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तिरुपति बालाजी की प्रतिमा से आता है पसीना, जानें मंदिर के अन्य रहस्य

भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कई रहस्य और मान्यताएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें।

Image of Tirupati Balaji Mandir

तिरुपति बालाजी मंदिर।(Photo Credit: Wikimedia Commons)

भारत में कई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं, जिनसे अनेक मान्यताएं और लोक कथाएं जुड़ी हुई हैं। इन्हीं में से एक है आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी का मंदिर। भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित यह मंदिर तिरूमला पहाड़ी पर स्थित है, जहां हर दिन लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि इससे जुड़ी कई अद्भुत कथाएं और चमत्कार भी प्रसिद्ध हैं। आइए जानते हैं तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।

तिरुपति बालाजी मंदिर के रहस्य

प्रतिमा से आता है पसीना

तिरुपति बालाजी मंदिर में स्थित भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा को जीवंत माना जाता है। कहा जाता है कि इस प्रतिमा से पसीना आता है। प्रतिमा पर पसीने की बूंदें साफ देखी जा सकती हैं और प्रतिमा के पीछे हमेशा पानी दिखाई देता है। इसे साफ करने के बाद भी पानी फिर वापस आ जाता है। इसी कारण गर्भगृह का तापमान हमेशा कम रखा जाता है।

माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों रूप में दर्शन

भगवान वेंकटेश्वर को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है और यहां उन्हें माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों रूपों में पूजा जाता है। परंपरा के अनुसार, भगवान को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र धारण कराए जाते हैं—ऊपर साड़ी और नीचे धोती।

भगवान के हैं असली बाल

धार्मिक विद्वानों के अनुसार, भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा पर असली बाल हैं, जो कभी उलझते नहीं और हमेशा कोमल रहते हैं। यह आज भी एक रहस्य है। इसके अलावा, मंदिर की दाहिनी ओर एक छड़ी रखी गई है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इससे बचपन में भगवान बालाजी की पिटाई हुई थी।

प्रतिमा में सुनाई देती है आवाज

भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा के बारे में यह भी कहा जाता है कि प्रतिमा पर कान लगाकर सुनने पर भीतर से समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है। हर गुरुवार को भगवान का श्रृंगार हटाकर उन्हें स्नान कराया जाता है। इस दौरान चंदन का लेप लगाया जाता है, और कहा जाता है कि भगवान के हृदय पर लक्ष्मी जी की आकृति उभरकर दिखाई देती है।

मंदिर में सदैव जलता है अखंड दीपक

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी कुंड के किनारे निवास किया था, जो तिरुमला में स्थित है। आज भी इस कुंड के दर्शन किए जाते हैं और मंदिर के कार्यों में इसका जल उपयोग होता है। मंदिर में एक अखंड दीपक भी जलता रहता है, जो कभी बुझता नहीं। खास बात यह है कि इसमें न तो तेल डाला जाता है और न ही घी। यह रहस्य भक्तों के लिए आज भी आकर्षण का केंद्र है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।

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