हिंदू धर्म में भगवान देवी सीता को आदि शक्ति के स्वरूप माना जाता है और उनकी उपासना की जाती है। रामायण कथा में देवी सीता के बारे में विस्तार से बताया गया है। बता दें कि हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर सीता नवमी पर्व मनाया जाता है और इस दिन देवी सीता की उपासना का विधान है। आइए जानते हैं, इस वर्ष कब मनाई जाएगी सीता नवमी।
सीता नवमी 2025 तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 05 अप्रैल सुबह 07:35 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 06 अप्रैल सुबह 08:40 मिनट पर हो जाएगा। बता दें कि सीता जयंती पर्व 05 मई 2025, सोमवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन मध्याह्न काल में पूजा का विधान है, जो सुबह 10:55 मिनट से दोपहर 01:38 मिनट तक रहेगा।
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सीता नवमी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार राजा जनक अपने राज्य में अकाल की स्थिति को दूर करने के लिए यज्ञ करवा रहे थे। यज्ञ की तैयारी के लिए जब वह स्वयं हल चलाकर भूमि तैयार कर रहे थे, तब उन्हें धरती के अंदर एक स्वर्ण से बनी संदूक (मंजूषा) प्राप्त हुई। जब उस संदूक को खोला गया, तो उसमें एक दिव्य कन्या मिली। चूंकि वह कन्या धरती से प्राप्त हुई थी, इसलिए उनका नाम 'सीता' रखा गया। संस्कृत में जोती हुई भूमि को 'सीता' कहा जाता है, इसीलिए यह नाम उपयुक्त माना गया।
राजा जनक ने उस कन्या को अपनी दत्तक पुत्री के रूप में अपनाया और उन्हें बड़े स्नेह से पाला। बाद में वही देवी सीता भगवान श्रीराम की पत्नी बनीं और रामायण की महान नायिका के रूप में पूजित हुईं। जानकी नवमी के दिन भक्तजन व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और माता सीता की कथा सुनते हैं।
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