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नाग पंचमी: इस दिन की जाएगी नाग देवता की पूजा और जानें आध्यात्मिक संबंध

हिंदू धर्म में नाग पंचमी पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं कब मनाया जाएगा यह त्योहार और इससे जुड़ी पौराणिक बातें।

Image of Nag Devta Puja

नाग पंचमी पर होती नागों उपासना, सांकेतिक चित्र।(Photo Credit: AI Image)

हिन्दू धर्म में जिस तरह देवी-देवताओं की उपासना की जाती है, उसी तरह कुछ विशेष अवसरों में पशु-पक्षियों की भी पूजा की जाती है। शास्त्रों में ऐसे कई पशु-पक्षियों के बारे में बताया गया है, जिनका संबंध किसी न किसी तरह अध्यात्म से जुड़ा हुआ है। ऐसे ही एक हैं नाग देवता, जिनकी उपासना सावन मास में विशेष रूप से की जाती है।

 

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से नागों की उपासना की जाती है, जिनका हिन्दू धर्म में खास स्थान। नागों को देवता ही माना जाता है। हर साल नाग पंचमी पर भगवान शिव के साथ-साथ नाग देवता की भी उपासना की जाती है।

नाग पंचमी 2025 तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 28 जुलाई रात्रि 11:24 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 30 जुलाई मध्यरात्रि 12:40 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में नाग पंचमी पर्व 29 जुलाई 2025, मंगलवार पर मनाएगा। साथ ही नाग पंचमी के दिन पूजा मुहूर्त सुबह 05:45 मिनट से सुबह 08:20 मिनट तक रहेगा।

 

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भगवान विष्णु और शेषनाग

भगवान विष्णु जब क्षीर सागर में शयन करते हैं, तब वे शेषनाग की शैय्या पर विश्राम करते हैं। शेषनाग को अनंत नाग भी कहा जाता है, जिनका काम ब्रह्मांड को संतुलन में रखना है।

भगवान शिव और वासुकी नाग

शिव जी के गले में लिपटा हुआ वासुकी नाग है। यह उनके शक्ति, संतुलन और निर्भयता का प्रतीक है। वासुकी वही नाग हैं जो समुद्र मंथन में मंदराचल पर्वत को मथने की रस्सी बने थे।

कुरु वंश और नागवंश

महाभारत में वर्णित है कि अर्जुन की पत्नी उलूपी, एक नागकन्या थी। उनका पुत्र इरावान कुरु वंश का हिस्सा था। इस तरह नागों का संबंध पांडवों से भी जुड़ता है।

मनुष्य और नागों का संबंध

पुराणों में नागों को एक अलग लोक का स्वामी बताया गया है जिसे "नागलोक" कहा जाता है। वे प्रकृति के रक्षक, जल स्रोतों के देवता और खजाने के संरक्षक माने जाते हैं।

 

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नाग पंचमी पर किन नागों की पूजा होती है?

नाग पंचमी श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से 8 प्रमुख नागों की पूजा की जाती है, जिन्हें ‘अष्टनाग’ कहा जाता है। ये हैं:

  • अनंत – शांति और संतुलन का प्रतीक।
  • वासुकी – शिव जी के गले में लिपटे रहते हैं।
  • शंखपाल – रक्षा और सुरक्षा के प्रतीक।
  • पद्म – सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक।
  • महापद्म – ऊर्जा और वैभव के दाता।
  • तक्षक – शक्तिशाली और राजाओं से जुड़े नाग।
  • कुलिक – बुद्धि और तेज के प्रतीक।
  • कर्कोटक – अग्नि और तप की शक्ति के धारक।

नाग पंचमी का महत्व

नाग पंचमी के दिन दीवारों पर नाग चित्र बनाए जाते हैं, दूध, कुशा, अक्षत और चंदन से नाग देवता की पूजा होती है। लोग सांपों को दूध पिलाते हैं, हालांकि यह परंपरा आजकल पर्यावरण और पशु सुरक्षा की दृष्टि से हानिकारक मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा से सर्प दोष, कालसर्प योग और स्वास्थ्य संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है।

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