भारत में देवी-देवताओं के विभिन्न मंदिर हैं, जिनका अपना एक विशेष महत्व है। कुछ ऐसे भी मंदिर है, जिनसे जुड़ी मान्यताएं हमें चौंका देती है। इनमें से कुछ मंदिरों में मछली, श्वान, मेंढक चूहे आदि की पूजा भी शामिल है। बता दें कि हिन्दू धर्म में छिपकली का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि छिपकली के आने से घर में धन का आगमन होता है, ऐसा इसलिए छिपकली के आगमन का विशेष संबंध माता लक्ष्मी से माना जाता है। लेकिन भारत में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां छिपकली की पूजा भी की जाती है।
सोने से बनी छिपकली की होती है पूजा
तमिलनाडु के कांचीपुरम में वरदराज पेरुमल मंदिर स्थापित है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर की विशेष है कि उस मंदिर में भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं के साथ छिपकली भी उपासना की जाती है। वरदराज पेरुमल मंदिर में सोने से बनी छिपकली की मूर्ति है, जिनकी प्रत्येक दिन पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही छिपकली के दर्शन और उन्हें स्पर्श करने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं।
क्या है इस मंदिर से जुड़ी धार्मिक मान्यता?
धार्मिक मन्यताओं के अनुसार, पौराणिक काल में इस स्थान पर एक गहरा कुआं था। इस कुंए में यादवों ने बड़ी छिपकली को देखा। जब भगवान श्री कृष्ण को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने उसे बाहर निकाला। श्री कृष्ण के स्पर्श से छिपकली मनुष्य में परिवर्तित हो गया। तब उन्होंने बताया कि वह एक राजा थे, जिसे छिपकली बनने का श्राप मिला था।
वरदराज पेरुमल मंदिर से जुड़ी रोचक बातें
तमिलनाडु में स्थित वरदराज पेरुमल मंदिर 108 दिव्य देसम में से एक है, जो वैष्णव संतों (आलवार) के भजनों में वर्णित है, जो भगवान विष्णु के 108 प्रमुख मंदिर हैं। मंदिर में भगवान विष्णु की एक दुर्लभ लकड़ी की मूर्ति ‘अथी वरद’ के रूप में स्थापित है। यह मूर्ति हर 40 वर्षों में केवल 48 दिनों के लिए दर्शन के लिए निकाली जाती है। बाकी समय, यह मूर्ति एक जलाशय (पुष्करिणी) के भीतर सुरक्षित रहती है। 2019 में, लाखों भक्तों ने अथी वरद के दर्शन किए।
वरदराज पेरुमल मंदिर में हर साल ब्रह्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें भगवान को फूलों और गहनों से सजाया जाता है, और उनका रथ उत्सव निकाला जाता है। वैकुंठ एकादशी, दिवाली और पोंगल जैसे त्योहार भी यहां बहुत भव्यता से मनाए जाते हैं।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं. Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता.