भगवान शिव ने माता पार्वती को थी बताई रुद्राक्ष की महिमा, आप भी जानिए
भगवान शिव ने माता पार्वती को विस्तार से बताया कि रुद्राक्ष का महत्व क्या है और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई, आइए जानते हैं।

भगवान शिव और पार्वती।(Photo Credit: Wikimedia Commons)
हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष को बहुत ही पवित्र और ऊर्जा का भंडार कहा जाता है। साथ ही रुद्राक्ष की पूजा भगवान शिव के प्रत्यक्ष रूप में भी की जाती है। बता दें कि रुद्राक्ष की महिमा को शिव पुराण, विष्णु पुराण जैसे कई प्रमुख धार्मिक ग्रंथों में की गई है। रुद्राक्ष महिमा क्या है रुद्राक्ष क्या है और इसकी महिमा क्या है? यह सवाल माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछी थी। शिव पुराण में इस कथा को विस्तार से बताया गया है।
कथा के अनुसार, एक बार की बात है, कैलाश पर्वत पर माता पार्वती भगवान शिव के साथ बैठी हुई थीं। वे बड़े ही प्रेम और भक्ति भाव से भगवान शिव की लीलाओं का आनंद ले रही थीं। तभी माता पार्वती के मन में एक जिज्ञासा उत्पन्न हुई। उन्होंने भगवान शिव से पूछा-
भगवान शिव और माता पार्वती का संवाद
'हे प्रभु! आप सृष्टि के पालनहार हैं। मैं आपसे यह जानना चाहती हूं कि यह रुद्राक्ष क्या है? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई और इसका क्या महत्व है? कृपया मुझे विस्तार से बताइए।' भगवान शिव मुस्कुराए और प्रेमपूर्वक माता पार्वती को समझाने लगे-
रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा
भगवान शिव ने कहा, 'हे देवी! बहुत प्राचीन समय की बात है। जब मैं हजारों वर्षों तक गहन तपस्या में लीन था, तब मेरी समाधि इतनी गहरी थी कि मुझे बाहरी संसार का कोई भान नहीं था। जब मैंने अपनी तपस्या पूर्ण की और अपनी आंखें खोलीं, तो मेरी आंखों से कुछ अश्रु की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं। उन्हीं अश्रुओं से रुद्राक्ष का जन्म हुआ।'
शिव जी ने आगे कहा, 'रुद्राक्ष का अर्थ ही है- 'रुद्र' अर्थात् मेरा नाम और 'अक्ष' अर्थात् आंख। यह मेरे ही नेत्रों से उत्पन्न हुआ है, इसलिए इसमें मेरी अपार कृपा है। इस धरा पर जो भी मनुष्य सच्चे हृदय से रुद्राक्ष धारण करता है, वह पापों से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।'
रुद्राक्ष की महिमा
माता पार्वती ने फिर पूछा, 'हे प्रभु! क्या रुद्राक्ष धारण करने मात्र से सभी पाप मिट जाते हैं?'
भगवान शिव बोले, 'हे पार्वती! न केवल पाप नष्ट होते हैं, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। रुद्राक्ष की माला पहनने से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं, मन शांत रहता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।'
भगवान शिव ने आगे बताया, 'रुद्राक्ष के विभिन्न मुख होते हैं और प्रत्येक मुख का अलग-अलग प्रभाव होता है। एकमुखी रुद्राक्ष स्वयं शिव का स्वरूप है, पंचमुखी रुद्राक्ष कल्याणकारी होता है, और अन्य मुखों के रुद्राक्ष भी विशेष फल प्रदान करते हैं।'
रुद्राक्ष धारण करने का लाभ
भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा, 'जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ रुद्राक्ष को धारण करता है, उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है, उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और वह मृत्यु के बाद शिवलोक को प्राप्त करता है।'
माता पार्वती की प्रसन्नता
भगवान शिव की इस महिमा को सुनकर माता पार्वती अत्यंत प्रसन्न हुईं और उन्होंने कहा, 'हे प्रभु! आपकी यह कथा सुनकर मैं अत्यंत धन्य हुई। अब मैं समस्त भक्तों को रुद्राक्ष की महिमा बताऊंगी ताकि वे भी इसका लाभ प्राप्त कर सकें।'
भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया और कहा, 'हे देवी! जो भी इस कथा को सुनेगा और रुद्राक्ष धारण करेगा, वह सभी दुखों से मुक्त होगा और मेरी कृपा सदा उस पर बनी रहेगी।'
कितने प्रकार के होते हैं रुद्राक्ष?
वैसे तो रुद्राक्ष के 21 प्रकार हैं, लेकिन इनमें से पहले 10 प्रकार बहुत ही महत्वपूर्ण मानें जाते हैं। इनका संबंध किसी न किसी प्रकार से भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं से भी है। साथ ही शास्त्रों में इनकी महिमा को विस्तार से बताया गया है। आइए जानते हैं रुद्राक्ष के 10 प्रमुख प्रकार और उनसे जुड़ी मान्यताएं।
- एकमुखी रुद्राक्ष: यह सबसे दुर्लभ और शक्तिशाली माना जाता है। इसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और यह मोक्ष प्रदान करता है।
- द्विमुखी रुद्राक्ष: यह भगवान शिव और देवी पार्वती का प्रतीक है। इसे धारण करने से सुख-समृद्धि मिलती है।
- त्रिमुखी रुद्राक्ष: यह अग्नि देवता से जुड़ा है और इसे धारण करने से स्वास्थ्य और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
- चतुर्मुखी रुद्राक्ष: यह ब्रह्मा जी से संबंधित है और ज्ञान और बुद्धि प्रदान करता है।
- पंचमुखी रुद्राक्ष: यह सबसे आम रुद्राक्ष है और इसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। यह शांति और सुरक्षा प्रदान करता है।
- छहमुखी रुद्राक्ष: यह भगवान कार्तिकेय से जुड़ा है और इसे धारण करने से आत्मविश्वास बढ़ता है।
- सातमुखी रुद्राक्ष: यह देवी लक्ष्मी से संबंधित है और धन-संपत्ति प्रदान करता है।
- आठमुखी रुद्राक्ष: यह भगवान गणेश से जुड़ा है और बाधाओं को दूर करता है।
- नौमुखी रुद्राक्ष: यह दुर्गा मां का प्रतीक है और शक्ति प्रदान करता है।
- दसमुखी रुद्राक्ष: यह भगवान विष्णु से जुड़ा है और सुरक्षा प्रदान करता है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।
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