सनातन धर्म में एकादशी की तिथियों का बहुत महत्व है। देवउठनी एकादशी इनमें से एक है। कार्तिक माह में आने वाले देवउठनी एकादशी में विष्णुजी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने के बाद निद्रा योग से उठते हैं। इसे प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। हिंदू-धर्म में देवउठनी एकादशी के दिन शादी, मुंडन या गृह-प्रवेश जैसे मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत होती है। ऐसे में आइये जानते हैं कि देवउठनी एकादशी क्यों मनाते हैं?
क्या है पूजा करने का शुभ मुहूर्त
मान्यता है कि, इस दिन सच्चे मन से उपासना करने वाले जातकों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा घर में सुख-समृद्धि आती है। देवउठनी एकादशी के दिन व्रती भगवान विष्णु की पूजा करती हैं। पूजा करने का सबसे सही समय ब्रह्रा मुहूर्त 4 बजकर 56 से 5 बजकर 49 मिनट तक है।
क्यों मनाया जाता है देवउठनी एकादशी?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने बाद निद्रा से जागते हैं। इस दिन से शुभ मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस शुभ तीथि पर कई लोग व्रत करते हैं और विधिपूर्वक भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस दिन दान करना भी बहुत जरूरी होता हैं।
इस दिन न करें ये गलतियां
ध्यान रखें कि देवउठनी एकादशी वाले दिन पान का सेवन न करें। मान्यता है कि पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवर्ति बढ़ जाती है। इस दिन अपने विचार को सात्विक रखना चाहिए। एकादशी के दिन दूसरों की निंदा करने से बचें। मान्यता है कि एकादशी के दिन क्रोध करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे मानसिक तनाव बढ़ता है। तामसिक भोजन का सेवन करने से बचें। इस दिन चावल नहीं खाया जाता और भूल से भी तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ें। पूजा के लिए एक दिन पहले ही तुलसी के पत्तों को तोड़कर रख लें।