भारत में अधिकांश घरों के आंगन में तुलसी का पौधा दिखाई दे जाता है। विशेष रूप से हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे की उपासना विधि-विधान से की जाती है। इस परंपरा का पालन प्राचीन काल से किया जा रहा है। बता दें कि हिन्दू धर्म-ग्रंथों में तुलसी पौधे की उत्पत्ति और उनकी पूजा के महत्व को विस्तार से बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी के पौधे को देवी का रूप कहा जाता है और विधि-विधान से उनकी उपासना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, क्यों घर पर की जाती है तुलसी की उपासना और इससे जुड़े नियम।
तुलसी पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्य जालंधर की पत्नी का नाम वृंदा था। वृंदा अत्यंत पतिव्रता स्त्री थी और इसके कारण जालंधर को न तो कोई पराजित कर सकता था व न ही उसे कोई मार सकता था। एक बार जालंधर के मन में माता पार्वती को प्राप्त करने की लालसा प्रकट हुई और वह कैलाश जा पहुंचा। यहां भगवान शिव और जालंधर के बीच भीषण युद्ध हुआ। उस समय जालंधर को हरा पाना बहुत ही कठिन था, क्योंकि उसको वृंदा के पातिव्रत्य का बल मिल रहा था।
तब माता पार्वती भगवान विष्णु के पास कोई युक्ति मांगने के लिए पहुंचीं। भगवान विष्णु यह जानते थे कि जालंधर को तभी परास्त किया जा सकता है, जब वृंदा के पातिव्रत्य को भंग कर दिया जाए। इसके लिए उन्होंने जालंधर का रूप धारण कर लिया और वृंदा का पास पहुंचे। तब वृंदा को भगवान के छल का ज्ञान नहीं था और उनके साथ रहने लगी। इससे वृंदा का पातिव्रत्य धर्म भंग हो गया और भगवान शिव ने जालंधर का वध कर दिया। जब वृंदा को भगवान के छल का ज्ञान हुआ, तो उन्होंने श्री हरि को यह श्राप दिया कि वह पत्थर का रूप ले लें। लेकिन इससे सृष्टि में हाहाकार मच गया और देवी-देवताओं ने वृंदा से अपना श्राप वापस लेने की विनती की। वृंदा ने भगवान को श्राप से मुक्त कर दिया, लेकिन स्वयं को अग्नि में सौंप दिया। जिस स्थान पर वृंदा आत्मदाह किया था, वहां पर तुलसी का पौधा उग आया। भगवान विष्णु वृंदा के धर्म-निष्ठा से अत्यंत प्रसन्न हुए और भगवान शालिग्राम से तुलसी का विवाह हो गया। तभी से प्रत्येक घर में तुलसी पूजन की परंपरा आरंभ हुई।
तुलसी पूजा का क्या है महत्व?
शास्त्रों में तुलसी पूजा के महत्व को विस्तार से बताया है। मान्यता है कि जिस घर में तुलसी पूजा होती है, वहां नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आयुर्वेद शास्त्र में भी तुलसी के महत्व को विस्तार से बताया गया है। तुलसी के औषधीय तत्व कई बीमारियों से लड़ने में सहायता करते हैं। साथ ही भगवान विष्णु की उपासना में भी तुलसी का होना अनिवार्य होता है। शास्त्रों में यह विदित है कि बिना तुलसी पत्र के भगवान विष्णु न तो पूजा स्वीकार करते हैं और न ही भोग ग्रहण करते हैं।