हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का अपना एक विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है और इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बता दें कि 27 जनवरी, सोमवार के दिन सोम प्रदोष व्रत का पालन किया जाएगा। इस व्रत को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे सरल माध्यम माना जता है। हालांकि, इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।
सोम प्रदोष व्रत नियम
शास्त्रों में यह बताया गया है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ उपवास भी रखना चाहिए। मान्यता है कि इससे भगवान शिव का आशीर्वाद विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही प्रदोष व्रत के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, जिससे व्रत का पूरा लाभ मिल सके।
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। मन, वचन और कर्म की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। स्नान के बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
जो लोग व्रत का पालन कर रहे हैं उन्हें पूरे दिन निराहार रहना चाहिए या सिर्फ फल और दूध का ही सेवन चाहिए। इस मांस मदिरा का सेवन निषेध है, इसलिए भूलकर भी इसे नहीं खाना चाहिए।
शाम को प्रदोष पूजा संपन्न करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। इसके साथ व्रत के दिन किसी को अपशब्द न कहें और किसी भी प्रकार का झूठ, छल-कपट या हिंसा से बचें। मान्यता है कि इन नियमों का पालन न करने से पूजा का फल नष्ट हो जाता है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- भगवान शिव का अभिषेक दूध, दही, शहद, गंगाजल और बेलपत्र से करें।
- शिवलिंग पर अक्षत, फूल, चंदन और धूप-दीप अर्पित करें।
- ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव की आरती करें।
- इसके बाद शिवपुराण या शिव चालीसा का पाठ करें।
- प्रदोष व्रत की कथा सुनने से व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
- पूजा के अंत में आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।