logo

ट्रेंडिंग:

कालाष्टमी के दिन इस विधि से करें भगवान शिव के रौद्र रूप की उपासना

भगवान कालभैरव की उपासना के लिए कालाष्टमी व्रत का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं कब रखा जाएगा यह व्रत और इस दिन का महत्व।

AI Image of Bhagwan Kaal Bhairav

भगवान काल भैरव।(Photo Credit- AI Image)

हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना सृष्टि के संहारक के रूप में की जाती है। साथ ही भगवान शिव के 11 रुद्रावतारों की उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और उनके स्वरूपों की उपासना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इन्हीं 11 रुद्रावतारों में भगवान काल भैरव भी एक हैं, जिनकी उत्पत्ति भगवान शिव रौद्र रूप से हुआ था।

 

बता दें कि प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान काल भैरव को समर्पित कालाष्टमी व्रत का पालन किया जाता है। बता दें कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मासिक कालाष्टमी व्रत का पालन किया जाएगा। आइए जानते हैं माघ कालाष्टमी व्रत तिथि और महत्व।

माघ मासिक कालाष्टमी व्रत 2025

वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 21 जनवरी दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 22 जनवरी दोपहर 03 बजकर 18 मिनट पर हो जाएगा। भगवान काल भैरव की उपासना रात्रि के समय की जाती है, ऐसे में मासिक कालाष्टमी व्रत 21 जनवरी, मंगलवार के दिन रखा जाएगा।

 

यह भी पढ़ें: महाकुंभ के अलावा क्या घर पर कर सकते हैं कल्पवास? जानें नियम और महत्व

कालाष्टमी व्रत के नियम

  • कालाष्टमी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करके साफ वस्त्र धारण करना चाहिए।
    दिनभर उपवास रखें और केवल फलाहार करें।
  • भगवान भैरव की पूजा के दौरान उनकी मूर्ति या चित्र पर धूप, दीप, काले तिल, फूल और नारियल चढ़ाएं।
  • इस दिन काले कुत्ते को रोटी और दूध खिलाना भी विशेष फलदायी माना गया है।
  • इस दिन शाम को भैरव चालीसा और कालभैरव अष्टक का पाठ करें।
  • व्रत अगले दिन सुबह पारण के साथ पूर्ण होता है।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी ने अहंकारवश भगवान शिव का अपमान किया। इससे शिवजी क्रोधित हो गए और उनके तृतीय नेत्र से एक उग्र रूप प्रकट हुआ, जो भगवान कालभैरव के रूप में जाना गया। कालभैरव ने ब्रह्मा जी का अहंकार समाप्त किया और उनसे सभी लोकों की रक्षा का वचन लिया। उसी दिन से भगवान कालभैरव को न्याय का देवता माना जाने लगा।

 

यह भी पढ़ें: शनिवार के दिन शनिदेव को प्रिय है ये 5 काम, जीवन में आती है सफलता

कालाष्टमी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा से जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है और भक्त को साहस, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कालाष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और वह बुरी शक्तियों से सुरक्षित रहता है। भगवान कालभैरव को न्याय का देवता भी माना गया है, इसलिए इस दिन उनके प्रति समर्पण करने से जीवन में सही दिशा प्राप्त होती है। यह व्रत विशेष रूप से शत्रुओं पर विजय पाने और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap