राजस्थान के मरुस्थल की तपती रेत में आज भी एक ऐसी परंपरा जीवित है, जिसने तीन सौ साल पहले प्रकृति की रक्षा के लिए दुनिया को सबसे बड़ा संदेश दिया था। विश्नोई समाज वह समाज, जिसकी नींव रखी थी पर्यावरण-पुरुष माने जाने वाले भगवान जम्भेश्वर, यानी जांभोजी ने। 15वीं शताब्दी में जन्मे जांभोजी ने न सिर्फ समाज को 29 नियमों का ऐसा जीवन-सूत्र दिया, बल्कि मनुष्य और प्रकृति के अटूट रिश्ते को धर्म का रूप भी दिया।
इसी धरती पर खेजड़ली जैसा ऐतिहासिक बलिदान भी हुआ, जहां 303 विश्नोई पुरुषों और महिलाओं ने खेजड़ी के पेड़ों को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज भी विश्नोई गांवों में हिरण घर के मेहमान की तरह घूमते हैं और पेड़ों की सुरक्षा जीवन से भी ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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जन्म और प्रारंभिक जीवन
भगवान जम्भेश्वर का जन्म सन् 1451 (विक्रम संवत 1508) में राजस्थान के बाड़मेर जिले के पीपासर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम लोहट जी पंवार और माता का नाम हंसाई देवी था। जन्म के समय से ही वह असाधारण थे। लोक मान्यताओं के अनुसार, वह बहुत शांत, गंभीर और प्रकृति से जुड़ाव रखने वाले थे।
क्यों की विश्नोई पंथ की स्थापना?
उस समय राजस्थान में लगातार सूखा, अकाल, वनों का विनाश, पशु हिंसा, जातीय संघर्ष और समाज में कुरीतियां और अंधविश्वास बहुत बढ़ गए थे। मान्यता के अनुसार, जंभेश्वर जी ने महसूस किया कि समाज को एक नई दिशा और अनुशासित जीवनशैली की आवश्यकता है। प्रचलित कथाओं के अनुसार, उसी के बाद उन्होंने विश्नोई समाज की स्थापना की।
24 साल की उम्र में मिला ज्ञानोदय
कहा जाता है कि 24 वर्ष की उम्र में उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हो गया था। इसके बाद उन्होंने समाज सुधार, पर्यावरण संरक्षण और अहिंसा के संदेश देना शुरू किया। मुकाम (जोधपुर के पास) नामक स्थान पर आषाढ़ कृष्णा अष्टमी, संवत 1542 (1485 ई.) को जांभोजी ने विश्नोई पंथ की स्थापना की।
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जांभोजी ने बताए 29 नियम
ये नियम जीवन, प्रकृति और अध्यात्म पर आधारित हैं।
कुछ मुख्य नियम:
- ईश्वर में विश्वास
- सत्य बोलना
- अहिंसा – किसी जीव को नुकसान न पहुंचाना
- हिरण और वन्य जीवों की रक्षा
- पेड़ों को नहीं काटना – खासकर खेजड़ी (शमी) के पेड़
- शुचिता और स्वच्छता
- व्यसनों से दूर रहना
- दया, करुणा, भाईचारा बढ़ाना
- पशु-पक्षियों को पानी और भोजन देना
- इन नियमों ने विश्नोई समाज को भारत का सबसे बड़ा पर्यावरण संरक्षक समुदाय बना दिया