थी, जिसको समयनुसार राजा महाराजा के सहयोग से बहुत ऊंचाई मिली लेकिन मुगलों के शासन काल में शास्त्रार्थ की परम्परा लगभग समाप्त हो गई।

 

बहुत पहले धर्म गुरु आदि शंकराचार्य के द्वारा स्थापित कुंभ मेला में भी इसका असर हुआ लेकिन अब महाकुंभ 2025 में फिर से इस परम्परा को महासंत देवरहवा बाबा के स्थाई शिविर अखंड ज्योति सेक्टर 19 में फिर से प्रारंभ किया गया है।

 

महाकुंभ में पूरे एक माह तक शास्त्रार्थ का आयोजन चलेगा। 05 जनवरी 2025 से 04 फरवरी 2025 के मध्य आयोजित शास्त्रार्थ में प्रत्येक दिन कार्यशाला और चर्चाओं का आयोजन हुआ।

इस संबंध में शास्त्रार्थ के संयोजक संत जामवंत ने बताया महाकुंभ 2025 में आयोजित शास्त्रार्थ में विषय के रूप में शिक्षा, राष्ट्र निर्माण, शास्त्र ज्ञान, दर्शन, स्वास्थ्य, योग साधना, पर्यावरण संरक्षण, विज्ञान, इतिहास और कर्म पर चर्चा होगी।

 

कैसे होगा शास्त्रार्थ?

 

साधक संत जामवंत ने बताया, 'इस शास्त्रार्थ का आयोजन जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले या स्वयं की अनुभव से उस क्षेत्र की विशेषता रखने वाले लोगों के लिए ही है। इसलिए प्रत्येक क्षेत्र में अनुभवशील कार्यरत या कार्य की इच्छा से जानने की इच्छा रखने वाले सभी पुरुष महानुभावों को आमंत्रित किया गया है। यह शास्त्रार्थ महाकुंभ मेले में आयोजित है जिसमें पूरे देश दुनिया के विद्वान जन आते हैं। ऐसे सभी महानुभाव आमंत्रित हैं जो इन विषयों में शास्त्रार्थ की योग्यता रखते हैं।'

 

महाकुंभ 2025 में आयोजित एक माह के शास्त्रार्थ कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताते हुए साधक संत जामवंत ने बताया कि 5 जनवरी को शुभारंभ के बाद प्रत्येक दिन सुबह 10:00 से शाम 6:00 बजे तक शास्त्रार्थ का समय निर्धारित है। जिसमें सुबह 10:00 से 12:00 तक कार्यशालाओं और चर्चाओं का आयोजन होता है। शाम 4:00 बजे से 6:00 बजे तक विद्वत एवं कार्यरत गोष्ठी का सत्र चलता है।

 

इसके साथ ही मुख्य विषय से जुड़ी है प्रदर्शनी उससे संबंधित पुस्तक की यह कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी। शास्त्रार्थ में 06 जनवरी से 12 जनवरी के मध्य शिक्षा और राष्ट्र निर्माण विषय होगा। फिर 13 जनवरी से 19 जनवरी तक शास्त्र ज्ञान और दर्शन का महत्व इसके बाद 20 जनवरी से 25 जनवरी के मध्य स्वास्थ्य और योग साधना पर शास्त्रार्थ होगा। वहीं 26 जनवरी से 31 जनवरी के बीच पर्यावरण संरक्षण और विज्ञान विषय पर शास्त्रार्थ आयोजित होगा। 1 फरवरी से 4 फरवरी के बीच इतिहास कर्म और विज्ञान विषय पर प्रतियोगियों एवं आयोजकों का अनुभव साझा होगा।

 

डिजिटल होगा पूरा शास्त्रार्थ

 

जिस प्रकार से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ 2025 को डिजिटल महाकुंभ के रूप में स्थापित करने की शुरुआत की। उसी क्रम में सौ साल बाद फिर से शुरू हुआ शास्त्रार्थ भी डिजिटल होगा। जिसे वेबसाइट और फेसबुक और यूट्यूब पर विशेष ऐप Bharat Talk पर देखा सुना जा सकेगा।

 

बता दें कि आजकल सामान्य रूप से शास्त्रार्थ और डिबेट (debate), धर्म चर्चा को लोग एक समान समझते हैं जबकि शास्त्रार्थ और डिबेट में बहुत अन्तर है। शास्त्रार्थ विशेष नियमों के अंतर्गत होता है,अर्थात ऐसे नियम जिनसे सत्य और असत्य का निर्णय होने में आसानी हो सके इसके विपरीत डिबेट में ऐसे पूर्ण नियम नहीं होते हैं। महाकुंभ 2025 में ऐसे डिबेट,धर्म चर्चा प्रवचन आदि तो कई जगह होते हैं लेकिन शास्त्रार्थ इनसे भिन्न है।

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