हर साल की तरह इस साल भी पूरे भारत में सरस्वती पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। यह दिन देवी सरस्वती, जो विद्या, बुद्धि, संगीत और कला की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं, उनकी उपासना के लिए समर्पित है। यह पूजा वसंत पंचमी से अलग है। इस दिन विशेष रूप से देवी सरस्वती के पूजन का आयोजन किया जाता है। क्योंकि इस दिन को ज्ञान और शिक्षा की प्राप्ति का दिन माना जाता है। विद्यार्थी अपनी किताबें और पेन देवी सरस्वती के चरणों में रखकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जबकि कलाकार और संगीतज्ञ अपनी कला की साधना में मां सरस्वती का आशीर्वाद मांगते हैं।
मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से बुद्धि, विद्या, मानसिक शांति और कला में निपुणता मिलती है। स्कूल, कॉलेज और घरों में आयोजित कार्यक्रमों के साथ-साथ इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा और भजन-अर्चना का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन को सरस्वती प्रधान पूजा के नाम से भी जानते हैं।
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कब है सरस्वती पूजा दिवस 2025?
वैदिक पंचांग के अनुसार, सरस्वती पूजा दिवस आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाएगा। इस तिथि की शुरुआत 30 सितम्बर को पूर्वाषाढा नक्षत्र में सुबह 6 बजकर 20 मिनट से होगी और इस तिथि का समापन 1 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर होगी।
सरस्वती पूजा की विशेषताएं
ज्ञान और शिक्षा की प्राप्ति:
- इस दिन विद्यार्थी अपनी किताबों, पेन, कॉपियां और पढ़ाई के समानों को देवी सरस्वती के सामने रखकर पूजन करते हैं।
- इसे विद्या का पहला आशीर्वाद माना जाता है।
संगीत और कला का सम्मान:
- संगीतज्ञ, कलाकार और लेखक भी इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करते हैं।
- वीणा, पेन और कलम जैसी चीजों का पूजन किया जाता है।
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सरल और सांस्कृतिक रीति:
- पूजा में पीले फूल, पीली रंग के सामान और हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है।
- मिठाई, फल और गुड़ से भोग अर्पित किया जाता है।
सरस्वती पूजा से जुड़ी मान्यता
- देवी सरस्वती का निवास सफेद रंग और कमल पर माना जाता है। इसलिए सफेद कपड़ा पहनकर पूजा की जाती है।
- पूजा के समय सरस्वती मंत्र का जाप करने से ज्ञान का विस्तार होता है।
- मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति विद्या, कला या संगीत में प्रयास करता है, उसे देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी मेहनत सफल होती है।
- बच्चों को इस दिन उनकी शिक्षा में प्रारंभिक आशीर्वाद देने के लिए उनकी किताबें और लेखन के सामान को देवी के चरणों में रखा जाता है।
प्रमुख मंत्र
ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः