logo

ट्रेंडिंग:

गरुड़ पुराण में बताई वैतरणी नदी का भारत में भी है एक रूप

गरुड़ पुराण में वैतरणी नदी का उल्लेख मिलता है, जिसका एक रूप भारत में भी उपस्थित है। आइए जानते हैं, वैतरणी नदी से जुड़ी कुछ खास बातें।

Image of Baitarni Nadi

बैतरणी नदी, ओडिशा(Photo Credit: Wikimedia Commons)

गरुड़ पुराण, हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है, जो मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा और यमलोक की प्रक्रियाओं का विस्तृत वर्णन करता है। इसी पुराण में एक रहस्यमयी नदी का उल्लेख आता है- वैतरणी नदी। यह नदी मृत्यु के बाद आत्मा द्वारा पार की जाने वाली सबसे कठिन और निर्णायक बाधाओं में से एक मानी जाती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जब कोई जीव मृत्यु को प्राप्त करता है, तो उसकी आत्मा यमदूतों के साथ यमलोक की ओर यात्रा करती है। इस यात्रा के दौरान आत्मा को एक विकराल नदी को पार करना होता है जिसे वैतरणी कहते हैं।

वैतरणी का स्वरूप गरुड़ पुराण में

वैतरणी को गरुड़ पुराण में एक भयंकर और दुर्गम नदी के रूप में दर्शाया गया है। यह नदी रक्त, मांस, हड्डियों, मल-मूत्र और अत्यंत दुर्गंध से भरी हुई मानी जाती है। इसमें लहरों के साथ अनेक जीव-जंतु जैसे मगरमच्छ, सांप और कीड़े होते हैं, जो पापी आत्मा को कष्ट देते हैं। वैतरणी का पार करना साधारण बात नहीं होती, विशेषतः उनके लिए जो जीवन में पापमय कर्मों में लिप्त रहे हों।

 

यह भी पढ़ें: अल्मोड़ा में है 1100 साल पुराना कटारमल मंदिर, सूर्यदेव की होती है पूजा

 

परंतु जिन व्यक्तियों ने जीवन में दान, पुण्य, धर्म और सदाचरण का पालन किया होता है, उनके लिए यह नदी शांत, निर्मल और सरलता से पार होने योग्य बन जाती है। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि यदि मृतक के परिजन उसकी आत्मा की शांति के लिए विधिपूर्वक ‘वैतरणी दान’ करते हैं, तो आत्मा को यह नदी आसानी से पार कर लेने का मार्ग मिल जाता है।

वैतरणी दान और इसके महत्व की मान्यता

हिंदू धर्म में 'वैतरणी दान' का अत्यंत महत्व बताया गया है। यह दान मुख्य रूप से मृतक की आत्मा को वैतरणी नदी पार कराने के उद्देश्य से किया जाता है। इसमें गोदान (गाय का दान), जलदान, भूमि दान, अन्नदान आदि शामिल होते हैं। यह कर्म विशेष रूप से पुत्र या निकट संबंधी द्वारा किया जाना आवश्यक माना जाता है।

 

मान्यता है कि यदि वैतरणी दान विधिपूर्वक किया जाए तो आत्मा को मुक्ति का मार्ग मिल सकता है और वह यमलोक की यात्रा बिना कष्ट के पूरी कर सकती है।

भारत में बहने वाली वास्तविक वैतरणी नदी

भारत में भी एक नदी है जिसे बैतरणी के नाम से जाना जाता है। यह नदी उड़ीसा (ओडिशा) राज्य में बहती है और समुद्र में जाकर गिरती है। यह केओंझर जिले के गोनासिका गुफा क्षेत्र से निकलती है और लगभग 360 किलोमीटर की यात्रा करके बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।

 

इस वैतरणी नदी का भी धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। ओडिशा में यह नदी तीर्थ रूप में मानी जाती है और लोग इसे आत्मा की शुद्धि और पाप से मुक्ति का माध्यम मानते हैं। गोनासिका से लेकर मुहाने तक कई धार्मिक स्थल इस नदी के किनारे बसे हुए हैं।

वैतरणी नदी से जुड़ी मान्यताएं और रहस्य

गोनासिका स्थल की मान्यता:

कहा जाता है कि वैतरणी का उद्गम स्थल यानी गोनासिका एक पवित्र गुफा है, जहां से जल पत्थरों के बीच से निकलता है और यह दृश्य बेहद रहस्यमयी होता है। इसे 'ब्रह्मकुंड' भी कहा जाता है।

अंत्येष्टि से जुड़ी मान्यता:

ओडिशा और आसपास के राज्यों में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो लोग प्रयास करते हैं कि उसकी अस्थियां वैतरणी नदी में विसर्जित हों। मान्यता है कि इससे आत्मा को शांति और मोक्ष प्राप्त होता है।

 

यह भी पढ़ें: यहां पूरी होती है हर मनोकामना, जानिए टपकेश्वर महादेव के बारे में

ब्रह्मपुरुष क्षेत्र:

वैतरणी नदी के किनारे कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जहां पुरोहित मृतकों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा और श्राद्ध कर्म कराते हैं। यह स्थान 'दूसरी वैतरणी' के रूप में देखा जाता है।

पितृ दोष निवारण:

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति अपने पितरों के लिए वैतरणी में स्नान करता है या दान करता है, उसके पितृ दोष समाप्त हो जाते हैं। विशेष पर्वों पर, जैसे पितृपक्ष, इस नदी में हजारों श्रद्धालु स्नान व तर्पण करने आते हैं।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से वैतरणी का अर्थ

वैतरणी केवल एक नदी नहीं, बल्कि आत्मा के संकल्प, कर्म, और पुण्य-पाप का प्रतीक भी है। यह हमें यह भी सिखाती है कि जीवन में किए गए कर्म ही मृत्यु के बाद की यात्रा को आसान या कठिन बनाते हैं। यह आत्मा की अग्निपरीक्षा की तरह मानी जा सकती है, जहां मनुष्य को अपने ही कर्मों के फल का अनुभव करना पड़ता है।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap