दुनिया भर के करोड़ों ईसाई श्रद्धालुओं के लिए पवित्र माने जाने वाले बेथलहम शहर की धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक महत्व पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। पश्चिमी तट के फिलिस्तीन क्षेत्र में स्थित यह प्राचीन शहर वह स्थल है, जहां ईसाई मान्यता के अनुसार ईसा मसीह का जन्म हुआ था। यही वजह है कि हर साल लाखों तीर्थयात्री यहां ‘हॉली पिलग्रिमेज’ पर पहुंचते हैं और नैटिविटी चर्च में प्रभु यीशु के जन्मस्थान के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं।
बेथलहम को ‘दाऊद का नगर’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां इस्राएल के महान राजा दाऊद का जन्म हुआ था। बाइबिल की भविष्यवाणियों में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मसीहा का जन्म इसी नगर में होगा और इसी भविष्यवाणी के पूरे होने से बेथलहम की धार्मिक महत्ता और गहरी हो गई। 3000 साल से भी पुराना यह शहर इतिहास, परंपरा और आध्यात्मिकता का संगम माना जाता है।
यह भी पढ़ें: शादी में 7 ही फेरे क्यों लिए जाते हैं, क्या इसके बिना शादी पूरी नहीं होती? समझें
ईसाईयों की पवित्र यात्रा कहां जाती है?
ईसाई धर्म में सबसे पवित्र यात्रा तीन स्थानों पर मानी जाती है-
बेथलहम – मान्यता के अनुसार, जहां यीशु मसीह का जन्म हुआ था
यरूशलम – मान्यता के अनुसार, जहां यीशु ने प्रचार किया और उन्हें क्रूस पर चढ़ाया गया
नाजरेथ – मान्यता के अनुसार, जहां यीशु ने अपना बचपन बिताया
इनमें सबसे पवित्र और प्रमुख स्थान बेथलहम है।
बेथलहम शहर को इतना पवित्र क्यों माना जाता है?
यीशु मसीह का जन्मस्थान
ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार, यीशु मसीह का जन्म बेथलहम में हुआ। यह वही शहर है जहां मैरी ने एक अस्तबल की गुफा में यीशु को जन्म दिया। इस स्थान पर आज चर्च ऑफ नौटिविटि बना है, जिसे UNESCO विश्व धरोहर स्थल भी माना जाता है। दुनिया भर के ईसाई क्रिसमस के समय यहां आते हैं।
बाइबिल में कई भविष्यवाणियां बेथलहम पर
पुराने नियम में भविष्यवाणी की गई थी कि मसीहा का जन्म बेथलहम में होगा (Micah 5:2)
जब ये भविष्यवाणी सच हुई, तो बेथलहम का धार्मिक महत्व बहुत बढ़ गया।
यह भी पढ़ें: कोसी नदी के बीच ऊंची चोटी पर बने गर्जिया देवी मंदिर की कहानी क्या है?
दाऊद राजा की भूमि
ईसाई परंपरा के अनुसार, बेथलहम वह स्थान है जहां राजा दाऊद का जन्म हुआ था और यहीं उन्हें राजा घोषित किया गया था। यीशु को दाऊद के वंश का माना जाता है, इसलिए यह शहर ईसाइयों के लिए वंश–परंपरा से भी पवित्र है।
‘स्टार ऑफ बेथलहम’ की कथा
मान्यता है कि जब यीशु का जन्म हुआ, तब आकाश में एक चमकीला तारा निकला, जिसे स्टार ऑफ बेथलहम कहा जाता है। इस तारे को देखकर ही तीन ज्ञानी पुरुष यीशु के दर्शन करने पहुंचे। यह कहानी ईसाई धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है।
बेथलहम का पूरा इतिहास
6000 साल पुराना शहर बेथलहम का इतिहास लगभग 3000 ईसा पूर्व से मिलता है। यह एक छोटा सा पहाड़ी व्यापारिक नगर था।
1200 ईसा पूर्व – यहूदी बस्ती
यह शहर यहूदियों के लिए भी महत्वपूर्ण था। राजा दाऊद का जन्म यहीं हुआ, इसलिए यह दाऊद का शहर भी कहलाता है।
1 ईस्वी – यीशु मसीह का जन्म
ईसाई इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना यहीं हुई।
327 ईस्वी – चर्च ऑफ नैटिविटी का निर्माण
रोमन सम्राट कॉनस्टैंटाइन की माता सेंट हेलेना ने उसी गुफा पर चर्च बनवाया जहां यीशु का जन्म हुआ माना जाता है।
क्रूसेड काल (11वीं–13वीं सदी)
यहां कई बार ईसाई और मुस्लिम सेनाओं के संघर्ष हुए। फिर भी चर्च ऑफ नैटिविटी कभी नष्ट नहीं हुआ।
1948–1967 – जॉर्डन के अधीन
बेथलहम जॉर्डन के कब्जे में था।
1967 के बाद
इजरायल–फिलिस्तीन संघर्ष शुरू हुआ और बेथलहम आज फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक क्षेत्र में है।
बेथलहम की धार्मिक विशेषताएं
चर्च ऑफ नैटिविटी
वह स्थान जहां यीशु के जन्म की गुफा है। हर ईसाई का सपना होता है कि वह यहां जाकर दर्शन करे।
मिल्क ग्रोटो
मान्यता है कि मैरी यहां यीशु संग रुकी थीं। पत्थरों के दूधिया रंग होने की वजह से यह प्रसिद्ध है।
मैन्जर स्क्वायर
क्रिसमस समारोह का विश्व–प्रसिद्ध स्थान।
क्रिसमस प्रोसेशन
हर साल हजारों ईसाई जुलूस में शामिल होते हैं।