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सौंदर्य, सुहाग से सौभाग्य तक, 'सिंदूर' की धार्मिक मान्यता क्या है?

सनातन संस्कृति में पूजा-पाठ के दौरान सिंदूर का प्रयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है। आइए जानते हैं क्या है'सिंदूर' की धार्मिक मान्यता।

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सनातन संस्कृति में सुहाग का प्रतीक है सिन्दूर।(Photo Credit: Wikimedia Commons)

सनातन पूजा-पद्धति में कई पवित्र चीजों का प्रयोग किया जाता है, जिसमें सिंदूर का स्थान बहुत ही पवित्र माना गया है। यह केवल एक लाल रंग का चूर्ण नहीं, बल्कि नारी के सौभाग्य, समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है। विशेष रूप से हिंदू विवाहित स्त्रियों के लिए सिंदूर उनके पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की समृद्धि से जुड़ा हुआ होता है।

सुहाग का प्रतीक क्यों है सिंदूर?

सिंदूर का संबंध सीधे विवाहित स्त्रियों के सौभाग्य से होता है। जब किसी महिला का विवाह होता है, तो उनका पति मांग में सिंदूर भरता है। यह परंपरा दर्शाती है कि वह अब एक संपूर्ण विवाहित स्त्री बन गई हैं सिंदूर को लगाने की यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और इसे भारतीय संस्कृति में सुहाग का प्रतीक माना जाता है। यह माना जाता है कि जब तक महिला की मांग में सिंदूर है, तब तक उसका पति जीवित और स्वस्थ है।

 

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धार्मिक मान्यताएं और सिंदूर

सिंदूर का महत्व केवल विवाह तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उपयोग धार्मिक पूजा-पाठ में भी विशेष रूप से होता है। इसे शुभता और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

भगवान हनुमान की पूजा में

हनुमान जी को सिंदूर अत्यंत प्रिय है। एक मान्यता के अनुसार, जब माता सीता ने हनुमान जी से पूछा कि वह मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं, तो हनुमान जी ने समझा कि यह भगवान राम की लंबी उम्र के लिए है। तब उन्होंने भगवान राम के लिए पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। तभी से भक्त हनुमान को सिंदूर अर्पण करने लगे।

मां दुर्गा और शक्ति की उपासना में

मां दुर्गा की पूजा में सिंदूर का प्रयोग अनिवार्य माना जाता है। विशेषकर सिंदूर खेला, जो बंगाल में दुर्गा पूजा के अंतिम दिन होता है, उसमें विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर देवी से अपने सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। साथ ही एक मान्यता यह भी है कि देवी को सिंदूर अर्पित करने से दांपत्य सुखी रहता है और जीवन में आ रही अड़चने मिट जाती हैं।

 

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गणपति पूजा में भी सिंदूर

पूजा-पाठ में भगवान गणेश की मूर्ति पर भी सिंदूर चढ़ाया जाता है, क्योंकि यह उन्हें मंगल और ऊर्जा देने वाला पदार्थ माना गया है। मान्यता है भगवान गणेश की पूजा में सिंदूर का प्रयोग करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं।

सिंदूर का क्या है लाभ

सुहागिन महिलाएं मांग में यानी मस्तिष्क के मध्य भाग में सिंदूर लगाती हैं और यह स्थान 'अग्या चक्र' कहलाता है जो मानसिक शांति और ध्यान का केंद्र है। सिंदूर बनाने में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक तत्व जैसे हल्दी, चूना आदि शरीर को ठंडक और ऊर्जा प्रदान करते हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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