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मृत्यु का देवता बनने पर दुखी हुए यमराज को सूर्य देव ने कैसे मनाया?

मृत्यु के देवता यमराज सूर्य देव के पुत्र माने जाते हैं। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी एक रोचक कथा कि कैसे वह बने यमलोक के अधिपति?

AI Image of Yamraj

यमराज।(Photo Credit: AI Image)

हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देवता के रूप में पूजा जाता है। भगवान सूर्य से समर्पित कई पौराणिक कथाएं धर्म ग्रंथो में वर्णित है, जिनमें से एक कथा भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया से संबंधित है। इसी कथा में यमराज जी का भी वर्णन मिलता है। बता दें कि पौराणिक धर्म ग्रंथो के अनुसार, भगवान सूर्य के 10 संतानों में यमराज का भी नाम शामिल है, जिन्हें मृत्यु का देवता कहा जाता है। सूर्य देव और यमराज का संबंध पिता-पुत्र का है, और उनके बीच का यह रिश्ता कई पौराणिक कथाओं में वर्णित है।

सूर्य देव, संज्ञा और यमराज का जन्म

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव की पत्नी संज्ञा अत्यधिक तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छाया (छाया देवी) को सूर्य देव के पास छोड़कर तपस्या करने चली गईं। छाया देवी से ही यमराज का जन्म हुआ। हालांकि, संज्ञा के जाने की बात सूर्य देव को काफी समय तक पता नहीं थी और वे छाया देवी को ही संज्ञा मानते रहे।

 

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यमराज का जन्म होते ही उनके भाग्य में मृत्यु का देवता बनना लिखा था। वह बचपन से ही गंभीर स्वभाव के थे और अन्य बच्चों की तरह खेल-कूद में अधिक रुचि नहीं रखते थे। जब वे बड़े हुए, तो उन्हें इस सृष्टि में न्याय का कार्य सौंपा गया। भगवान ब्रह्मा ने उन्हें मृत्युलोक का अधिपति नियुक्त किया और कहा कि वे धर्म के अनुसार प्रत्येक जीव को उनके कर्मों के अनुसार न्याय देंगे। इस प्रकार यमराज मृत्यु के देवता बने।

यमराज और सूर्य देव का संवाद

एक कथा के अनुसार, जब यमराज को मृत्यु का देवता बनाया गया, तो वे इस कार्य से दुखी हुए। उन्होंने सूर्य देव से कहा, 'पिताश्री, मैं मृत्यु का कार्य नहीं करना चाहता। किसी के प्राण हरने से मुझे दुख होता है।' इस पर सूर्य देव ने समझाया, 'पुत्र, यह संसार कर्म के आधार पर चलता है। जो जन्मा है, उसे एक न एक दिन जाना ही होगा। तुम यदि न्यायपूर्वक यह कार्य नहीं करोगे, तो संसार में अराजकता फैल जाएगी।' अपने पिता के इस उपदेश को सुनकर यमराज ने अपनी नियति को स्वीकार कर लिया और मृत्यु के देवता के रूप में अपना धर्म निभाने लगे।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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